राजनैतिक पक्ष अध्यात्मिक नेतृत्व हेतु मार्गदर्शन नहीं लेते ! – शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस

मार्गशीर्ष कृष्ण १०, कलियुग वर्ष ५११५

राष्ट्र एवं धर्म कार्य करनेवाले व्यक्ति तथा प्रतिष्ठित व्यक्तियों हेतु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी का मार्गदर्शन प्रतिष्ठित व्यक्तियोंका मार्गदर्शन करते शंकराचार्यजी

पुणे – सारे राजनैतिक पक्ष विकासके नामपर हिंदुओंके श्रद्धास्थान एवं आस्थाओंका भंजन करनेमें ही अपनेको धन्य मानते हैं तथा ऐसे विकासके नामपर ही चुनाव लडे जा रहे हैं । विकासके नामपर जनताकी विचारपद्धति ही विकृत बनायी जा रही है, ऐसे लोगोंका हिंदुत्वसे कुछ भी लेना-देना शेष नहीं रहता है । गंगामाताको विकृत करनेवाले, रामसेतु विखंडित होने हेतु प्रयास करनेवाले, राममंदिर स्थापित करने हेतु आगे न आनेवाले अधिकतर हिंदू ही हैं । राजनैतिक व्यक्ति स्वयंको भाग्यविधाता समझकर धार्मिक क्षेत्रमें उनका अधिकार न होते हुए भी अतिक्रमण करते हैं । कोई भी राजनैतिक पक्ष आध्यात्मिक व्यक्तियोंका मार्गदर्शन प्राप्त करते नहीं दिखता है, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी ने ऐसा दुख व्यक्त किया । राष्ट्र एवं धर्म कार्य करनेवाले व्यक्ति, तथा प्रतिष्ठित व्यक्तियों हेतु यहांके विणकर सभागृहमें उनके मार्गदर्शनका आयोजन किया गया था । उस अवसरपर राष्ट्रएवं धर्म विषयक प्रश्नोंके उत्तर देते हुए उन्होंने यह प्रतिपादन किया ।

शंकराचार्यजीके कठोर बोल

  • विदेशी शासनकर्ताओंने भी रामसेतु तोडने हेतु जो योजना नहीं बनायी, वह स्वतंत्र भारतमें बनायी गई ।
  • भाजपाद्वारा भी हिंदुत्वकी उपेक्षा ही की जाती है, अत: किस आधारपर किस पक्षको हिंदुत्ववादी कहें ?
  • हिंदू संयुक्त परिवारपद्धति नष्ट होनेपर हिंदुत्व कैसे टिक पाएगा ?
  • भाजपा एवं कांग्रेसके हिंदूद्रोहके उदाहरण देते हुए मुझसे कुछ छुपता नहीं है, ऐसा कहकर शंकराचार्यजीने अपनी सर्वज्ञताकी पहचान करायी ।
  • वर्तमानमें चुनावका स्तर कौतुकागारके खेल (सर्कस) से भी नीचे गिर गया है ।
  • क्रांति करते समय भगवान हनुमानका स्मरण कर विजयश्री खींच लानी चाहिए । ६६ वर्ष पूर्वसे दिशाहीन शासनने हिंदुओंको चेतनाशून्य तथा विवेकशून्य बना दिया है ।

जगद्गुरु शंकराचार्यजीके रामनाथी आश्रममें निवासकी कालावधिमें वातावरणमें हुए परिवर्तन

१. जगद्गुरु शंकराचार्यजी जबतक रामनाथी आश्रममें थे तबतक आश्रमके वातावरणमें ठंडापन अनुभव होना तथा उनके प्रस्थानके पश्चात वातावरणमें नित्यकी तरह गर्मी अनुभव होना : २१.११.२०१३ को, अर्थात जगद्गुरु शंकराचार्यजीके रामनाथी आश्रममें आनेसे एक दिन पूर्व वातावरणमें नित्यसे थोडा अधिक ठंडा लगने लगा । २२.११.२०१३ को आद्य शंकराचार्यजीकी परंपराप्राप्त पादुकाओंके साथ उनका आश्रममें आगमन होनेपर ठंडापन अधिक लगने लगा । २४.११.२०१३ को शंकराचार्यजीके मडकई, गोवा स्थित धर्मसभा हेतु आश्रमसे बाहर जानेपर आश्रममें अनुभव होनेवाला ठंडापन अल्प हुआ । २५.११.२०१३ को शंकराचार्यजीका प्रस्थान होनेपर वातावरणमें नित्य की तरह गर्मी अनुभव होने लगी ।

२. तुलसीके पौधेपर असंख्य दैवी कणोंका दिखना : शंकराचार्यजीके कक्षके बाहर रखे तुलसीके पौधोंपर असंख्य दैवी कण दिखाई दिए । इन सूत्रोंका टंकलेखन करते समय मेरे चारों ओरका रज-तमका आवरण तथा गर्मी अल्प होकर मुझे ठंडापन अनुभव होने लगा ।
(ये सूत्र टंकलिखित करनेपर कलसे होनेवाले कष्ट न्यून हुए । सिरमें अनुभव होनेवाला भारीपन तथा संवेदनहीनता अल्प हुई । ) – श्रीमती रजनी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (२६.११.२०१३)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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