मार्गशीर्ष कृष्ण ११, कलियुग वर्ष ५११५
क्या तथाकथित बिशपको यह ज्ञात नहीं है कि अमेरिकाके राष्ट्राध्यक्ष तथा ब्रिटेनके प्रधानमंत्री इत्यादि ईसाई दीपावली मनाते हैं तथा वैटिकन चर्चद्वारा दीपावलीके अवसरपर शुभकामनाएं दी जाती हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं कि उनका विरोध करनेके स्थानपर हिंदुओंका विरोध करना सुलभ होनेके कारण बिशप इस प्रकारका विरोध कर रहे हों ?
सुवा (फिजी) – यहांसे समीप ही कूक आइलैंड देशके बिशपद्वारा हिंदुओंका दीपावली त्यौहार सार्वजनिक रूपसे मनाने हेतु विरोध किया गया है । कूक आइलैंड ईसाई राष्ट्र है । इस देशमें मूर्तिपूजाके रूपमें दीपावली समान जो त्यौहार है, उसे सार्वजनिक रूपसे मनाना ईसाई धर्मके अनुसार एक प्रकारकी ईश्वरकी निंदा ही है । इसलिए बिशपद्वारा इस त्यौहारपर प्रतिबंध लगानेकी मांग की गई है । (हिंदू धर्मद्वारा कभी किसी धर्मके त्यौहारों अथवा उपासनापद्धतिकी निंदा नहीं की गई अथवा किसी पंथके अस्तित्वके विषयमें आपत्ति नहीं उठाई गई है ; परंतु तथाकथित बिशप धर्मके आधारपर हिंदुओंके त्यौहारका विरोध कर अपने धर्मकी संकीर्णताको प्रदर्शित कर रहे हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
फिजी देशके ‘सनातन धर्म’ नामक हिंदुओंके सबसे बडे संगठनके महासचिव श्री. वीरेंद्र प्रकाशने ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि गलत धारणाओंके कारण बिशपद्वारा विरोध हुआ है । उन्होंने ऐसा भी कहा कि हिंदू वास्तवमें एकेश्वरवादी हैं । प्रत्येक व्यक्तिको अपने धर्मकी प्रथा-परंपराओंका पालन करनेका पूरा अधिकार है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात