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शिवजयंती के मुहूर्त पर पुणे के लाल महाल में दादोजी कोंडदेव की प्रतिमा पुनर्स्थापित करें !

फाल्गुन कृष्ण पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६

  • हिन्दू विधिज्ञ परिषदद्वारा मुख्यमंत्री को स्मरणपत्र

  • हिन्दु बहुसंख्यक देश में ऐसी मांग क्यों करनी पडती है ? हिन्दुओंकी ऐसी अपेक्षा है कि भाजपा सरकार को इस मांग पर त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए !

पहले . . .

 . . . और बाद में

मुंबई : कुछ शिवद्रोही एवं हिन्दुद्रोही विघटनवादियोंने पुणे के प्रसिद्ध लाल महाल के प्रांगण में दादोजी कोंडदेव की प्रतिमा को काटा था। आगामी शिवजयंती के मुहूर्त पर इस पुतले को पुनर्स्थापित करने हेतु हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था; परंतु शिवजयंती समीप आने पर भी सरकार द्वारा कोई गतिविधियां होती दिखाई नहीं देने के कारण परिषद द्वारा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को स्मरणपत्र भेजा गया है।

इस पत्र में कहा गया है कि पुणे महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी है तथा इसी नगरी में हिंदवी स्वराज्य की स्थापना का बीज बोया गया था। जिस ऐतिहासिक लाल महाल में छत्रपति शिवाजी महाराजका निवास था एवं उन के राजनीतिक गुरु दादोजी कोंडदेव से इसी स्थान पर छत्रपति शिवाजी महाराज ने राजनीति के पाठ पढे थे; परंतु केवल ‘ब्राह्मणद्वेष’ के कारण महाराष्ट्र के कुछ राष्ट्रघाती संगठनोंने रात्रि के अंधेरे में, हिन्दू चीर निद्रा में रहते में, कायर के समान आकर, हरे ध्वजों को नचाते हुए लाल महाल के प्रांगण में दादोजी कोंडदेव के पुतले को काट डाला था। उस समय ब्राह्मणद्वेष की राजनीति करनेवाले एवं इन राष्ट्रघाती संगठनोंका पोषण करनेवाले लोग ही सत्ता में थे। इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र, हिन्दू, एवं शिवाजी महाराज की मानहानि समान कृत्य करनेवाले लोगोंको उजागर रूपसे समर्थन दिया था। अबतक भी वह पुतला वहां नहीं है। हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि चुनाव के अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज का आशीर्वाद मांगनेवाले नेता सत्ता मिलने पर शिवाजी महाराज की मानहानि भूल गए हो, जनता को ऐसा संदेह नहीं आना चाहिए।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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