फाल्गुन कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६
वॉशिंगटन: अमरीकी कांग्रेस ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सख़्त पाबंदियों की मांग करते हुए कहा है कि दोनों देशों में सही मायने में तब तक कोई भी साझेदारी नहीं हो सकती जब तक पाकिस्तान सभी चरमपंथी संगठनों से अपने ताल्लुकात पूरी तरह ख़त्म नहीं करता।
कांग्रेस की प्रतिनिधि सभा में विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एड रॉयस और उपाध्यक्ष एलियट एंगल ने विदेश मंत्री जॉन केरी को पत्र लिखकर कहा है कि अमरीका की पाकिस्तान नीति में बड़े बदलाव की ज़रूरत है।
पाबंदी ?
उन्होंने लिखा है, “हम अनुरोध करते हैं कि आप पाकिस्तान पर आने-जाने की रोक लगाएं, उनको जो मदद दी जाती है उसके कुछ हिस्सों पर लगाम कसें और जिन पाकिस्तानी अधिकारियों के चरमपंथी संगठनों से संबंध हैं उन पर पाबंदियां लगाएं।”
रॉयस और एलियट एंगल के मुताबिक़ पाक सरकार ने अलक़ायदा और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कुछ क़दम उठाए हैं पर कई चरमपंथी संगठनों के ख़िलाफ़ कोई ख़ास कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने ऐसे संगठनो के रूप में लश्कर-ए-तैयबा, लश्कर-ए-झांगवी और जैश-ए-मोहम्मद के नाम लिए हैं।
लगाम कसेगी कांग्रेस?
प्रतिनिधि सभा में विदेश मामलों की समिति का कहना है,”यह नीति उस सोच के तहत है जिसमें समझा जाता है कि कुछ चरमपंथी संगठन भारत और अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान की विदेश नीति के काम आ सकते हैं।”
समिति काफ़ी अहमियत रखती है। इसके अध्यक्ष रिपब्लिकन हैं और उपाध्यक्ष डैमोक्रेट हैं इसलिए इसे दोनों पार्टियों का प्रतिनिधित्व हासिल है। उन्होंने हक्कानी नेटवर्क पर जल्द पाबंदी लगाने के पाकिस्तान के ऐलान का स्वागत किया पर साथ ही कहा, “हमें शक है कि इससे पाकिस्तान की नीति में कोई ख़ास तब्दीली आएगी।”
उनके मुताबिक़, “आख़िर लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे गुटों पर पाबंदी है लेकिन उसके लोग आज़ादी से घूम रहे हैं। कुछ दिन पहले २५ जनवरी को कराची में जमात उद दावा की रैली हुई जिसे देखकर लगा रहा था कि हुकूमत ने उसकी मंज़ूरी दे रखी है।”
‘बदलाव ज़रूरी’
कांग्रेस की प्रतिनिधि सभा में विदेश मामलों की समिति के इन वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि पाकिस्तान खुद भी चरमपंथ का शिकार है। २०१३ में ३००० से ज़्यादा पाकिस्तानी नागरिक चरमपंथी गतविधियों में मारे गए। समिति के मुताबिक़ पाकिस्तान को सही मायने में अपने लोगों की ज़िंदगी बेहतर करनी है तो उसके नेताओं को पुरानी नीतियां बदलनी होंगी।
विदेश विभाग प्रवक्ता जेन साकी ने इस पर प्रतिक्रिया दी है कि उन्होंने फ़िलहाल यह ख़त नहीं देखा है और न वह इसकी पुष्टि कर सकती हैं कि विदेश मंत्री जॉन केरी ने उसे देखा है। उनका कहना था कि कांग्रेस के इस पत्र का जवाब दिया जाएगा।
इसके पहले भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की टेलीफ़ोन पर बातचीत का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में बेहतरी पूरे दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के लिए अहम है।
स्त्रोत: बी बी सी