मार्गशीर्ष कृष्ण ७ , कलियुग वर्ष ५११५
प्रोफेसर राव को अपना निरीश्वरवाद अपने पास ही रखना चाहिए । उन्हें यह बताने का अधिकार नहीं है की भगवान पर श्रद्धा रखनेवाले अन्य शास्त्रज्ञोंने क्या करना चाहिए एवं क्या नही करना चाहिए । भारतीय संविधान ने सभी को धर्मस्वातंत्र्य प्रदान किया है । – संपादक
|
बेंगलूर : भारत रत्न से सम्मानित प्रोफेसर सीएनआर राव ने अंतरिक्ष अभियान से पहले तिरुपति बालाजी से इसरो वैज्ञानिकों के आशीर्वाद लेने की परंपरा को अंधविश्वास करार दिया है।
गौरतलब है कि कि परंपरा के तहत इसरो के वैज्ञानिक श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से अपने हर यान के उड़ान भरने से पहले उसका एक छोटा प्रतिरूप तिरुपति मंदिर में भगवान बालाजी के चरणों में अर्पित कर अभियान की सफलता की कामना करते हैं।
हाल ही में मंगल अभियान से पहले इसरो अध्यक्ष तिरुपति मंदिर पहुंचे आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। बेंगलूर प्रेस क्लब की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में प्रोफेसर राव ने यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, 'इन्सान डरपोक प्रवृत्ति का होता है। वह सोचता है कि ईश्वर को चढ़ावा चढ़ाने से उसके कार्य सफल होते हैं। ऐसे में कोई क्या कर सकता है?' उन्होंने कहा, 'मैं न तो किसी तरह के अंधविश्वास में यकीन करता हूं और न ही ज्योतिष शास्त्र में।'
विज्ञान के क्षेत्र में चीन के निवेश की तारीफ करते हुए राव ने कहा कि अमेरिका कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी मुल्क ने इस मामले में दुनिया को पछाड़ दिया है। भारतीयों को आरामतलब बताते हुए राव ने यह भी स्वीकार किया कि भारत में विज्ञान की स्थिति अच्छी नहीं है।
स्त्रोत : जागरण