मार्गशीर्ष शुक्ल १ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदु समहातीके अध्यक्ष श्री. तपन घोष |
नई देहली – बजरंग दलके तत्कालीन उत्तर भारत समन्वयक तथा वर्तमानमें हिंदू संहतिके संस्थापक प्रखर हिंदुत्ववादी श्री. तपन घोषको आंदोलन जैसे साधारण आरोपमें चलाए गए अभियोगसे पूरे १० वर्ष पश्चात मुक्त किया गया । इस अभियोगमें सम्मिलित होने हेतु श्री. घोषको कोलकाता से देहलीके ऐसे अनेक चक्कर लगाने पडे । (निरपराधोंपर अभियोग प्रविष्ट कर उनसे छल करनेकी घटनामें संबंधित पुलिस अधिकारीपर अब कार्यवाही होनी चाहिए तथा श्री. घोषको हुए सर्व प्रकारके कष्ट हेतु पूर्ति की जानी चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२००३ के मार्च माहमें उस समयके आंध्रप्रदेशके मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडूद्वारा विहिंप नेता डा. प्रवीण तोगडियाको भाग्यनगरमें प्रवेश बंदी करनेके निषेधमें श्री. तपन घोषने बजरंग दलके कुछ कार्यकर्ताओंके साथ देहली स्थित आंध्रभवनपर निदर्शन किए थे । ऐसे समय पुलिस निदर्शकोंको अपनी गाडियोंमें ले जाकर कहीं दूर छोड देती है । इस समय भी पुलिसने वैसा ही किया; किंतु चंद्राबाबू नायडूने केंद्रप्रशासनपर दबाव डालकर श्री. तपन घोष तथा ६ कार्यकर्ताओंको बंदी बनाकर अभियोग प्रविष्ट किया । उन्हें तुरंत प्रतिभू भी सम्मत हुआ । अंतमें १० वर्ष लंबे चले इस अभियोगसे सबको निर्दोष मुक्त किया गया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात