मुंबई (महाराष्ट्र), २४ फरवरी (वृत्तसंस्था) – मुंबईमें स्थित परलगांवमें चुनाव प्रचारके लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनाके कार्यकर्ताओंद्वारा प्रसारफेरीमें पथनाट्य प्रस्तुत किया गया । इसमें भगवान श्रीकृष्णका अनादर किया गया । यह ध्यानमें आते ही हिंदु जनजागृति समितिकी कार्यकर्ती कु. भक्ति दलवीने पथनाट्य स्थलपर जाकर मनसेके कार्यकर्ताओंका प्रबोधन किया एवं पथनाट्ययद्वारा होनेवाला अनादर रोका । मनसेके कार्यकर्ताओंने भी कु. भक्ति दलवीको सूचित किया कि वे पुनः ऐसा अनादर नहीं करेंगे । (हिंदुओंके श्रद्धास्थानोंका अनादर रोकनेवाली कु. भक्ति दलवीका अभिनंदन ! अन्य हिंदुओंको भी इससे सीख लेकर अपने श्रद्धास्थानोंका उपहास रोकना चाहिए ! – संपादक)
राजनीतिक पक्षोंद्वारा मुंबईमें अत्यधिक उत्साहसे प्रसार हो रहा था । इस अवसरपर मनसेके कार्यकर्ताओंद्वारा निकाली गई प्रसारफेरीमें पथनाट्यद्वारा उनके पक्षके प्रसारका नियोजन किया गया था । परलगांवमें पथनाट्य प्रस्तुत करते समय कार्यकर्ताओंद्वारा हिंदुओंके आराध्य दैवत भगवान श्रीकृष्णका अनादर किया गया । यह जानकारी प्राप्त मिलते ही समितिकी महिला कार्यकर्ता कु. भक्ति दलवीने बीमार होते हुए भी पथनाट्यस्थलपर जाकर मनसेके कार्यकर्ता श्री. निते शराणे एवं पथनाट्यके अन्य कलाकारोंसे जाकर मिलीं की भेंट ली और उनका प्रबोधन किया । उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकारसे श्रीकृष्णका अनादर करना अयोग्य है । आप मेरे समान असंख्य हिंदुओंके श्रद्धास्थानका अनादर कर रहे हैं । भगवानका अनादर कर मत प्राप्त करना असंभव है ।’’, ऐसा कहकर उनका प्रबोधन किया । तब श्रीकृष्णकी भूमिका निभानेवाले कलाकारने कहा, ‘‘यह पथनाट्य लोकनाट्यका केवल एक प्रकार है, और कुछ नहीं ।’’ इसपर कु. भक्ति दलवीने मनसेके कार्यकर्ताओंको फटकारते हुए कहा, ‘‘देवी-देवताओंका अनादर न करते हुए भी लोकनाट्य प्रस्तुत करना संभव है ।
जिस ईश्वरने पूरे विश्वकी निर्मिति की, उसे आप मुंबईमें रहनेवालोंके प्रश्न समझाकर बताते हो ?’’ अंतमें मनसे के कार्यकर्ताओंने कु. भक्तिद्वारा बताई गई सभी बातें मान्य कर उन्होंने कहा, ‘‘हम इस नाटकमें परिवर्तन कर नया नाटक प्रस्तुत करेंगे ।’’
पथनाट्यमें श्रीकृष्णका अनादर
पेंद्या : आप क्या कर रहे हो ?
श्रीकृष्ण : मैं बर्तन साफ कर रहा हूं ।
पेंद्या : यह तो कुछ भी नहीं, चलो आपको मुंबईमें रहनेवालोंकी समस्याएं बताता हूं ।
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दूसरे प्रसंगमें पेंद्या श्रीकृष्णको दुपहिएपर बिठाकर मुंबईमें लाता है ।
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एक प्रसंगमें श्रीकृष्णद्वारा, ‘‘मुंबईकी गोपिकाएं कितनी सुंदर हैं रे’’ ऐसा संवाद हुआ है ।
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श्रीकृष्ण बायां पैर तत्पश्चात् दाहिना पैर आगे-पीछे करते हुए नाचता है । तब पेंद्या कहता है कि इस प्रकार कांग्रेस समान दाएं-बाएं क्यों करता है ?
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात