मार्गशीर्ष कृष्ण ११, कलियुग वर्ष ५११५
प.पू. आसारामबापूजीपर लगाए आरोपोंके विरोधमें जंतरमंतरमें ४ सहस्र भक्तोंका आंदोलन
३० नवंबर और १ दिसंबरको पूरे देशमें प्रदर्शनप.पू. आसारामबापूजीके आश्रमोंद्वारा संचालित १ सहस्र २७६ समितियां पूरे भारतमें ३० नवंबर और १ दिसंबरको अनशन और प्रदर्शन करनेवाली हैं, ऐसी घोषणा की गई । इसी प्रकार प्रत्येक स्थानपर शासकीय अधिकारियोंको निवेदन दिया जानेवाला है । |
नई देहली – १७ नवंबरको देहलीके जंतरमंतरमें प.पू. आसारामबापूजीके आश्रमकी ओरसे भारत विश्वगुरु चेतना सभा और संत संमेलनका आयोजन किया गया था । इसमें पूरे देशसे ४ सहस्रोंसे भी अधिक भक्त सहभागी हुए थे । इन भक्तोंने प.पू. बापूजीपर किए आरोपोंका यहांपर विरोध किया । हिंदुत्वका विनाश करनेवालोंकी लंका जलानेका आवाहन इस समय किया गया । हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, संत महासभाके राष्ट्रीय अध्यक्ष पू. स्वामी चक्रपाणी, उदासीन अखाडेके महामंडलेश्वर परमात्मानंद स्वामी, पुराने अखाडेके नारायणगिरी स्वामी, कर्णावती (अहमदाबादके)के पू. संत बासू भाई, प.पू. बापूजीकी शिष्या तरुणा बहन, विहिंपके श्री. विजय भारद्वाज, ज्येष्ठ पत्रकार श्री. अवधेश, श्री. अखिलेश तिवारी, अधिवक्ता सुमन सिंह, हिंदू जनजागृति समितिके श्री. सुरेश मुंजाल आदि संत, महंत और मान्यवर इस समय उपस्थित थे ।
पू. नारायण साई शरणमें आ जाएं ! – पू. स्वामी चक्रपाणीद्वारा आवाहन
समाचारप्रणालोंके चर्चासत्रोंमें पू. नारायण साई पुलिसकी शरणमें क्यों नहीं आते ? ऐसा प्रश्न पूछा जाता है । उस समय हम निरूत्तर हो जाते हैं । इसलिए पू. नारायण साई पुलिसकी शरणमें आ जाएं, ऐसा आवाहन पू. स्वामी चक्रपाणीने किया । उन्होंने आगे कहा, प.पू. बापूजीद्वारा संचालित स्वदेशी आंदोलनके कारण संस्थानोंद्वारा षड्यंत्र रचकर प.पू. बापूजीको कारावासमें बंदी बनाया गया । यह ध्यानमें रखना चाहिए कि संघर्षके बिना इतिहासमें परिवर्तन नहीं होता ।
आपात्कालका सामना अर्जुनकी भांति करें ! – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे
पू. डॉ. पिंगळेजीने कहा, इतनी बडी संख्यामें तथा इस आपात्कालमें भी संगठितरूपमें उपस्थित रहना, यह बात प.पू. बापूजीके विरोधमें रचे षड्यंत्रका विफल होनेका ही दर्शक है । प.पू. बापूजीकी पत्नी तथा कन्यापर आरोप लगाए जानेकी बातका दुःख हो रहा है । प.पू. बापूजीके विरोधमें कुप्रचार करनेवाले प्रसारमाध्यमोंको पाठ पढानेके लिए समाचारप्रणालोंका बहिष्कार करना चाहिए, उनके स्वामियोंको पत्र भेजकर रोष प्रदर्शित करना चाहिए, प्रसारमाध्यमोंके ऐसे कार्यक्रमोंमें विज्ञापन देनेवाले संस्थानोंको पत्र भेजकर उनका बहिष्कार करनेकी चेतावनी देनी चाहिए । पू. डॉ. पिंगळेजीने आगे कहा, हमारे सामने भगवान श्रीरामके भक्त हनुमानजीका आदर्श है । हमें हमारे गुरुपर प्रगाढ श्रद्धा रखनी होगी और इस आपात्कालका सामना अर्जुनकी भांति करना होगा ।
पू. नारायण साईको इन्काऊंटरमें मारा जाएगा ! – श्री. अवधेशको चिंता
श्री. अवधेशने कहा, प.पू. बापूजीको कारावासमें भेजना, यह चुनौति है और यह चुनौति समय, समाज एवं कानूनकी सीमाओंको पार करनेकी मांग कर रही है । इस संकटकालका सामना रणनीति बनाकर किया जाना चाहिए । उनपर एक एक आरोप किए जा रहे हैं । इसके द्वारा एक दिन उनकी इन्काऊंटरमें हत्या भी हो सकती है । इसलिए आजके आंदोलनकी भांति अनेक आंदोलन जोधपुर, जयपुर, गांधीनगर इत्यादि नगरोंमें भी पुलिस थानोंके बाहर सहस्रो श्रद्धालुओंद्वारा साथमें आकर किए जाने चाहिए और शासकीय अधिकारियोंको निवेदन दिया जाना चाहिए ।
माला नहीं, भाला हाथमें लें ! – साध्वी तरुणा बहन
साध्वी तरुणा बहनजीने कहा, माला छोडकर भाला हाथमें लेनेका समय आया है । यह भाला किसीको मारता नहीं, अपितु संघर्षका स्मरण कराता है ।
श्री. अखिलेश तिवारीने आवाहन किया कि हिंदुत्वका विनाश करनेवालोंकी लंका जलानी है । सुमन सिंहने इस षड्यंत्रका विरोध करनेका आवाहन किया ।
कु. नारायण नामक १० वर्षके एक बालकने भी इस समय मार्गदर्शन किया । उसने कहा, त्रेतायुगमें भगवान श्रीरामके विरोधमें रावण, द्वापरयुगमें भगवान श्रीकृष्णके विरोधमें कंस थे, इसी प्रकार कलियुगमें प.पू. बापूजीके विरोधमें प्रसारमाध्यम हैं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात