फाल्गुन कृष्णपक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११६
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कराची : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के जासूसों ने साल २००१ के बाद तालिबान को खड़ा किया था।
शुक्रवार को छपी एक इंटरव्यू में मुशर्रफ ने कहा कि उनके शासनकाल में देश ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की अगुवाई वाली अफगान सरकार को कमजोर करने की कोशिश की थी क्योंकि वह पाकिस्तान की पीठ में छुरा घोंपने में भारत की मदद कर रही थी।
पूर्व सैन्य शासक ने कहा, ‘राष्ट्रपति करजई के शासनकाल में, हां, वास्तव में वह पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रहे थे… लिहाजा हम उनके हितों के खिलाफ काम कर रहे थे। निश्चित तौर पर हमें अपने हितों की रक्षा करनी थी।’
मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के जासूसों ने २००१ के बाद तालिबान को खड़ा किया था क्योंकि करजई सरकार में बड़ी संख्या में गैर-पश्तून अधिकारी थे जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भारत को फायदा पहुंचाते थे।
७१ साल के मुशर्रफ ने कहा, ‘निश्चित तौर पर, हम कुछ ऐसे संगठनों की तलाश में थे जो पाकिस्तान के खिलाफ इस भारतीय कार्रवाई का मुकाबला कर सकें।’
द गार्डियन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘वहीं पर खुफिया तंत्र का काम होता है। खुफिया तंत्र तालिबानी संगठनों के संपर्क में था। निश्चित तौर पर हम संपर्क में थे और उन्हें होना चाहिए था।’
हत्या और देशद्रोह जैसे आरोपों का सामना कर रहे मुशर्रफ ने कबूल किया कि जब वह सत्ता में थे तो पाकिस्तान ने करजई सरकार को कमजोर करने की कोशिश की थी क्योंकि पूर्व अफगान राष्ट्रपति ने पाकिस्तान की पीठ में छुरा घोंपने में भारत की मदद की थी।
करजई ने अफगानिस्तान सेना को प्रशिक्षण देने की मुशर्रफ और पूर्व सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी की पेशकश को ठुकरा कर उन्हें क्रोधित कर दिया था। पूर्व अफगान राष्ट्रपति ने अपने देश की सेना को प्रशिक्षण के लिए भारत भेज दिया था।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स