आषाढ कृ. ७, कलियुग वर्ष ५११४
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रजनीश गोएंका, सनातन मंदिर संगठन, इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) |
हिंदुओंको धर्मके लिए केवल धन नहीं, अपितु समय देना भी आवश्यक है । – रजनीश गोएंका, सनातन मंदिर संगठन, इंद्रप्रस्थ (दिल्ली)
आज मुसलमानोंके मतोंके लिए राज्यकर्ता मुसलमानोंकी टोपियां पहनकर घूमते हैं । जिस दिन हिंदुओंकी मतपेटियां तैयार हो जाएंगी, उस दिन ये राज्यकर्ता मुसलमानोंकी टोपियां उतार फेंक हिंदुओंसमान शिखा रखेंगे । आज मुसलमानोंको किसी भी मार्गपर नमाज पढनेकी छूट है; परंतु हिंदुओंको मंदिरोंमें कोई कार्यक्रम आयोजित करनेके लिए सभीकी अनुमति लेना बंधनकारक होता है । हमें यह परिस्थिति बदलनी है । आज हिंदू धर्मकार्यसे दूर जा रहे हैं । जो कुछ भी श्रद्धालु हिंदू हैं, वे मंदिरोंमें धन देते हैं; परंतु अब हिंदुओंको धर्मके लिए केवल धन नहीं, अपितु समय देना भी आवश्यक है ।
मंदिरोंका व्यवस्थापन सिखानेके लिए अभ्यासक्रम चाहिए !
किसी औद्योगिक समूहका व्यवस्थापन कैसे चलाना है, आज इसकी शिक्षा ‘मास्टर्स ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट’ (एम्बीए) सिखानेवाले व्यवस्थापकीय केंद्र हैं; परंतु मंदिरोंका व्यवस्थापन चलानेके लिए भी इस प्रकारके ‘मंदिर व्यवस्थापन शास्त्र’ अभ्यासक्रम आरंभ करने चाहिए । शांघाई (चीन)में इस प्रकारके अभ्यासक्रम आरंभ होनेसे वहां ३८ भिक्षू शिक्षा ले रहे हैं ।