मार्गशीर्ष कृष्ण १० , कलियुग वर्ष ५११५
भारतके उपराष्ट्रपति हमीद अन्सारीका उर्दूके विषयमें आशावाद
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ठाणे(महाराष्ट्र) : २६ नवंबर – भिवंडीमें कोकण मुस्लिम एज्युकेशन सोसाइटीद्वारा ‘उर्दूका स्थान’ इस विषयपर एक परिषद आयोजित की गई । इस परिषदके उद्घाटनके अवसरपर बोलते हुए भारतके उपराष्ट्रपति मोहम्मद हमीद अन्सारीने ऐसी आशा व्यक्त की कि उर्दू विश्वकी भाषा हो गई है । उसे यदि रोजगारके साथ जोड दिया गया, तो २१ वें शतकमें भी वह अधिक उन्नत भाषा होगी । (दिनको सपना देखनेवाले भारतके उपराष्ट्रपति ! कितने हिंदू लोकप्रतिनिधि, प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति सार्वजनिक कार्यक्रमोंमें संस्कृतके विषयमें ऐसे उद्गार व्यक्त करते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
अन्सारीने कहा कि किसी भी बोलनेवाली भाषाका धर्म नहीं होता उर्दू भाषामें एक मिठास है । यह प्रेम तथा मित्रताकी भाषा है । (क्या अन्सारी बताएंगे कि यह भाषा बोलनेवाले कितने लोगोंसे मित्रता करते हैं तथा कितने लोगोंका विश्वासघात करते हैं, ? – संपादक, दैनिक सनातन )
इस भाषापर अनेक बार संकट आया; परंतु इस देशके धर्मांधोंने उसे निरंतर जीवित रखनेका कार्य किया है । उर्दू भाषा अब जागतिक स्तरकी भाषा बन गई है, तथा महाराष्ट्रद्वारा उसे जीवित रखनेका बहुत बडा कार्य किया गया है । इसी भाषाने धर्मांध एवं हिंदुओंको एकत्रित लाकर अच्छा जीवन जीनेका संदेश दिया है । विश्वमें उर्दू भाषाका छठा क्रमांक है । यदि उसका प्रचार एवं प्रसार करना है, तो प्रत्येक घरमें उर्दू बोलना चाहिए । बच्चोंको विद्यालयमें उर्दू भाषाकी शिक्षा देनी चाहिए । (धर्मांधोंद्वारा हिंदुओंपर होनेवाले तथा जिहादी आतंकवादी आक्रमणोंके कारण शीघ्रही पाकिस्तान तथा बांग्लादेशके समान भारतका इस्लामीस्तान होगा एवं पश्चात प्रत्येक घरमें उर्दू ही बोली जाएगी तथा विद्यालयमें भी उर्दूमें ही शिक्षा दी जाएगी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात