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सर्वोच्च न्यायालयद्वारा प्रसारमाध्यमोंपर दर्शाए जानेवाले समाचारोंपर नियंत्रण होनेके संदर्भ

मार्गशीर्ष कृष्ण १३ , कलियुग वर्ष ५११५ 

हिंदू जनजागृति समितिको कानूनी लडाईमें सफलता  !

नई देहली : हिंदू जनजागृति समितिद्वारा प्रसारमाध्यमोंसे प्रसारित होनेवाले समाचारोंपर नियंत्रण रखने हेतु स्वतंत्र तंत्र स्थापित करनेकी मांग करनेवाली जनहित याचिका प्रविष्ट की गई थी । इस विषयमें सुनवाई करते समय सर्वोच्च न्यायालयद्वारा केंद्रसरकार एवं ‘प्रेस कौन्सिल ऑफ इंडिया’को सूचनापत्र भेजा है । 
कुछ प्रसारमाध्यमोंद्वारा त्रुटिपूर्ण जानकारी प्रसारित करना, मीडिया ट्रायल (माध्यमोंद्वारा समांतर न्यायालय) चलाना, जानबूझकर व्यक्तिकी अपकीर्ति करना एवं अश्लील दृश्य तथा छायाचित्र दर्शाना ऐसे अयोग्य कृत्य किए जाते हैं । ऐसे प्रसारमाध्यमोंसे प्रसारित तत्सम समाचारोंके संदर्भमें नियंत्रण रखने हेतु कोई तंत्र कार्यरत नहीं है । इसलिए अन्यायपीडित व्यक्तिको न्याय नहीं मिलता । अतः हिंदू जनजागृति समितिद्वारा सर्वोच्च न्यायालयसे इस प्रकरणमें हस्तक्षेप करनेकी मांग की गई थी । इस संदर्भमें सरन्यायाधीश पी. सदाशिवम् एवं न्या. रंजन गोगोईके खंडपीठने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा कानून मंत्रालयको सूचनापत्र भेजकर उनका मत मंगाया है ।

हिंदू जनजागृति समितिद्वारा प्रविष्ट याचिकाके स्पष्ट सूत्र 

१. वर्तमान समयमें निस्संकोच रूपसे पेड न्यूज (पैसे देकर समाचार बताना) पद्धतिका उपयोग किया जा रहा है, जो अत्यधिक धोखादायी है ।
२. मीडिया ट्रायल अर्थात पुलिस जांच अथवा न्यायालयका निर्णय होनेसे पूर्व प्रसारमाध्यम किसीको अपराधी सिद्ध कर मुक्त हो जाते हैं, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है ।
३. वर्तमान समयका तंत्र सेल्फ रेग्युलेटरी मेकानिजम (हम करे सो कानून ) पद्धतिका रहनेसे वह बिल्कुल अपूर्ण है ।
४. वर्तमान समयका केबल एंड टेलीविजन नेटवर्किंग एक्ट कानून बिल्कुल अपूर्ण एवं पुराना है । इसमें अत्यधिक सुधार कर प्रसारमाध्यमोंपर नियंत्रण रखनेकी दृष्टिसे परिवर्तन करने चाहिए ।
५. सर्वोच्च न्यायालयको इस संदर्भमें मार्गदर्शक तत्त्व रखने चाहिए तथा यह प्रक्रिया होनेतक अथवा बनाए गए मार्गदर्शक तत्त्व कार्यान्वित होनेतक कोई उच्चस्तरीय समिति स्थापित कर उसके माध्यमसे प्रसारमाध्यमोंके संदर्भमें जो परिवाद आएं उनका निवारण करना चाहिए।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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