फाल्गुन शुक्लपक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
गोवा शासन ने शिवजयंती के दिन छत्रपति शिवाजी महाराज के अभिवादन का बडा कार्यक्रम संपन्न किया। दूसरे दिन गोवा शासन के मंत्रियोंने क्रांतिकारियोंके जीवन पर एक महानाट्य का भी उद्घाटन किया।
एक ओर गोवा के राजनेता राष्ट्रपुरुष एवं क्रांतिकारियोंकी स्मृतियोंको उजागर करते हैं, यह प्रशंसनीय प्रतीत हुआ। दूसरी ओर गोरक्षकोंने निरंतर दो दिन देहली से गोवा आया कुल मिलाकर ८८० किलो गोमांस पकडवा कर दिया। गोमांस लानेवालोंको पकडने हेतु रेलवेस्थानक पर आरक्षकोंके (पुलिस) साधारण वस्त्रों में न जाने के कारण आरक्षकोंको देखकर गोमांस लानेवाले भाग गए एवं रेलवेस्थानक पर उतारा गया गोमांस नियंत्रण में लेने हेतु कोई आगे नहीं आया। स्वाभाविक है; क्योंकि आरक्षकोंको आए देखकर कौन गुंडा स्वयं आगे आएगा ?
छत्रपति शिवाजी महाराज का कार्यक्रम मनाते समय क्या हमें उन के द्वारा अवलंबित छिपा युद्ध तथा गुप्तचरी आदि युद्धनीतियोंको नहीं अपनाना चाहिए ? क्रांतिकारियोंने ब्रिटिशोंको विविध प्रकार से चकमा/धोखा देकर स्वतंत्रता की लडाई कैसे की थी, क्या हमें यह सीखना नहीं चाहिए ? उपर्युक्त घटना में पुलिस ने यदि सतर्क रहकर चतुराई से नियोजन किया होता, तो गोमांस लानेवाले गुंडोंकी टोली को पकडना संभव हो सकता था। समस्त हिन्दू चाहते हैं कि गोवा के राजनेता आरक्षकोंको ये पाठ पढाएं।
हिन्दु बंधुओ, संकट के समय किसी पर भी निर्भर न रहते हुए अपनी रक्षा करना संभव होने हेतु ‘स्वसुरक्षा प्रशिक्षण’ लें !
वर्तमान में चोरियां, बलात्कार इत्यादि का बढता प्रमाण देखकर किसी पर निर्भर न रह कर अपनी रक्षा करना संभव होने हेतु ‘स्वसुरक्षा प्रशिक्षण’ लेना ही बुद्धिमानी है ! इसलिए आज ही हिन्दू जनजागृति समिति के ‘स्वसुरक्षा प्रशिक्षणवर्ग’ में सम्मिलित हों !
– (पू.) श्री. संदीप आळशी (२१.२.२०१५)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात