आषाढ कृ. ७, कलियुग वर्ष ५११४ भानुसप्तमी
लखेश्वर ब्रह्म आयुर्वेदिक ट्रस्ट के संस्थापक, गाजीपुर, उत्तरप्रदेश
हिंदु धर्मकी श्रेष्ठताको जाननेके उपरांत विश्वके बहुसंख्य अन्य पंथीय हिंदु धर्म स्वीकार रहे हैं; परंतु भारतमें हिंदु धर्मका भारी मात्रामें अपप्रचार किया जा रहा है । राजसत्ता एवं तंत्रज्ञानके माध्यमसे हिंदु धर्मके विरुद्ध षड्यंत्र रचा जा रहा है । इसके विरोधमें हिंंदुओंका अत्यंत वेगसे क्रियाशील होना आवश्यक है । आज विज्ञानके क्षेत्रमें नए-नए शोध लग रहे हैं । आनेवाले कालमें विज्ञानके दुरुपयोगसे भारी मात्रामें अराजकता निर्माण हो सकती है । इससे हिंदुओंको बचनेके लिए जो हिंदू संगणकके क्षेत्रमें शिक्षा ले रहे हैं, उसी प्रकार जिन्हें संगणकसे (कंप्यूटरसे) संबंधित तंज्ञत्रानकी जानकारी है, उन्हें उसका उपयोग हिंदु धर्म एवं हिंदू समाजकी रक्षाके लिए करना चाहिए । हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके मार्गमें आनेवाली अनेक अडचनोंमेंसे एक अडचन निधर्मी राज्यकर्ताओंकी है । इन राज्यकर्ताओंको नष्ट करना, अर्थात प्रजाको प्रधानता देनेवाले हिंदु राज्यकर्ताओंके हाथों सत्ता सौंपनेके लिए हिंदुओंमें मनपरिवर्तन होना आवश्यक है । हिंदुओंके मनपरिवर्तनसे ही सत्तापरिवर्तन हो सकता है ।
– पू. युश महाराज, वैज्ञानिक धार्मिक समाज संस्था एवं लखेश्वर ब्रह्म आयुर्वेदिक ट्रस्ट के संस्थापक, गाजीपुर, उत्तरप्रदेश.