फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वितीया, कलियुग वर्ष ५११६
मुंबई – जमायत उलेमा के मुफ्ती महम्मद इलियास ने ऐसा वक्तव्य दिया है कि भगवान शंकर हमारे प्रथम प्रेषित (पैगंबर) हैं । यद्यपि उन्होंने दो धर्मों को समीप लाने की दृष्टिसे यह वक्तव्य दिया है, किंतु कितने कट्टरपंथी मौलाना इसे स्वीकार करेंगे, यह प्रश्न ही है । दूसरी बात यह कि हिन्दू धर्म का अभ्यास न रहने से कहीं उन्होंने अज्ञानता वश तो यह वक्तव्य नहीं दिया है । इस दृष्टि से यह स्पष्ट होना आवश्यक है कि इस्लाम धर्म के अनुसार खुदा अर्थात ईश्वर एवं प्रेषित अर्थात ईश्वर, अल्ला अथवा खुदा का दूत; परंतु हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान शिव का स्थान उच्च देवी-देवताओं में है । शिव साक्षात् ईश्वर हैं । हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार परमेश्वर, ईश्वर, अवतार एवं भगवान, देवताओं के ये स्तर हैं एवं संत उन के सगुण रूप माने जाते हैं । उसीप्रकार हिन्दू धर्म में साक्षात् ईश्वर ही अवतार लेते हैं । वे अपना प्रेषित नहीं भेजते । भगवान विष्णु ने राम-कृष्ण इत्यादि अवतार धारण किए तथा भगवान ने भगवद्गीता में कहा है कि वे पुनःपुनः अवतार लेंगे । मुफ्ती महम्मद इलियास को यह ध्यान में रखना चाहिए ।
मुफ्ती महम्मद इलियास ने आगे कहा है कि जिसप्रकार चीन में रहनेवाले चीनी, अमेरिका में रहनेवाले अमेरिकी होते हैं, उसी प्रकार हिन्दुस्थान में रहनेवाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है । उन का यह वक्तव्य निर्विवाद सत्य ही है । इस विश्व में १४०० वर्ष पूर्व एक भी मुसलमान, २१०० वर्ष पूर्व एक भी ईसाई, २८०० वर्ष पूर्व एक भी बौद्ध एवं जैन तथा ३५०० वर्ष पूर्व एक भी पारसी नहीं था; तो इससे पूर्व इस विश्व में कौन था ? केवल हिन्दू थे । हिन्दू धर्म अनादि एवं अनंत है एवं सब का मूल धर्म हिन्दू ही है ।
उन्होंने कहा कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ की संकल्पना को भी मुसलमानों का विरोध नहीं है । हम उनके दोनों ही वक्तव्यों का स्वागत करते हैं तथा सनातन संस्था उनका आवाहन करती है कि यदि इस विषय में उन्होंने भारत के अन्य मुसलमानों का भी प्रबोधन किया, तो सच्चे अर्थों में विश्व में शांति स्थापित होकर रहेगी ।
जमीयत के मुफ्ती का बयान ‘भगवान शंकर हमारे पहले पैगंबर’
सर्व मुसलमानों को ऐसा ही दृष्टिकोण रखना चाहिए । यदि मुसलमानों ने इसी विचारप्रणाली का सर्वत्र प्रसार किया, तो ही विश्व में शांति अबाधित रहेगी ! – सम्पादक
अयोध्या : जमीयत उलमा, बलरामपुर के सरपरस्त मुफ्ती मोहम्मद इलियास ने अयोध्या में शनिधाम में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भगवान शंकर हमारे पहले पैगंबर हैं। उन्होंने कहा कि शंकर और पार्वती हमारे मां-बाप हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने का हम विरोध नहीं करते हैं। जैसे चाइनीज व जापानी हैं। वैसे ही हम हिंदुस्तानी हैं। हम भी सनातनधर्मीं हैं।’
साथ ही जमीयत उलमा के मौलानाओं ने समाज की बुराइयों को खत्म करने व सामाजिक सौहार्द और एकता के लिए बलरामपुर में २७ फरवरी को आयोजित राष्ट्रीय कौमी एकता कॉन्फ्रेंस के लिए संतों को आमंत्रित किया। जमीयत उलमा ने इस दौरान आतंकवाद का पुतला फूंककर विरोध भी दर्ज कराया।
मौलानाओं ने कहा कि सभी को शास्त्र और शरीयत के हिसाब से चलना चाहिए। शनिधाम के स्वामी हरदयाल शास्त्री व श्रीराम जन्मभूमि के प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने भी अपने विचार रखे। जमीयत उलेमा ने कहा कि दुनिया का कोई मजहब हिंसा की इजाजत नहीं देता।
वहीं जमीयत उलमा के मुफ्ती मोहम्मद इलियास के बयान पर शहर के उलमा ने कहा है कि भगवान शंकर को मुसलमानों का पहला पैगंबर बताना उनका अपना विचार है। हर धर्म अपनी धार्मिक आस्था के आधार से समाज से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म को मानने वाले और मुस्लिम धर्म को मानने वालों का अलग-अलग इतिहास है और इसे किसी से जोड़ा नहीं जा सकता।
दूसरी ओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक ने कहा कि मुफ्ती मोहम्मद इलियास धर्म के नाम पर विवाद न खड़ा करें क्योंकि इस तरह के बयान से पहले वह हिंदू धर्म के बारे में जानें, क्योंकि शंकर भगवान हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र हैं।
स्त्रोत: पंजाब केसरी