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कांची शंकराचार्य जी पर लगाया गया आरोप एक ईसाई षड्यन्त्र था – अशोक सिंहल, विश्व हिन्दू परिषद्

मार्गशीर्ष कृष्ण ११, कलियुग वर्ष ५११५

इलाहाबाद पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य कांची स्वामी जयेन्द्र सरस्वतीजी को आज हत्या के आरोप से अदालत ने बरी कर दिया। अब यह स्पष्ट हो गया है कि २००४ की दीपावली की रात्रि के अन्धेरे में हैदराबाद के ईसाई मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी द्वारा उन्हें एक बड़े षड्यन्त्र के तहत गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी भारत के हिन्दू समाज के सर्वश्रेष्ठ महात्मा को अपमानित करने की दृष्टि से की गई। सोनिया जी जब से भारत में आयीं हैं वह हमारी धार्मिक सांस्कृतिक आस्थाओं को कुचलने में लगी हैं। २५०० वर्ष से ख्यातिनाम भारत का सर्वश्रेष्ठ शांकर मत जिसके आचार्यों को भगवान के समान ही हमारा समाज मानता आया है, उनको केवल अपमानित ही नहीं किया गया वरन् उनके प्रति समाज की श्रद्धा व सम्मान का मीडिया के द्वारा उपहास उड़ाया गया। यह कार्य योजनाबद्ध रूप से सन्तों, आचार्यों, महन्तों और महात्माओं के प्रति श्रद्धाआंे को समाप्त करने के लिए जानबूझ कर अपनाया गया खुलेआम ईसाई षड्यन्त्र था। उन्हें पता है कि भारत पर राज करने के लिए उन्हें सन्तों और हिन्दुत्ववादी संगठनों के आस्तित्व को समाप्त करना होगा। इसलिए उन्हें अपराधी बनाने का जिससे उन्हें समाज हेय दृष्टि से देखे यह एक ईसाई षड्यन्त्र था। स्वामी जी के बेदाग छूट जाने से अब यह षड्यंत्र पूर्ण रूप से उजागर हो गया है। प्रज्ञा भारती, असीमानन्द जी और अब तो मैं कह सकता हूं कि आसाराम बापू जिनके करोड़ों अनुयायी भारत में हैं उन्हें अपराधी घोषित करने का षड्यन्त्र किया जा रहा है। सोनिया जी के इस घृणित प्रयास को हिन्दू समाज कभी माफ नहीं कर सकेगा। उनको कभी न कभी इसका जवाब देना पड़ेगा। समय आ गया है, समाज सेक्युलरवाद का नारा लगाने वाली सोनिया जी और ऐसे ही नास्तिक संगठन जिसमें मुलायम सिंह जैसे अनेक नेता सेक्युलरवाद के नाम पर हिन्दू संस्कृति और मान्यताओं को कुचलने में लगे हैं उनसे पूरा समाज सचेत हो जाय और आने वाले संसदीय चुनाव के महाभारत में उनका पूर्ण सफाया कर दे। तभी हिन्दू समाज और हमारे सन्त सुरक्षित रह सकते हैं।

 

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