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हिंदुओ, संगठित होकर अपने धर्मकी रक्षा करें ! – महामना पंडित मदनमोहन मालवीय

मार्गशीर्ष कृष्ण १० , कलियुग वर्ष ५११५ 

हिंदू शक्तिकी जागृति हेतु हिंदू संगठनकी आवश्यकता ! 


पंडित मदनमोहन मालवीय

१. केवल हिंदू धर्म ही विश्वका मार्ग दर्शन करेगा ! 

संपूर्ण विश्वमें केवल हिंदू धर्म ही है, जिसने धार्मिक तथा दार्शनिक सिद्धांतोंको व्यावहारिक रूप दिया है । यही एक धर्म है, जो आत्माके अमरत्वमें विश्वास करता है । इतना ही नहीं, अपितु अनेकतामें भी प्रत्यक्ष एकता देखता है । ये ऐसे तत्त्व हैं, जिन्हें संपूर्ण विश्व आज नहीं, तो कल, कल नहीं, तो परसों स्वीकार करेगा ही । उनकी आवश्यकता अनुभव करेगा । एक दिन संपूर्ण विश्वको अध्यात्मकी ओर प्रवृत्त होना ही पडेगा । उस समय यही हिंदू धर्म विश्वका मार्ग दर्शन करेगा । यदि हिंदू धर्म ही नष्ट हुआ, तो क्या होगा ? मानवजातिको पुन: क, ख, ग… से आरंभ करना पडेगा ।

२. लोग हिंदू धर्मका चिंतन न कर उसकी उपेक्षा करते हैं !

लोग कुछ भी न समझकर हिंदू धर्मका खंडन करते हैं । वे इसकी गहनताका अनुमान किए बिना ही शास्त्रोंका उपहास करते हैं । 

३. हिंदू धर्मकी रक्षा करना, विश्वका कर्तव्य है । 
४. हिंदुत्वका परित्याग कर भारतीय राष्ट्रीयता जीवित नहीं रह सकती !

हिंदुत्वका परित्याग कर भारतीय राष्ट्रीयता जीवित नहीं रह सकती । राष्ट्रीयताका आधार सुरक्षित रहना चाहिए । यहां संकीर्णता तथा दुर्बलता दोनों
 अपेक्षित नहीं; क्योंकि आदर्शकी प्रतिष्ठा उसीद्वारा, अर्थात हिंदुत्वद्वारा ही होती है । 

५. केवल ऋषिकी तपश्चर्यासे ही हिंदू धर्म जीवित !

बबूलके वृक्ष जैसे हिंदू धर्मकी जडें नीचेतक तथा दूरदूरतक पैâली हैं । ऋषिके तपोबलसे, तथा केवल हवा एवं पानी पीकर की गई तपश्चर्यासे इसकी रक्षा की; इसीसे यह कल्पलता आज भी हरीभरी है । उन्हीकी तपश्चर्यासे हिंदू धर्म आज भी जीवित है । यहां अनेक धर्म आए, सहस्रों आक्रमण हुए, किंतु परमात्माकी कृपासे हिंदू धर्म आज भी जीवित है । 

६. सहिष्णु हिंदू धर्म उसकी रक्षा हेतु समयपर प्राणोंका बलिदान देनेका आदेश भी देता है !

उत्तमः सर्वधर्माणां हिन्दु धर्मोऽयमुच्यते । 
रक्ष्यः प्रचारणीयश्च सर्वलोकहितैषिभिः ? 

अर्थ : सारे धर्मोंमें हिंदू धर्मको उत्तम माना गया है । सारे हितचिंतकोंको उसकी रक्षा तथा प्रचार करना आवश्यक है । यह धर्म हमें दूसरोंके मतोंका सम्मान करना सिखाता है, तथा सहनशील बननेकी शिक्षा देता है । यह किसीपर आक्रमण करनेकी शिक्षा नहीं देता; किंतु यह आदेश भी देता है कि यदि कोई आपके धर्मपर आक्रमण करे, तो उसकी रक्षा हेतु अपने प्राणोंका बलिदान देनेमें आगे-पीछे न देखें । 

७. हिंदू शक्तिकी जागृति हेतु हिंदू संगठनकी आवश्यकता ! 

हमें हिंदुशक्ति जागृत करनी है । इससे हमपर कोई हाथ उठा न सकेगा । उस शक्तिको जागृत करना है । जिससे हम इस धरतीपर सीना तानकर तथा स्वाभिमानसे चल सकें । इसी हेतु हिंदू संगठनकी आवश्यकता है ।

८. प्राणियोंकी भी चिंता करनेवाला हिंदू धर्म विश्वके सारे धर्मोंमें दयालु !

हिंदू धर्म विश्वके सारे धर्मोमें दयालु है, यह कौन नहीं जानता ? क्या इतनी उदारता अन्य किसी धर्ममें है ? क्या अन्य किसी धर्ममें हिंदू धर्मानुसार प्राणियोंकी चिंता करनेके विषयमें बताया गया है ? इसके पश्चात हिंदू स्वयंको अहिंदु बनानेके चक्करमें क्यों हैं ? 

(संदर्भ : मासिक ऋषी प्रसाद, मई २०१३)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

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