मार्गशीर्ष कृष्ण ७ , कलियुग वर्ष ५११५
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वारकरी संप्रदाय तथा जैन संगठनके शिष्टमंडलने जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजसे भेंट की
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वारकरियोंद्वारा जादूटोना कानून निरस्त करने एवं तीर्थक्षेत्रमें मद्य-मांसपर प्रतिबंध लगानेकी मांग !
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पनवेल (महाराष्ट्र) : हाल ही में जनपदके वारकरी एवं जैन संगठनने देवदके सनातन आश्रममें पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ, पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजसे भेंट की । इस अवसरपर शंकराचार्यजीको वारकरी एवं जैन संगठनद्वारा धर्मपर आघात करनेवाला जादूटोनाविरोधी अध्यादेश निरस्त करने, महाराष्ट्रके पंढरपुर, आळंदी, देहू तथा पैठण आदि तीर्थक्षेत्रोंके स्थानपर हरिद्वार-ऋषिकेशके आधारपर १०० प्रतिशत मद्य-मांसपर प्रतिबंध लगाने तथा श्री पंढरपुर देवस्थानमें भ्रष्टाचार करनेवाले व्यक्तियोंपर कार्यवाही होनेकी मांगोंको लेकर एक निवेदन प्रस्तुत किया गया । इस अवसरपर सरकारके विषयमें तीव्र रोष व्यक्त करते हुए शंकराचार्यजीने कहा कि राजनेताओंकी लाचारीसे ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं ।
यह कानून हिंदूविरोधी है तथा इसके पीछे विदेशी षडयंत्र है ।
इस अवसरपर प्रतिनिधि मंडलमें कोकण पैदल दिंडीके अध्यक्ष ह.भ.प. गणेश महाराज पाटिल, ह.भ.प. सुभाष महाराज घाडगे, ह.भ.प. पद्माकर महाराज पाटिल, ह.भ.प. चाऊशेठ पोपेटा, ह.भ.प. शंकर महाराज फडके, राष्ट्रीय वारकरी सेनाके कोकण प्रांताध्यक्ष ह.भ.प. बापू महाराज रावकर तथा पनवेलके जैन संगठनके श्री. मोतीलाल जैन सम्मिलित थे ।
पुणेमें २७ नवंबरको विशाल धर्मसभा होगी । वहां भी स्थानीय वारकरियोंका प्रतिनिधिमंडल शंकराचार्यजीसे भेंट करेगा ।
इस अवसरपर ह.भ.प. रावकर महाराजने कहा कि महाराष्ट्र सरकारने हिंदू धर्मके संदर्भमें कानून बनाते समय सर्वोच्च धर्मगुरु शंकराचार्यजीका मत विश्वासमें नहीं लिया । इसके विपरीत नास्तिकत लोगोंके विचारके अनुसार कानून पारित किया गया है । इस कानूनसे हिंदू धर्मकी अनेक धार्मिक विधियां, प्रथा, परंपरा एवं रूढियोंको अडचनें आई हैं ।
इसपर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजने कहा,
'मैंने २० नवंबर २०१३ को नई मुंबईकी धर्मसभामें महाराष्ट्रके मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहाणको जादूटोणाविरोधी कानून पारित करनेसे पूर्व इस विषयमें प्रथम विचार-विमर्श करने हेतु मेरे पास आनेका आवाहन किया है । तीर्थक्षेत्रोंके स्थानपर मद्य-मांसपर प्रतिबंध लगानेकी मांग उचित है ।’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात