आषाढ कृ. ७, कलियुग वर्ष ५११४
डॉ. नील माधव दास, अध्यक्ष, तरुण हिंदू, झारखंड
निष्ठावान हिंदुओंके प्रभावी संगठनसे हिंदू राष्ट्रकी स्थापना निश्चितरूपसे होगी ! – डॉ. नील माधव दास, अध्यक्ष, तरुण हिंदू, झारखंड
स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था, ‘‘मुझे केवल २० निष्ठावान कार्यकर्ता मिल जाएं, तो हिंदु धर्म जगभरमें पहुंचाना मेरे लिए सहज संभव होगा ।’ आज भी ऐसे ही निष्ठावान कार्यकर्ताओंकी आवश्यकता है । उनके प्रभावी संगठनसे निश्चितरूपसे हिंदू राष्ट्रकी स्थापना होगी ।
* धर्मनिरपेक्ष अमेरिकाके राष्ट्राध्यक्ष उसपर आरुढ होनेसे पूर्व चर्चमें जाकर शपथ लेते हैं । वहां ईसाई धर्मगुरु उन्हें उपदेश देते हैं । इस देशमें संसदीय अधिवेशनका प्रारंभ बायबलके संदेश वाचनसे होता है । इंग्लैंडका प्रधानमंत्री ईसाई धर्मका ही होता है, वह कभी भी अन्य धर्मका नहीं होता है । इस जगमें नेपाल एवं भारत, इन दो देशोंको छोडकर सर्व देशोंपर किसी न किसी धर्मका प्रभाव है ।
* ‘वैटिकन सिटी’द्वारा भेजे हुए संदेशको जगभरके ईसाई स्वीकारते हैं । मुसलमानोंका भी ऐसा प्रभावी संगठन निर्माण हुआ है । वैसा हिंदुओंका प्रभावी संगठन अबतक नहीं हुआ है । देशके संविधानमें ‘विधर्मी’ शब्द जानबूझकर घुसेडा गया है ।
* स्वतंत्रताप्राप्तिसे लेकर अबतक, इन ६५ वर्षोंमें इस देशमें हिंदू हितैषी एक भी निर्णय नहीं लिया गया है । इस कारण हिंदू हितके लिए हिंदू राष्ट्रकी स्थापना होना अनिवार्य हो गया है ।
* ‘हिंदुत्व एवं राष्ट्रीयत्व, ये दो संकल्पनाएं भिन्न नहीं हैं’, ऐसा स्वामी विवेकानंद एवं महर्षि अरविंद घोषने कहा है । उसी प्रकार इस राष्ट्रकी संस्कृति एवं धर्म हिंदू धर्माधारित बननी चाहिए । तब ही हिंदू राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिकदृष्टिसे सक्षम बनेंगे ।