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भारत विकास नहीं, अपितु विनाशकी दिशामें अग्रसर ! – श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद

मार्गशीर्ष कृष्ण ८, कलियुग वर्ष ५११५


रामनाथी : भाजपा एवं कांग्रेस ये दोनों पक्ष लोगोंको धोखाजनक विकासकी परिभाषापर आधारित प्रलोभन दिखा रहे हैं । जनता भी इस झूठे विकासकी परिभाषासे प्रभावित है । ये विकास देश एवं विश्वको विनाशकी दिशामें ले जा रहे हैं । यह विकास धोखा देनेवाला है, यह बात जब अमेरिका, ब्रिटेन आदि देशोंकी समझमें आएगी तथा वे सनातन वैदिक धर्मको अपेक्षित विकासका अनुसरण करेंगे, तब भारतीय भी उनका अनुकरण करेंगे । सनातन वैदिक धर्म चराचर सृष्टीके कल्याणका विचार करता है, पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज ने ऐसे उद्गार व्यक्त किए ।

रामनाथी, गोवा स्थित सनातनके रामनाथी आश्रममें आयोजित वार्ताकार परिषदमें श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज वार्ताकारोंको संबोधित कर रहे थे । महाराष्ट्र एवं गोवा राज्योंके दौरेपर आए जगद्गुरु शंकराचार्य २२ नवंबर २०१३ से गोवामें हैं । जगद्गुरु शंकराचार्य २४ नवंबर २०१३ को मडकईमें विशाल धर्मसभामें हिंदुओंको संबोधित करेंगे ।

वार्ताकारोंके प्रश्नोंके उत्तर देते हुए शंकराचार्यजीने आगे कहा, जंगल, गांव नष्ट कर अधिकाधिक नगर बसाए जा रहे हैं । अमेरिका आदि देशोंमें इस धोखाजनक विकासके कारण समाजकी अधोगति हुई है । निसर्गका शोषण होकर विश्व विनाशकी दिशामें जा रहा है । हिंदू धर्म सर्वश्रेष्ठ है । अत: भारतीयोंको विदेशियोंका अनुकरण करनेकी आवश्यकता नहीं है । देशका मंत्रीमंडल कैसा हो, हिंदू धर्ममें इसकी कल्पना की गई है । नेपाल पुन: हिंदू राष्ट्र बनाने हेतु गोवर्धनमठ द्वारा प्रयास आरंभ है । हिंदूबहुल राष्ट्रमें धर्मांध, ईसाई ऐसे अन्य धर्मियोंको सारे स्तरोंपर प्रतिनिधित्व दिया जाता है; किंतु क्या उन राष्ट्रोंमें हिंदुओंका ऐसा सम्मान किया जाता है ? अपने देशमें धर्मांध तथा ईसाई जितने सुरक्षित हैं, उतने वे उनके अपने देशमें भी नहीं हैं । मडकई धर्मसभाके उद्देश्यके विषयमें महाराजने कहा कि हमारी हर यात्रा, प्रवचन, हर प्रकल्पका उद्देश्य अन्य धर्मियोंका कल्याण ध्यानमें रखकर हिंदुओंकी अस्मिता तथा देशकी सुरक्षा की रक्षा हेतु कार्य करना ही है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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