हिंदू धर्ममें अराजकताका दमन करनेकी शक्ति है ! – शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती

मार्गशीर्ष कृष्ण ८ , कलियुग वर्ष ५११५

मडकई, गोवामे विशाल धर्मसभा : ५ सहस्रसे अधिक गोमंतकियोंद्वारा उत्स्फूर्त प्रतिसाद

मडकई : हिंदू जनजागृति समिति एवं सनातन संस्थाद्वारा मडकई, फोंडाके मडकई पंचायत मैदानमें २४ नवंबर २०१३ को विशाल धर्मसभा आयोजित की गई । इस सभामें उपस्थित हिंदुओंको संबोधित करते हुए पूर्वाम्नाय श्री गोवद्र्धनमठ पुरी पिठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरूरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजने प्रतिपादित किया कि जिस संस्कृतिने धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्षका ज्ञान दिया, उस संस्कृतिके बिना कोई राज्य नहीं हो सकता । वैदिक सनातन धर्मके सभी क्षेत्रोंका विज्ञान सर्वश्रेष्ठ है । प्रधानमंत्रीके साथ सभी राजनीतिज्ञ कम्युनिस्ट, ईसाई एवं मुसलमानोंके हाथोंकी कठपुतलियां बनकर क्यों आचरण कर रहे हैं ? यदि हिंदू जागृत हुआ, अपने आध्यात्मिक सामर्थ्यसे प्रबल हुआ, तो उसपर कोई राज्य नहीं कर सकता । वैदिक सनातन धर्मकी शक्ति इतनी महान है कि हमें चुनौती देनेका सामर्थ्य अन्य किसमें है ? पूरे विश्वको विकासके नामपर चल रहे विनाशसे बचाने हेतु वैदिक हिंदू धर्मका तंत्र उपयोगमें लाना चाहिए । पूरा विश्व वैदिक सनातन धर्मसे भयभीत है; क्योंकि विश्वकी अराजकताका दमन करनेकी शक्ति हिंदू धर्ममें है । इस धर्मसभाकोमें ५ सहस्रसे अधिक हिंदू उपस्थित थे ।

शंकराचार्यजीने कहा कि भौतिकवादसे मनुष्यका जन्मका सार्थक नहीं हो सकता । सच्चिदानंद स्वरूपके सत्य विज्ञानकी प्राप्तिसे सर्व विज्ञानकी प्राप्ति होती है । ईश्वरप्राप्तिका मार्ग सनातन वैदिक हिंदू धर्मियोंके लिए है, । अन्य धर्मियोंके लिए नहीं है । जिस भगवानका स्मरण, भजन करते हैं, वेह सच्चिदानंद स्वरूप हैं । क्या अन्य धर्मियोंके पास यह सुविधा है ? वैदिक सनातन धर्ममें प्रवृत्तिमार्गियोंको निवृत्तिमार्गीय बनानेकी शक्ति है । भौतिकवादियोंकी प्रवृत्तिका नाश नहीं होता, इसलिए उनका जीवन व्यर्थ जाता है । वैदिक धर्ममें मृत्युके भयसे मुक्त कर मृत्यूयुंजय पद प्राप्त करनेवाला ज्ञान है । हिंदू धर्मकी विशेषता है, सार्वभौमिकता । जिन सिद्धांतोंका पालन पृथ्वी, आप, तेज, वायु एवं आकाश करते हैं, सनातन ऐसा वैदिक सनातन धर्म है । प्रज्वलित अग्निके पास कोई नहीं आता; परंतु जिस समय वह धर्मको छोड देती है, उस समय वह राख हो गई होती है । इसीप्रकार हमेंमें इस बातपर ध्यान देना चाहिए कि जबतक हिंदू अपने धर्मका पालन करते थे, तबतक भारत विश्वगुरूरु था ।

सभाके आरंभमें संध्या समय ५ बजे सभाके व्यासपीठपर ब्रह्मवृंदोंद्वारा पठन किए गए वेदमंत्रोच्चारोंमेंके मध्य श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजका शुभागमन हुआ । शिवावतार जगद्गुरु शंकराचार्यजीका संक्षिप्त परिचय कर दिया गया । पश्चात महाराष्ट्रवादी गोमंतक पक्षके फोंडा मतदाता संघके विधायक श्री. लवू मामलेदारने आद्य शंकराचार्यजीकी परंपरागत प्राप्त पादुकाओंका सपत्नीक पूजन किया । गोवा राज्यके सार्वजनिक बांधकामनिर्माणकार्य मंत्री श्री. सुदिन ढवळीकरके शुभहाथों भगवत्पाद जगद्गुरु शंकराचार्यजीको पुष्पमाला अर्पण की गई ।

सभाके आरंभमेंमें स्वागतपर भाषणमें लोकप्रतिनिधियोंद्वारा व्यक्त उद्गार !

शंकराचार्यजीके चरणस्पर्शसे गोमंतकभूमिको नवचैतन्य मिला ! – श्री. सुदिन ढवळीकर, सार्वजनिक बांधकामनिर्माणकार्य मंत्री

सभाके आरंभमें जगद्गुरु शंकराचार्यजीका स्वागत करते हुए गोवाके सार्वजनिक बांधकामनिर्माणकार्य  मंत्री श्री. सुदिन ढवलीकरने कहा कि जगद्गुरु शंकराचार्य प्रथम बार ही गोवामें आए हैं तथा उनके चरणस्पर्शसे गोमंतकभूमिको नवचैतन्य मिला है । गोवा स्वतंत्र हो गया, तो भी यहां कुछ अयोग्य बातें हो रही हैं । भारतमें कश्मीरकी समस्या, नक्सलवाद आदि समस्याओंपर समाधान ढूंढनेके लिए शंकराचार्यजीके मार्गदर्शनकी आवश्यकता है । भविष्यमें हम सब उनके मार्गदर्शनके अनुसार आचरण करेंगे ।

शंकराचार्यजीके आशीर्वादसे गोमंतककी धर्मभावना बढेगी ! – श्री. अनंत शेट, उपसभापति, गोवा विधानसभा

शंकराचार्यजीके आशीर्वाद मिलनेपर इस गोमंतक भूमिमें धर्मभावना एवं बंधुभाव बढेगा । इसमें कोई संदेह नहीं है कि शंकराचार्यजीकी उपस्थितिसे पूरे गोमंतकमें अच्छी प्रवृत्तिका विकासबढेगी होगा । संत एवं ईश्वरके आशीर्वादसे हमें दिशा मिलती है । शंकराचार्यजीकी उपस्थिति हम गोमंतकियोंके लिए बडा शुभ अवसर सिद्ध हुआ है । इस अवसरका हम सब लाभ उठाएं । 

धर्म एवं राष्ट्रकी रक्षाके लिए शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज सर्वत्र भ्रमण कर रहे हैं ! – आचार्य जम्मन शास्त्री

पुरी पीठ परिषदके उपाध्यक्ष आचार्य जम्मन शास्त्रीने पुरी पीठके विषयमें जानकारी देते हुए कहा कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज धर्म एवं राष्ट्रकी रक्षाके लिए पूरे भारत एवं  विदेशमें भ्रमण कर रहे हैं । पीठद्वारा आदित्यवाहिनी एवं आनंदवाहिनीके माध्यमसे राष्ट्रोत्कर्ष करनेके विविध उपक्रम चलाए  जाते हैं । विज्ञान वैदिक गणितकी देन है । संगठनको आध्यात्मिक गुरुका बल रहना अत्यधिक अच्छी बात है । आध्यात्मिक मार्गदर्शन लेकर किया गया कार्य निाqश्चत रूपसे सफल होता है । सनातन संस्था एवं हिंदू जनजागृति समितिके प्रयासोंको जनताका सहयोग प्राप्त होता है । यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान समयमें हिंदुओंकी उदारताको उनकी दुर्बलता समझा जाता है । भविष्यमें भारत निश्चित रूपसे विश्वश्वगुरूरु बनेगा । नेपालके ‘हिंदू राष्ट्र’ होने हेतु शंकराचार्यजी प्रयास कर रहे हैं ।

हिंदू जनजागृति समिति  ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु हिंदुओंका संगठन करनेका प्रयास कर रही है ! -श्री. नागेश गाडे, हिंदू जनजागृति समिति

हिंदू जनजागृति समितिके श्री. नागेश गाडेने विशाल धर्मसभाका उद्देश्य बताते हुए कहा कि भारतभूमि स्वयंभू ‘हिंदू राष्ट्र’ होते हुए भी कुछ लोगोंने उसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया है । अतः इस देशकी अवनति हो रही है । इसे रोकने हेतु ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करनेकी आवश्यकता है । हिंदू जनजागृति समिति ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु हिंदुओोंको संगठिनत करनेका प्रयास कर रही है । इस कार्यको शंकराचार्यजीके आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु सभाका  आयोजन किया गया है । पिछले वर्ष हिंदू जनजागृति समितिकी दशकपूर्ति समारोह संपन्न होते समय प्रयाग (अलाहाबाद) के महाकुंभमेलेमें श्रीमद् शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजने हिंदू जनजागृति समितिको पुरी पीठकी मित्र संस्थाके रूपमें उद्घोषित किया था । वास्तवमें शांकरपीठके समक्ष हिंदू जनजागृति समिति एक बालक संस्था है । हिंदू जनजागृति समितिद्वारा पिछले ग्यारह वर्षोंसे भडकती हुई ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करनेके यज्ञवेदीकी ज्वलज्जहाल ज्वाला अब केवल भारतवर्षतक ही सीमित नहीं हैं, अपितु एकताका संदेश लेकर देश-विदेशके हिंदुओंतक एकताका संदेश लेकर पहुंच गई हैं। इस यज्ञकुंडका प्रथम अवसर पर्व समाप्त हो गया है तथा दूसरा पर्व अगले एकादश वर्षोंके उपरांत २०२३ में ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित होनेके पश्चात ही समाप्त होगा ।

