मार्गशीर्ष कृष्ण ५, कलियुग वर्ष ५११५
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शंकराचार्यजीका औक्षण करते हुए सनातनकी साधिकाएं (छायाचित्रमें)
१. श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजके स्वागतके लिए कोकण रेलके सहायक कार्यकारी व्यवस्थापक श्री. एस. के. बाला तथा उनकी पत्नी श्रीमती शिराब्दी बाला स्वामीजीके आनेके १ घंटा पूर्वसे उपस्थित थे ।
२. कोकण रेल प्रशासनने मडगाव रेल स्थानकपर जगद्गुरु शंकराचार्यजी महाराजके आगमनके संदर्भमें पूरा सहयोग दिया । रेल प्रशासनके अधिकारी श्री. बाला इस विषयमें स्वयं ध्यान देकर कर्मचारियोंको सूचना दे रहे थे । इस समय रेलके स्टेशन अधीक्षक राजू कुमार चौधरीने भी सहयोग दिया ।
३. सवेरे ८ बजे मुंबई-मंगलुरू एक्स्प्रेससे जगद्गुरु शंकराचार्यजीका गोमंतकमें शुभागमन हुआ ।
४. कोकण रेलके सहायक कार्यकारी व्यवस्थापक श्री. एस. के. बाला तथा उनकी पत्नी श्रीमती शिराब्दी बाला, हिंदू जनजागृति समितिके डॉ. मनोज सोलंकी, सनातन संस्थाके कार्यालयीन सचिव श्री. चेतन राजहंस तथा श्री. रूपेश रेडकरने शंकराचार्यजीका स्वागत किया ।
५. पूरा साहित्य रेलगाडीसे उतारा गया है, इसकीr निश्चिति कर शंकराचार्यजी बिना ‘व्हीलचेयर' का उपयोग किएप्लेटफॉर्मसे चारपहिया वाहनतक चलते हुए गए ।
६. प्लेटफॉर्र्मपर चलते समय शंकराचार्यजीने उनके स्वागतके लिए आए सभी उपस्थित लोगोंसे सहज विचार-विमर्श किया । ‘गोवाकी जनसंख्या कितनी है, क्या वापसीकी यात्राके लिए टिकट मिलेंगे ?’ ऐसे प्रश्न पूछते हुए शंकराचार्यजीने रेल अधिकारी श्री. बालासे सहज वार्तालाप किया ।
७. सभी सहयोगी वाहनमें बैठे हैं तथा पूरा साहित्य वाहनमें चढा दिया गया है, इसकी निश्चिति कर शंकराचार्यजीकी अनुमतिसे सभी वाहनोंने रामनाथी आश्रमकी दिशामें प्रयाण किया ।
८. रामनाथी आश्रममें सवेरे ८.४५ बजे शंकराचार्यजीका शुभागमन हुआ ।
हमें शंकराचार्यजीके दर्शन हुए, यह हमारा भाग्य है ! – श्रीमती एवं श्री. एस.के. बाला
हमें शंकराचार्यजीके दर्शन हुए, यह हमारा सौभाग्य है । हम उडीसा क्षेत्रके निवासी होते हुए भी हमें इतने समीपसे शंकराचार्यजीके दर्शन करनेका सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था ।३० वर्षपूर्व मैं शंकराचार्यजीके मार्गदर्शनके लिए गया था । तत्पश्चात आज योग जुडकर आया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात