मार्गशीर्ष कृष्ण ११ , कलियुग वर्ष ५११५
राष्ट्र एवं धर्मकार्य करनेवाले व्यक्ति एवं मान्यवरोंके लिए शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजीका मार्गदर्शन
पुणे (वार्ता.) – यहांके विणकर सभागृहमें २६ नवंबरको संध्या समय ५ से ७ की कालावधिमें राष्ट्र एवं धर्मकार्य करनेवाले व्यक्ति तथा मान्यवरोंके लिए मार्गदर्शन आयोजित किया गया था । इस समय राष्ट्र एवं धर्म विषयक प्रश्नोंके उत्तरमें मार्गदर्शन करते हुए पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ, पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजीने प्रतिपादित किया कि रामदासस्वामी तथा संत तुकाराम महाराज शंकराचार्यजीको गुरुके रूपमें मानते थे । उस समय जीहादीयोंद्वारा होनेवाला आक्रमण रोकने हेतु समर्थ रामदासस्वामीने २१ दिनतक शंकराचार्यजीसे विचार-विमर्श किया था । छत्रपति शिवाजी महाराजको आदर्श राष्ट्रभक्त मानकर मैं पंढरपुर गया था । उसीप्रकार महाराष्ट्रमें शिवसेना-भाजपा सत्तामें रहते समय छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मभूमिके विषयमें समस्या उत्पन्न होनेपर मैं मुंबई आया था । छत्रपति शिवाजी महाराजके संस्थान समयके किलोंपर स्थित मंदिरोंकी समस्याओंको सुलझानेके लिए परस्पर सामंजस्यसे विचार विमर्श करना आवश्यक है । इन मंदिरोंका पुनरुत्थान तथा संवर्धन करने हेतु तथा किलोंपर भग्नावस्थामें स्थित मंदिरोंकी समस्याओंपर समाधान ढूंढने हेतु मैं १० दिनोंके लिए महाराष्ट्रकी यात्रापर आनेके लिए सिद्ध हूं । महाराष्ट्र इसका लाभ उठाए ।
जगद्द्गुरु शंकराचार्यजीने कहा….
१. स्वस्थ (समाधानकारक) क्रांतिके लिए नियम, भावना तथा नीति शुद्ध होनी चाहिए । दिशाहीन शासनतंत्रके विरोधमें क्रांतिकी आवश्यकता है । देहलीका शासनतंत्र दिशाहीन था ।
२. प्रत्येक संप्रदाय तथा संस्थाको अपना अहंभाव अलग रखकर राष्ट्र एवं हिंदू धर्मसे संबंधित समस्याओंपर हल निकालनेके लिए एकत्रित होकर विचार-विमर्श करना चाहिए । वर्तमान समयमें सभी संस्थाएं एवं संप्रदाय केवल अपने हितकी ओर ध्यान देती हैं । हिंदुओंके लिए कोई कार्य नहीं करता तथा कोई अन्य संस्थाओंकी सहायता नहीं करता । इस प्रकारकी अडचनें हैं । अतः हिंदुओंका एकत्रीकरण एवं उनके संपर्कतंत्र सिद्ध नहीं हो सकते ।
३. वर्तमान समयमें हिंदुआेंपर मुसलमान एवं अन्य पंथोंद्वारा जितने अत्याचार हो रहे हैं, उतने अंग्रेजोंकी कालावधिमें भी नहीं होते थे । इसके लिए राजनेता उत्तरदायी हैं । राजनेताओंने हिंदुओंको दुर्बल बना दिया है ।
मूर्तिकी घिसाई न होने हेतु महाराष्ट्र सरकारने पंढरपुर, तुलजापुर तथा कोल्हापुरमें मूर्तियोंका अभिषेक न करनेका निर्णय लिया है । इस विषयमें जगद्गुरु शंकराचार्यजीने कहा कि संस्थानके समयके मंदिरोंकी मूर्तियोंके विषयमें जिनके सामने ऐसी समस्याएं हैं, वे मुझसे संपर्क करें ।
यदि सनातन संस्थासमान अन्य संस्थाओंने मुझे आमंत्रित किया, तो मैं महाराष्ट्रके लिए समय दूंगा ! – जगद्गुरु शंकराचार्य
इस वर्र्ष सनातन संस्थाने मुझे आमंत्रित कर मेरे विविध कार्यक्रमोंका आयोजन किया है । इसके लिए सनातन संस्थाने अपनी पूरी शक्ति लगा दी । उसीप्रकार महाराष्ट्रके लिए मैं अधिक समय देनेके लिए सिद्ध हूं । यदि महाराष्ट्र इसका लाभ उठाए, तो बडी बात होगी ।
स्त्रोत : दैनीक सनातन प्रभात