हिंदूनिष्ठ संगठनोंके विरोधमें होनेवाले षडयंत्र विफल करना चाहिए ! – श्री. संगम बोरकर, सनातन संस्था

सनातन संस्थाके गोवा राज्य प्रमुख श्री. संगम बोरकरने कहा कि धार्मिक, राष्ट्रीय एवं सामाजिक समस्याओंपर धर्माधिष्ठित ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करना ही एकमात्र उपाय है । धर्माचरणी समाज ही ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित कर सकता है । सनातन संस्था धर्माचरणी समाज स्थापित करने हेतु प्रयास कर रही है । ऐसी सनातन संस्थापर प्रतिबंध लगानेका प्रयास किया जा रहा है । अन्य हिंदूनिष्ठ संगठनोंके विरोधमें ऐसा ही षडयंत्र चल रहा है । हमें इस षडयंत्रको विफल करना चाहिए ।

मान्यवरोंके अभिप्राय

जगद्गुरूरु शंकराचार्यजीका मडकई गांवमें आगमन होनेसे सेवाका अवसर मिला तथा आनंद हुआ ! – श्री. शैलेंद्र पणजीकर, सरपंच, मडकई पंचायत

जगद्गुरु शंकराचार्य हमारे गांवमें आए । इसलिए आनंद हुआ तथा इस निमित्त सेवाका अवसर मिला । उसीप्रकार इस कार्यके लिए नि:स्वार्थ रूपसे सहायता करना संभव हुआ । यह सब करने हेतु ग्रामवासियोंने भी सहयोग दिया । हिंदुओंके लिए अंतःकरणसे कुछ करनेकी ईच्छा होती है । हिंदुओंमें एकताकी भावना उत्पन्न होनी चाहिए ।

क्षणिकांए

१. सभास्थलपर शंकराचार्यजीका सभास्थलपर आगमन होनेपर उपस्थित लोगोंने खडे होकर उनहेंका वंदन किया ।
२. सूत्रसंचालक श्री. प्रभुदेसाईनेद्वारा जनसमुदायसे एकत्रित घोषणा देनेकी प्रार्थना करनेपर सभीने उत्स्फूर्त रुरूपसे हाथ उन्नत कर घोषणाएं दी ।
३. शिष्य आचार्य पंडित जम्मन शास्त्रीजीने घोषणा देकर एवं नामजप कर अपना मार्गदर्शन घोषणा देकर एवं नामजप कर आरंभ किया ।
४. सभास्थलपर पूर्वाम्नाय श्री गोवद्र्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरूरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजद्वारा लिखित ग्रंथोंकी प्रदर्शनी लगाई गई थी ।
५. सभाके अंतमें आद्य शंकराचार्यजीकी परंपरागत प्राप्त पवित्र पादुकाएं दर्शन हेतु रखी गई थीं ।

सभाके लिए उपस्थित मान्यवर

लोकप्रतिनिधि – श्री. सुदिन ढवळीकर, सार्वजनिक बांधकामनिर्माणकार्य मंत्री, गोवा राज्य; श्री. दीपक ढवळीकर, सहकारमंत्री, गोवा राज्य; श्री. अनंत शेट, उपसभापति, गोवा विधानसभा; श्री. श्रीपाद नाईक, सांसद, उत्तर गोवा, भाजपा; श्री. गणेश गांवकर, आमदार, सावर्डे मतदारसंघ, भाजपा; श्रीमती पौर्णिमा नाईक, सदस्य, जनपद परिषद; श्रीमती भारती नाईक, सरपंच, तलावली; श्री. शांताराम कोलवेकर, उपनगराध्यक्ष, फोंडा पालिका; श्रीमती सत्वशील नाईक, पंचसदस्य, कवले; श्री. शंकर बाळकृष्ण परब, पंचसदस्य, विर्नाडा; श्री. विनय चोपडेकर, सरपंच, पोंबुर्फा

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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