मार्गशीर्ष कृष्ण ९ , कलियुग वर्ष ५११५
पुणेमें जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराजजीकी वार्ताकार परिषदको वार्ताकारोंका उत्स्फूर्त प्रतिसाद !
वार्ताकारोंको संबोधित करते हुए श्रीमत् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदसरस्वती महाराज |
वार्ताकार परिषदमें बडी संख्यामें उपस्थित विविध दैनिक एवं वृत्तवाहिनियोंके प्रतिनिधि |
पुणे (वार्ता.) – परंपरागत विविध स्थानोंपर आयोजित कुंभमेलोंका अनन्यसाधारण महत्त्व है । प्रयाग के कुंभमेलेमें कुल ३ कोटि भक्तोंने स्नान किया । कुंभमेला हिंदुओंकी श्रद्धाका केंद्र है । एक ही समय ३ कोटि श्रद्धालु स्नान करते हैं, यह देखकर अमेरिका भी आश्चर्य करती है । लोकशाहीमें अध्यात्मका कोई स्थान नहीं । अत: कुंभमेलेका विरोध किया जाता है । प्रशासन भले ही कुंभमेले हेतु कोट्यवधि रुपये सम्मत करे, किंतु प्रशासन उसका सदुपयोग करे । कुंभमेलेमें दुर्घटना न हो, इस हेतु सुरक्षाकी पर्यायी व्यवस्था करनी चाहिए । संपूर्ण विश्वमें कुंभमेले जैसा महोत्सव कहीं भी नहीं मनाया जाता । अत: कुंभमेलेको अधिकाधिक महत्त्व देना आवश्यक है, पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ, पुरी पीठाधीश्वर, श्रीमत् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज जी ने यहां ऐसा प्रतिपादन किया ।
यहांके विणकर सभागृहमें हिंदू जनजागृति समितिकी ओरसे २६ नवंबरको दोपहर १२ से २ की कालावधिमें आयोजित वार्ताकार परिषदमें जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने वार्ताकारोंको संबोधित किया । इस अवसरपर विविध वृत्तवाहिनियां तथा वृत्तपत्रोंके २६ वार्ताकार उपस्थित थे । शंकराचार्यजीके साथ उनके निजी सचिव स्वामी निर्विकल्पानंद सरस्वती, तथा पीठ परिषदके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आचार्य जम्मन शास्त्री उपस्थित थे ।
जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने कहा, …
१. धार्मिकताके नामपर सर्वत्र दंगे होते हैं, राजनैतिक दलोंद्वारा ऐसा अपप्रचार किया जाता है । प्रत्येक दंगेको राजनैतिक छटा प्राप्त होती है । धर्मके नामपर दंगे नहीं होते । राजनैतिक दंगे कराकर समाजमें विद्वेष फैलनेका काम राजनैतिक पक्ष करते हैं । उससे उन्हें राजनैतिक लाभ होता है । अत: स्वयंके राजनैतिक स्वार्थ हेतु पवित्र कुंभमेला आदि महोत्सवोंमें हिंसा कर राजनैतिक स्वार्थ सिद्ध किया जाता है । राजनैतिक पक्षोंका ऐसा करना अनुचित है ।
२. गुजरातके मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीको प्रधानमंत्रीपद देनेके विषयमें पूछे गए प्रश्नका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, मैं किसी भी राजनैतिक पक्षसे नहीं हूं । सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, समृद्ध, सेवापरायण, स्वस्थ (समाधानकारक) समाजरचना स्थापित करनी चाहिए तथा सत्ता, लोभ, दिशाहीनता जैसे राजनैतिक बंधन नहीं होने चाहिए ।
३. अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियमके विषयमें पूछे गए प्रश्नोंके उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, क्या राज्यके मुख्यमंत्री स्वयंको आध्यात्मिक गुरु मानने लगे हैं ? जिस विषयका हमें ज्ञान नहीं, उस संदर्भमें वे अधिनियम बना रहे हैं । हिंदू धर्म तथा संस्कृति धार्मिक, व्यावहारिक तथा वैज्ञानिक स्तरोंपर परिपूर्ण है । उसके अनुसार चलनेवाली कोट्यवधि परंपराएं एवं व्यवहार अंधश्रद्धा कैसे हो सकती हैं ? धर्माचार्य तथा अध्यात्मसे जानकार व्यक्तिका मत सोचे बिना यह अधिनियम पारित न करें ।
४. २६ नवंबरको मुंबईपर हुए आतंकवादी आक्रमणको ५ वर्ष पूर्ण होनेके अवसरपर उन्होंने कहा, सर्र्वप्रथम आतंकवाद फैलानेवाले राष्ट्रको पहचानकर उस विषयमें देशके प्रधानमंत्रीद्वारा विषयमें ठोस भूमिका अपनानी आवश्यक है । दिशाहीन राजनीति तथा शासनकर्ताओंके कारण आज देशमें आतंकवाद फैला है ।
श्रीमत् शंकराचार्यजी द्वारा दिए गए वक्तव्य …
१. कांग्रेस तथा भाजपा प्रशासनने अबतक अपने निजी स्वार्थ हेतु राममंदिर निर्माण करनेका आश्वासन दिया है; किंतु राम मंदिर स्थापित नहीं किया । इस प्रश्नपर वे सदैव राजनीति करते आए हैं ।
२. इन दोनों पक्षोको राममंदिर निर्माण करनेकी मानसिकता एवं मनोबल नहीं। इसलिए अभीतक राममंदिर स्थापित नहीं हुआ ।
३. राजनैतिक पक्षोंकी स्वच्छता नहीं हुई अत: सर्वांर्ग स्वच्छता करने हेतु राज्यक्रांतिकी आवश्यकता है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात