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‘जेड्’ सुरक्षा किसके लिए : शंकराचार्य या राजनीतिक व्यक्ति और चलचित्र अभिनेता?

मार्गशीर्ष कृष्ण ६, कलियुग वर्ष ५११५

गोवर्धनमठ, पुरीके (उडीसा) शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजीका २२ नवंबरको सवेरे ८ बजे गोवामें आगमन हुआ । शंकराचार्यजीके लिए 'जेड्' पद्धतिकी सुरक्षा-व्यवस्था होते हुए भी गोवा सरकारने इस सुविधाकी पूर्तिमें असमर्थता प्रकट की । इससे शंकराचार्यजीका कुछ रुका नहीं । उपलब्ध व्यवस्थाद्वारा नियोजित निवासस्थानपर निर्विघ्न रूपसे उनका शुभागमन हुआ । शंकराचार्यजीकी यात्रा आरंभ होनेसे पूर्व पुरी पीठके व्यवस्थापनने सभी संबंधित व्यक्तियोंको अवगत कराया था । ऐसा होते हुए भी गोवा सरकारद्वारा अपेक्षित प्रतिसाद नहीं मिला । शंकराचार्य हिंदुओंके सर्वोच्च धर्मगुरु हैं । देशके ९० करोड हिंदुओंके आस्थास्रोत हैं । उनके संदर्भमें इसप्रकारकी अनास्था दर्शाना अनाकलनीय एवं अकल्पनीय है । शंकराचार्यजीके महाराष्ट्र भ्रमणके समय इस प्रकारकी समस्याएं नहीं उत्पन्न हुर्इं । परंतु गोवाकी यात्राके समय आयोजकोंको कटु अनुभव हुए । गोवा सरकारद्वारा ऐसा बताया गया, ‘गोवामें 'आंचिम'का कार्यक्रम चल रहा है तथा इसके लिए अति महान राजनीतिक व्यक्ति आरहे हैं । उनकी सुरक्षाका प्रबंध करना आवश्यक है । इसलिए शंकराचार्यजीको 'जेड्' पद्धतिकी सुरक्षापूर्ति करना असंभव है'।' इसका, ‘शंकराचार्यजीसे राजनीतिज्ञ अधिक बडे’, ऐसा समीकरण हुआ ।

कांग्रेसके महाराष्ट्र राज्यमें शंकराचार्यजीकी सुरक्षाके संदर्भमें कोई त्रुटि नहीं प्रतीत हुई; परंतु भाजपाके गोवा राज्यमें शंकराचार्यजीकी  सुरक्षाके विषयमें दिखाई गई अनास्थाको क्या कहेंगे ? 'जेड्' सुरक्षाकी आवश्यकताके संदर्भमें भाजपाको भली-भांति जानकारी है । भाजपाप्रणीत संयुक्त सरकारके प्रधानपदके उम्मीदवारको दीठ लगने जैसी प्रचार यात्रा तीव्र गतिसे एकके पीछे एक संपन्न हो रही है । उनके लिए 'जेड्' सुरक्षाकी मांग करनेपर केंद्रकी कांग्रेस सरकारने उसे अस्वीकार कर दिया । इसपर भाजपाने कलह उत्पन्न किया । मांगी हुई 'जेड्' सुरक्षा अस्वीकार कर देनेसे जो क्रोध आया, उसकी तुलनामें शंकराचार्यजीकी अधिकृत 'जेड्' सुरक्षा न मिलनेसे कितना संताप व्यक्त होना चाहिए ? गोवामें इस बातपर सरकारी स्तरपर विचार नहीं किया गया होगा । आद्य शंकराचार्यने हिंदू धर्मके प्रचार तथा उत्कर्षके लिए चार दिशाओंमें चार पीठ स्थापित किए । उसमें एक पीठके प्रमुख यात्रापर आते हैं, यह हिंदुओंकी दृष्टिसे बडे सौभाग्यकी बात है । हिंदू भाजपा पक्षसे कुछ अपेक्षा रखते हैं ! इस पक्षको जनताकी अपेक्षाका मूल्यांकन करना संभव नहीं हुआ ? शंकराचार्यपर दो बार धर्मांधोंद्वारा आक्रमण किए गए । दो बार विषप्रयोग किया गया । हिंदू धर्म एवं धर्मियोंके वैभवके लिए शंकराचार्यद्वारा होनेवाला तेजस्वी कार्य धर्मद्वेषियोंसे देखा नहीं जा रहा । ऐसी पार्श्वभूमि होते हुए भी गोवा सरकारने शंकराचार्यजीकी सुरक्षाके विषयमें लापरवाही दिखानेका कार्य किया ।

हिंदुओंके शत्रु !

गोवामें २० नवंबरसे 'आंचिम' कार्यक्रम आरंभ हुआ, कार्यक्रमके लिए देश-विदेशसे चलचित्र अभिनेता तथा निर्माता आते हैं । उनकी व्यवस्था करनेमें क्या गोवा सरकारको राजधर्मका पालन करनेका समाधान मिलेगा ? महाराष्ट्र कांग्रेस सरकारने शंकराचार्यजीकी रेल यात्रा समाप्त होनेतक उन्हें पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई । हिंदुओंके सर्वश्रेष्ठ धमगुरुके संदर्भमें चिंता करनेवाली महाराष्ट्रकी कांग्रेस सरकार हिंदुओंको यदि अपने निकटकी प्रतीत हुई, तो उसमें कुछ अनुचित नहीं है । गोवाका भाजपा पक्ष इतने निम्न स्तपरपर गया है जिससे जनताको ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस पक्षको निर्वाचनमें चुनकर लानेपर भी कोई लाभ नहीं हुआ । वैटिकनके पोप पूरे विश्वकी यात्रा करते हैं । उनके गोवा भ्रमणके समय क्या सरकारको उन्हें आवश्यक सुरक्षा अस्वीकार करनेका साहस होगा ? वर्तमान समयमें देशमें चुनावका वातावरण है । कांग्रेसियोंके हाथोंमें जो भ्रष्ट कामकाज हैं उसे छीनने हेतु भाजपाका प्रयास चल रहा है । ऐसे समय मतदाताको संभालना है या उसे तोडना है ? देशका वातावरण प्रस्थापित राज्यव्यवस्थाके विरोधमें हो गया है । नरेंद्र मोदीकी यात्रासे हिंदुओंमें अच्छीr जागृति उत्पन्न हो रही है; परंतु उसका श्रेय केवल नरेंद्र मोदीको ही है, मोदी कहते हैं, 'मैं राष्ट्रवादी हिंदू हूं’, तथा अपनी सार्वजनिक सभाओंमें वे कहते हैं हिंदू भी निर्धन हैं । इसलिए यदि चुनावमें भाजपाको सफलता प्राप्त हुई, तो इसे मोदीकी ही विजय मानी जाएगी । शंकराचार्यजीके लिए 'जेड्' सुरक्षा अस्वीकार करनेवाली गोवाकी भाजपा सरकारद्वारा हिंदुओंने एक पाठ पढा । सत्ता हाथमें होते हुए भी भाजपा हिंदुओंकी रक्षा नहीं कर सकती ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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