फाल्गुन कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६
• लोगों, इस प्रकार से महत्त्वपूर्ण कार्य टालनेवाली स्थायी समिति के सदस्योंसे जहां भी भेंट हो, वहीं उन्हें फटकारें !
• क्या अन्य धर्मियोंके संदर्भ में प्रशासन इस प्रकार के कृत्य करने का दुस्साहस करता ?
नाशिक (महाराष्ट्र) : सिंहस्थ कुंभपर्व के कार्य के अंतर्गत आनेवाले गंगापुर पथ पर स्थायी मलनि:सारण केंद्र, पारंपरिक शाही मार्ग तथा मालेगांव स्थानक (स्टैंड) तेसरदार चौक, इस मार्ग की चौडाई के प्रस्ताव को महानगरपालिका की स्थायी समिति ने अस्वीकृति दी है। इस कार्य के भूसंपादन हेतु स्थायी समिति जनपद भूसंपादन कार्यालय को इससे पूर्व ही प्रस्तुत किए गए १७ करोड ६६ लक्ष रुपए को अन्य कार्य हेतु उपयोग करने की अस्वीकृति देती है; किंतु इस समिति द्वारा सिंहस्थविषयक अन्य सात कार्योंके लिए लगभग ३७ करोड ५५ लक्ष रुपए का उपयोग करने की स्वीकृति प्रदर्शित करती है। (इतने महत्त्वपूर्ण कार्य को अनदेखा क्यों किया जा रहा है ? स्थायी समितिद्वारा जनता के सामने इस का कारण भी प्रस्तुत किया जाना चाहिए। हिन्दुओंमें संगठन के अभाव के कारण ही यह सब हो रहा है ! इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. महानगरपालिका द्वारा जनपद भूसंपादन अधिकारी को प्रस्तुत पृथक भूसंपादन के प्रस्तावों में, नया भूसंपादन अधिनियम लागू होने के कारण, ऐसे ६५ प्रस्ताव निरस्त सिद्ध किए गए हैं।
२. अतः११ फरवरी को स्थायी समिति की बैठक में इस भूसंपादन हेतु धरोहर (अनामत) के रूप में पूर्ति किए गए ५५ करोड २२ लक्ष रुपए सिंहस्थ के अन्य कार्य के भूसंपादन हेतु उपयोग करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।
३. उस समय राहुल दिवे ने बताया कि स्थायी समिति द्वारा इससे पूर्व ही गंगापुर पथ पर स्थित मलनि:सारण केंद्र तथा पारंपरिक शाही मार्ग की १२ मीटर चौडाई का प्रस्ताव अस्वीकृत किया गया है। गंगापुर पथ पर स्थित मलनिःसारण केंद्र हेतु प्रस्तावित क्षेत्र गड्ढे में है, अतः वह क्षेत्र उपयुक्त नहीं है। यह बात आयुक्तोंद्वारा भी स्वीकार की गई है। मालेगांव स्टैंड से सरदार चौक के मार्ग की चौडाई का भी प्रस्ताव स्वीकृत करना उचित नहीं होगा; अतः ये तीनों प्रस्ताव निरस्त कर अन्य सात कार्योंके प्रस्तावोंके लिए इस धन का उपयोग करें।
४. शिवाजी गांगुर्डे, प्रा. कुणाल वाघ ने भी स्पष्ट किया कि ये तीनों प्रस्ताव अस्वीकार करें। तदनुसार सभापति राहुल ढिकले ने ये तीनों प्रस्ताव निरस्त कर उन कार्यों के लिए प्राप्त १७ करोड ६६ लक्ष रुपए का उपयोग करने की अस्वीकृति प्रदर्शित की।
५. इस बैठक में सदस्योंद्वारा यह परिवाद किया गया कि सिंहस्थ कार्य के नाम पर प्रभाग के नागरी कार्य की ओर अनदेखा हो रहा है। (जहां सिंहस्थ का ही कार्य नहीं हो रहा है, वहां यही नगरपालिका एक ही समय पर सिंहस्थ तथा नागरी कार्य कैसे कर सकती है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
६. सचिन मराठे ने यह आरोप लगाया है कि अधिकारियोंकी ओर से सिंहस्थ का भय उत्पन्न कर उसके नाम पर अन्य कार्य की धारिकाएं रोकी जाती हैं।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात