आषाढ कृ. ८, कलियुग वर्ष ५११४
हिंदूद्वेषियोंद्वारा ‘हिंदुत्व’को समाप्त करनेकी ‘ब्लू प्रिंट’ तैयार !
‘धार्मिक दंगेविरोधी कानून’ विषयपर चर्चामें सहभागी हुए हिंदुत्वनिष्ठोंके विचारोंका दिल्लीके ‘समर्थ’ संगठनके श्री. मनीष मंजुलद्वारा प्रस्तुतिकरण
१. धार्मिक दंगेविरोधी विधेयक पारित होनेके उपरांत भारतमें किसी न किसी कारणवश बारंबार दंगे करवाकर अल्पसंख्यक समाज कैसे असुरक्षित है, यह दर्शाया जानेवाला है ।
२. इस कानूनके माध्यमसे हिंदुद्वेषियोंद्वारा ‘हिंदुत्व’को समाप्त करनेकी ‘ब्लू प्रिंट’ ही तैयार कर दी गई है ।
३. हिंदुओंपर विविध आक्रमणोंका एकत्रित विरोध करनेके लिए सर्व संगठनोंके समन्वयसे हिंदू जनजागृति समिति ‘राष्ट्रीय समिति’ स्थापित करे ।
मंदिरोंकी सुरक्षाके लिए ‘राष्ट्रीय मंदिर महासंघ’ स्थापनाकी आवश्यकता !
‘मंदिरोंकी दयनीय स्थिति एवं उसकी रक्षाके उपाय’ इस चर्चासत्रमें धर्माभिमानियोंके विचारोंको दिल्लीके सनातन धर्म मंदिरके अध्यक्ष श्री. रजनीश गोयंकाजीने प्रस्तुत किया !
१. देश अथवा राज्य, इन सभी स्तरोंपर मंदिरोंका एकत्रित समन्वय होना चाहिए । इसके लिए ‘राष्ट्रीय मंदिर महासंघ’ की स्थापनाकी आवश्यकता है । प्रत्येक राज्यमें मुसलमानोंके वक्फ बोर्डके अनुसार ही हिंदुओंका बोर्ड (मंडल) स्थापित करना चाहिए ।
२. मंदिरोंमें होनेवाला राजकीय हस्तक्षेप, हिंदुओंकी सहनशीलता, उनकी संवेदनहीन वृत्ति एवं संगठनका अभाव, इसके कारण ही मंदिरोंकी ऐसी दयनीय स्थिति हो गई है । आज जिसे देखो वही मंदिरोंका मठाधीश अथवा ठेकेदार बन बैठता है ।
३. मंदिरोंकी स्थिति सुधारनेके लिए सर्व स्थानोंपर मठाधीशोंको एकत्रित आना चाहिए ।
४. बडे मंदिरोंकी संपत्ति अधिकोषमें एकत्र करके, उसका विनियोग छोटे-छोटे मंदिरोंको सुधारनेके लिए करना चाहिए ।
५. मंदिरोंमें धर्मशिक्षा देनेवाले फलक लगाएं, उसी प्रकार मंदिरोंकी स्वच्छता आवश्यक है ।
६. राजकीय हस्तक्षेपको हटानेके लिए हिंदुओंको एकजुट होकर रास्तेपर उतरना चाहिए ।
७. ‘सूचनाके अधिकार’ का उपयोग कर मंदिरोंकी संपत्तिका अपव्यय जनताके समक्ष उजागर करें ।
९. राष्ट्रीय मंदिर महासंघके माध्यमसे मस्जिदसमान सामूहिक निर्णय घोषित करें ।
मंदिरोंकी पवित्रता रोकनेके लिए हिंदुओंको अनुशासित होनेकी आवश्यकता !
‘मंदिरोंके सरकारीकरण’ विषयपर हुए चर्चासत्रमें धर्माभिमानियोंके विचार हिंदू जनजागृति समितिके कर्नाटक राज्यसे श्री. प्रणव मणेरीकरद्वारा प्रस्तुत किए गए ।
१. मंदिर केवल पैसा कमानेके केंद्र न होकर, श्रद्धा निर्माण करनेके केंद्र हैं, इस दृष्टिसे देखनेकी गंभीरता लोकप्रतिनिधियोंमें निर्माण करनेकी आवश्यकता है ।
२. पूर्वकालमें राजा मंदिरोंकी पवित्रता एवं वहांकी सुविधाओंकी ओर विशेष ध्यान देते थे; परंतु आजके राज्यकर्ता उसकी ओर ध्यान नहीं देते हैं । यही नहीं अपितु मंदिरोंमें अस्वच्छता, अव्यवस्थितता, पश्चिमी संस्कृतिका अंधानुकरण, अश्लीलता इत्यादिमें वृद्धि हुई है । इसलिए मंदिरोंकी पवित्रता न्यून होती जा रही है ।
३. इसे टालनेके लिए नियमावली तैयार करके दर्शन हेतु आनेवाले भक्तगणोंद्वारा उसका पालन करवाएं । प्रत्येक मंदिरके स्थानपर एक गोशाला होनी चाहिए । इसके साथ ही प्रबोधनात्मक शिक्षा केंद्र होने चाहिए ।
सनातन संस्था एवं हिंदू जनजागृति समितिके नियोजनसे मैं प्रेरित हुआ ! – रजनीश गोयंका, अध्यक्ष, सनातन धर्म मंदिर, दिल्ली
अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनके सनातन संस्था एवं हिंदू जनजागृति समितिके नियोजनको देखकर मैं प्रेरित हो गया हूं । इस प्रेरणाके कारणवश मैं आगामी कालमें (३-४ महिनोंमें) दिल्लीमें राष्ट्रीय स्तरपर पुन: एक अधिवेशन रखूंगा । उसमें देशकी अन्य संस्थाओं, संगठनों एवं मंदिरोंके प्रतिनिधियोंको सहभागी करूंगा ।
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