आषाढ कृ ८, कलियुग वर्ष ५११४
पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समितिका अस्तव्यस्त कार्यभार उजागर
कोल्हापुर,
१० जून (संवाददाता) – करवीर निवासिनी श्री महालक्ष्मी देवीके अलंकारोंका मूल्यांकन मंदिरमें दो दिनसे जारी है । जिन दो बंद कक्षोंमें यह कोश रखा गया है, उसमेंसे एक कक्षकी चाबी पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समितिकी ओरसे गुम हो गई है । अतः अब उस कक्षका द्वार पंचनामा कर पुलिस प्रबंधमें खोला जाएगा ।(आजतक पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समितिने एक भी कार्य उत्तम प्रकारसे पूर्ण नहीं किया है । अपितु समाचारपत्रिकाद्वारा समितिके अस्तव्यस्त कार्यभारको उजागर किया गया है । ऐसी समितिकी ओरसे अलंकार रखे गए कक्षकी चाबी पुनः प्राप्त होनेकी निश्चिति नहीं हैं । अतः हिंदुओंको ऐसी अकार्यक्षम समितिको हटाने हेतु संगठित होना आवश्यक हुआ है । –संपादक )इस संदर्भमें देवस्थान समितिके सचिव श्री. हनुमंत सूर्यवंशीने कहा, ‘‘ढूंढकर भी चाबी प्राप्त नहीं हुई, तो पुलिस पंचनामा कर ताला तोड दिया जाएगा ।’ ऐसा बताकर उन्होंने अपना दायित्व झटकनेका प्रयास किया है । (इस प्रकारका वक्तव्य करनेवाले एवं देवीके अलंकारोंके विषयमें गंभीरताका अभाव होनेवाले समितिके पदाधिकारी समितिका कारोबार किस पद्धतिसे करते होंगे, इसका विचार न करें, तो ही अच्छा ! हिंदुओं, ऐसे पदाधिकारियोंको सदाके लिए उनके घरका मार्ग दिखाकर हिंदू राष्ट्र (रामराज्य) स्थापित करने हेतु संगठित हो जाएं ! – संपादक) ताला तोडकर इस समस्याका समाधान होनेवाला नहीं, तो जिस अधिकारी अथवा कर्मचारियोंके पास यह चाबियां रहती थी, उन्होंने उत्तरदायित्व लेकर अपने पास वे क्यों नहीं रखी, ऐसा प्रश्न उपस्थित हुआ है ।
विगत ४० वर्षोंसे मंदिरके गर्भगृहके सामने ये दो कक्ष बंद अवस्थामें हैं । जिसमेंसे एक कक्षके द्वारपर बहुत बडा ताला लगा है । २०-३० वर्षोंसे इस तालेकी ओर किसीने देखा नहीं है; किंतु पिछले दो दिनोंसे इस कक्षके चाबीकी खोज देवस्थान समिति कर रही है । देवीके चरणोंपर अर्पण किए जानेवाले अलंकार प्रतिदिन इकठ्ठे किए जाते हैं एवं इस प्रकार प्रति माह अलंकारोंकी एक थैली बनाकर वह कोशागारमें रखी जाती है । एक वर्षमें बारह थैलियां सिद्ध होनेपर उसका एक खाना किया जाता है ।
‘देवीके अलाकारोंका मूल्यांकन होगा’, यह बात देवस्थान समितिको एवं कर्मचारियोंको पहलेसे ही ज्ञात थी । अतः उनकेद्वारा इस विषयमें सिद्धता कर द्वारकी चाबियां ढूंढकर रखना अपेक्षित था; परंतु ऐसा नहीं हुआ । इसीका अर्थ उन्हें मूल्यांकनके विषयमें गंभीरता नहीं है एवं किसीका भय भी नहीं है । अतएव लक्षावधी भक्तोंद्वारा देवीको अर्पित अलंकार क्या ऐसे ही रामभरोसे हैं, ऐसा संदेह भक्तोंके मनमें उपस्थित हो रहा है ।
श्री महालक्ष्मी मंदिरके ऐतिहासिक अलंकारोंके मूल्यांकन हेतु पुलिसका कडा प्रबंध
कोल्हापुर, १० जून (संवाददाता) – लक्षावधी भक्तोंका श्रद्धास्त्रोत करवीर निवासिनी श्री महालक्ष्मी देवीके अलंकारोंका कलसे मूल्यांकन आरंभ हुआ है । छुट्टियोंके दिन होनेके कारण प्रतिदिन लक्षावधी भक्त श्री महालक्ष्मी देवीके दर्शन हेतु आते हैं । उसीमें मूल्यांकन आरंभ होनेके कारण सहस्त्रों वर्ष पूर्वके ऐतिहासिक अलंकारोंकी सुरक्षा हेतु जनपद पुलिस दलकी ओरसे कल एक पुलिस अधिकारीके समवेत ४ रायफलधारी कमांडो एवं मंदिर समितिकी ओरसे ४ रायफलधारी सुरक्षारक्षकोंकी एकाएक वृद्धि की गई हैं, साथ ही साधारण वेश परिधान किए अन्य पुलिस नियुक्त किए गए हैं, ऐसी सूचना राजवाडा पुलिस थानेके पुलिस निरीक्षक यशवंत केडगेद्वारा पत्रकारोंको प्राप्त हुई हैं । कल एक दिनके अलंकारोंकी गिनतीमें एक करोड रुपयोंसे अधिक अलंकारोंका मूल्यांकन हुआ, तो शनिवारके दिन ४० लक्ष रुपयोंके अलंकारोंका मूल्यांकन किया गया । अभी भी १ कक्ष एवं १ बहुत बडा पिटारा खोलना बाकी है । अतएव उर्वरित अलंकारोंका मूल्यांकन पुलिसके कडे सुरक्षाप्रबंधमें होगा, यह बात निश्चित है ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात