मार्गशीर्ष कृष्ण १२ , कलियुग वर्ष ५११५
११ मई २०१३ को सभी बंदियोंके लिए मूल्यशिक्षाका (Value Education) कार्यक्रम आयोजित किया गया था । उस समय प्रशासनने सभीको उपस्थित रहनेका निमंत्रण दिया था । मूल्यशिक्षा (Value Education) कार्यक्रमका आयोजन था, इसलिए मैं भी वह देखनेके लिए गया । उस समय ईसाईयोंद्वारा प्रार्थना कर एक मिनटमें व्याधि किस प्रकार ठीक कर सकते हैं, इसका प्रात्यक्षिक दिखाया गया तथा उसकेद्वारा सभीको फंसाकर ईसाई धर्मका प्रचार किस प्रकार किया गया, वह आगे प्रस्तुत कर रहे हैं ।
१. कार्यक्रमके आरंभमें आठ सदस्योंद्वारा येशुकी प्रार्थनापर आधारित गीत गाया जाना तथा एक महिलाद्वारा उपस्थित बंदियोंको नाचनेके लिए प्रवृत्त करना
सभागृहमें जानेके पश्चात मेरे ध्यानमें यह बात आई कि कार्यक्रम प्रस्तुत करनेके लिए उपस्थित ८ जन एक अशासकीय सामाजिक संस्थाके ((Non-Governmental Organization (NGO) सदस्य हैं । ये सदस्य नियमित रूपसे कारागृह आते हैं । ये सदस्य मंत्रालयके ((Prison Ministry के ) आदेशसे कारागृहमें कार्यक्रम करते हैं ।
कार्यक्रमके आरंभमें आठ सदस्योंद्वारा (उनमें २ महिला, १ पूर्णकालीन सदस्य, २ महाविद्यालयोंके प्राचार्य तथा ३ अन्य कार्यकर्ताओंद्वारा) वलयित खडे रहकर येशुकी प्रार्थना की गई । तदुपरांत उन्होंने अंग्रेजी भाषामें प्रार्थनापर आधारित गीत गाया । गीत गाते समय एक महिला उपस्थित बंदियोंको नाचनेके लिए प्रवृत्त कर रही थी एवं स्वयं भी नाच रही थी । उसके प्रभावसे कुछ बंदी भी नाचने लगे ।
२. प्रार्थनागीतके पश्चात फादरने बताया कि यदि किसीको कुछ दर्द है, तो वह एक मिनटमें ठीक हो जाएगा । तदुपरांत उन्होंने एक बंदीकी गर्दनपर हाथ रखकर येशुको प्रार्थना की तथा उसका दर्द ठीक हुआ या नहीं, यह भी पूछा । उनके हां कहनेपर उन्होंने बताया कि येशु ग्रेट है ।
२ – ३ गीत तथा प्रार्थनागीत होनेके पश्चात उनमेंसे एकने (बादमें इस बातका पता चला कि वह फादर हैं ।) यदि किसीको कुछ व्याधि है, तो वह एक मिनटमें ठीक कर देता हूं, यह बताकर व्याधिपीडितोंको आगे आनेके लिए बताया ।
जब एक बंदी सामने आया तथा उसने बताया कि गर्दनमें व्याधि हो रही है, तो दो कार्यकर्ताओंने उसकी गर्दनपर हाथ रखकर येशुको प्रार्थना की एवं उस बंदीका दर्द ठीक हुआ या नहीं, यह पूछा । उसपर उस बंदीने जब हां कहकर उत्तर दिया, तो तुरंत सभी कार्यकर्ता कहने लगे कि देखो, येशु ग्रेट है । उसने ही यह दर्द ठीक किया है । (इस प्रकार दो बंदियोंका दर्द ठीक किया ।)
३. फादरद्वारा की जानेवाली प्रतारणा देखकर मैंने बताया कि मुझे पीठदर्द है । फादरद्वारा येशुको प्रार्थना करनेके पश्चात भी मेरा पीठदर्द ठीक नहीं हुआ, ऐसा मैंने बताया ।
यह सर्व देखकर मुझे आश्चर्य हुआ । साथ ही यह वैâसे संभव है ?, इस प्रकारके विचार मेरे मनमें आने लगे । तब मैंने सोचा कि वे किस प्रकार फंसाते हैं, यह बात ज्ञात करेंगे । तदुपरांत ‘क्या किसीकी पीठमें दर्द है ?’ फादरके इस प्रश्नपर मैंने त्वरित हाथ ऊपर उठाया तथा भगवान श्रीकृष्णको प्रार्थना कर आगे गया, साथ ही मैंने श्रीकृष्णका नामजप भी आरंभ किया । फादरने मेरी पीठपर हाथ रखकर प्रार्थना आरंभ की । (ऊंची आवजमें की गई प्रार्थना इस प्रकार थी, ‘Oh ! Lord Jesus, remove the pain, remove the pain. give him the power…. Holelulu…) प्रार्थनाके पश्चात फादरने पूछा कि क्या दर्द ठीक हुआ ? मेरे `नहीं’ उत्तर देनेके पश्चात उसने पुनः प्रार्थना की । इस प्रकार ३ बार किया ।
४. तदुपरांत फादरने यह बताकर मुझे भगाया कि तेरा दर्द अपने आप ठीक हो जाएगा । आप िंचता नहीं करें । इस प्रकार ऐसे कार्यक्रमके माध्यमसे ईसाई धर्मप्रचार करनेकी बात ध्यानमें आई ।
अंतमें क्या करना चाहिए, इस बातका फादरको संभ्रम हुआ । अतः उसने मुझे बताया कि दर्द अपने आप ठीक हो जाएगा । आप चिंता नहीं करें । पश्चात उसने मुझे जानेके लिए बताया ।
इस प्रंसगद्वारा यह बात ध्यानमें आई कि ये लोग बंदियोंको फंसा रहे हैं तथा इस कार्यक्रमद्वारा अपने (ईसाई) धर्र्मका प्रचार कर रहे हैं ।
५. कार्यक्रमके संदर्भमें ईश्वरकी कृपासे ध्यानमें आए कुछ सूत्र…..
अ. कार्यक्रमके संदर्भमें कारागृहके अधीक्षकोंको भी यह बताया गया था कि यह कार्यक्रम मूल्यशिक्षाका (Value Education) कार्यक्रम है । साथ ही अधीक्षकोंको भी महाविद्यालमें अध्यापक आएंगे, यह बताकर एक प्रकारसे फंसाया गया था ।
आ. एक ईसाई महिलाने एक बंदीको अपना स्वयंका अनुभव बताया । उनक जिस आंखको व्याधि (मोतीबिंदू) हुई थी, उसके लिए उसे शल्यकर्म करना पडा था । अतः उसने भी इस प्रकारकी प्रार्थना कर व्याधि किस प्रकार ठीक कर सकते हैं, इसके बारेमें आश्चर्य व्यक्त किया ।
इ. इससे यह बात ध्यानमें आई कि यह कार्यक्रम निर्धन एवं अनपढ बंदियोंको एक प्रकारसे दिशाभ्रम करनेका षडयंत्र है ।
ई. इस कार्यक्रमके माध्यमसे निरंतर बंदियोंके मनपर यह अंकित किया जाता है कि येशु आपकी रक्षा करेंगे । साथ ही ईसाई धर्मका प्रचार किया गया ।
उ. कार्यक्रमके पश्चात बंदियोंको येशु एवं मरियमका एकत्रित छायाचित्र दिया गया । साथ ही यह बताया कि यह छायाचित्र तकिएके नीचे रखकर रात्रि सोनेसे पूर्व उसकी ओर देखकर प्रार्थना करना ।
ऊ. कारागृह प्रशासनद्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमके नामपर ईसाई धर्मका प्रचार किया जा रहा है ।
ए. कारागृहमें हर सप्ताहमें कारागृह मंत्रालयद्वारा इन कार्यक्रमोंका आयोजन किया जाता है ।
– एक बंदी
इस प्रकार कारागृहके साथ अनेक स्थानोंपर हर सप्ताहमें होनेवाले ईसाईकृत धर्मप्रचारको वैध मार्गसे विरोध करनेके लिए सर्व हिंदू क्रियाशील बनें । अन्यथा ईसाई लोग धर्मशिक्षाके अभावके कारण अनपढ एवं व्याधिपीडित हिंदुओंका धर्मांतरण करेंगे, यह बात ध्यानमें रखें एवं हिंदू धर्मरक्षा हेतु संगठित रहें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात