मार्गशीर्ष कृष्ण १० , कलियुग वर्ष ५११५
मंगलुरूमें एक दिनका हिंदू अधिवेशन
मंगलुरू : ‘तिरुपति भूवैकुंठ’ है । यहां धर्मांधोंकी संख्या ०.०५ प्रतिशत ही है, अत: वहां स्वतंत्र इस्लामिक विश्वविद्यालयकी क्या आवश्यकता ? केवल इतना ही नहीं, हाल ही में वहां कुछ आतंकवादी भी पाए गए हैं । अत: यह तिरुपतिकी सुरक्षाकी दृष्टिसे हानिकारक है । अवैध पद्धतिसे ६ तल्ले अट्टालिका निर्माण की जा रही थी, उस समय क्या प्रशासन सो रहा था ? समिति द्वारा तीव्र लडाईके फलस्वरूप जिलाधिकारीने ५ तल्ले गिरानेका आदेश दिया है । केवल इससे ही संतुष्ट न होकर समिति, वहां विश्वविद्यालय ही स्थापित न हो, इस हेतु भविष्यमें लडाई आरंभ ही रखेगी, हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेने ऐसा प्रतिपादन किया । हिंदू राष्ट्रकी स्थापना हेतु मंगलुुरूमें २४ नवंबरको एक दिनका हिंदू अधिवेशन आयोजित किया गया । वे उस अवसरपर बोल रहे थे ।
मुख्यप्राण देवस्थानके मुख्य पुजारी श्री. गुरुराज शास्त्री, भारत स्वाभिमान ट्रस्टके डा. ज्ञानेश्वर नायक, श्री. रमेश शिंदे तथा अधिवक्ता श्री. गणेश शेणै ने दीपप्रज्वलन कर हिंदू अधिवेशनका उद्घाटन किया । शंखनादसे प्रारंभ हुए इस अधिवेशनमें लगभग १५० हिंदू उपस्थित थे ।
भारतीय स्वदेशी उत्पादनोंका उपयोग करें ! – प्रसन्न कामत
आरंभमें समितिके श्री. प्रसन्न कामतने कहा, `विदेशियोंकी दृष्टिसे भारत केवल एक बजारपेठ है । अनेक उत्पादनोंको देसी नाम देकर भारतीयोंको धोखा दिया जाता है । हम भारतीयोंको विदेशी उत्पादनोंके पीछे न पडकर स्वदेशी उत्पादनोंका उपयोग करना चाहिए । ’
पाश्चात्त्य कुसंस्कारोंका विरोध करें ! – मोहन गौडा
श्री. मोहन गौडाने कहा, `हिंदूविरोधी दल अंधश्रद्धाविरोधी विधेयक पारित करनेका प्रयास कर रहे हैं । इससे देवस्थानके सांस्कृतिक कृत्य, श्रद्धाकेंद्र का विरोध होकर विदेशी कुसंस्कारोंका बीजारोपण करनेका प्रयास चल रहा है । तत्परतासे इसका निषेध करना चाहिए’ ।
हिंदूविरोधी अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियमका सर्वानुमतसे विरोध
मंगलुरू : यहां २४ नवंबरको आयोजित हिंदू अधिवेशनके दोपहरके सत्रमें अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियमके संदर्भमें गुटचर्चा की गई । उसमें सारे हिंदुत्ववादियोंने सक्रिय सहभाग लिया । इसमें साम्मिलित सारे धमाभिमानियोंने इसका विरोध करनेकी घोषणा की । मंगलुरू हिंदू अधिवेशनसे कुछ महत्त्वपूर्ण क्षणचित्र
१. अधिवेशनमें उपास्थित धर्माभिमानी श्री. उदय कुमारने धर्म हेतु प्रतिदिन अलग रखी राशि एकत्रित कर समितिको अर्पण की तथा सबसे इसी प्रकार धन अर्पण करनेको कहा ।
२. अधिवेशन सभागृहमें दो पुलिसवाले साधारण पोशाकमें आकर बैठे थे । उन्हें बाहर जानेको बोला गया । भोजनके पश्चात दो पुलिसकी पोशाकमें आए । उन्हें भी बाहर जानेको कहा गया । शाम ५ बजे पुन: एक पुलिसवाला आया । उसे भी बाहर जानेको कहा गया । (शीघ्र ही इस विषयका विस्तृत वृत्त प्रसिद्ध कर रहे हैं । )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात