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आंध्रप्रदेश : अज्ञात व्यक्तियोंद्वारा तिरुपति विश्‍वविद्यालय में हिन्दुओंके आस्थास्रोतोंपर ईसाई क्रॉस रंगाकर अनादर !

फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६

  • देवस्थान का सरकारीकरण होने का दुष्परिणाम जानें !

  • देहली में चर्च पर किए गए आक्रमण के पश्चात ईसाईयोंके धर्मभावनाओंपर तत्परता से ध्यान देनेवाले प्रधानमंत्री मोदीजी क्या तिरुपति विश्‍वविद्यालय में हिन्दुओंकी आहत धर्मभावनाओंके विषय में ऐसी ही तत्परता दिखाएंगे ?

तिरुपति : यहां के श्री तिरुपति विश्‍वविद्यालय के कला महाविद्यालय में श्री कृष्णदेव राय एवं हिन्दुओंके अन्य साधु-संतोंके छायाचित्रपर अज्ञात व्यक्तियोंद्वारा ईसाई क्रॉस रंगाकर अनादर किया गया है। इस घटना के निषेधार्थ भाजपा एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओंने प्रदर्शन किए।

इस प्रकरण में पुलिस ने अपराधियोंको बंदी बनाने की अपेक्षा विद्यार्थियोंपर ही लाठीप्रहार किया। तिरुपति-तिरुमला देवस्थान के कार्यकारी अधिकारियोंने इस प्रकरण की जांच करने के आदेश दिए हैं तथा इस महाविद्यालय के सुरक्षारक्षकोंको कर्तव्य में लापरवाही करने के विषय में निलंबित किया गया है। तिरुपति विश्‍वविद्यालय चलानेवाले तिरुपति देवस्थान का सरकारीकरण हो गया है।

१. तिरुपति विश्‍वविद्यालय के कला महाविद्यालय में २ वर्ष पूर्व वैश्विक तेलुगु अधिवेशन आयोजित किया गया था। इस अवसर पर महाविद्यालय में स्वतंत्रता सैनिक, कवी एवं हिन्दूसम्राट के छायाचित्र रंगाए गए थे। विद्यार्थी एवं स्थानीय हिन्दू इन छायाचित्रोंकी देखभाल कर रहे थे तथा छायाचित्रोंपर कोई भित्तिपत्रक न लगाने का ध्यान रख रहे थे; परंतु कुछ दिन पूर्व इन छायाचित्रोंके मुखौटे पर क्रॉस रेखांकित कर उस का अनादर किया गया।

२. आंध्रप्रदेश में वाय.सैम्युअल रेड्डी एवं किरण रेड्डी इन मुख्यमंत्रियोंके कार्यकाल में ईसाई धर्मप्रसार एवं अत्यधिक मात्रा में अहिन्दूओंका धर्मपरिवर्तन हो रहा था। इस से तिरुपति देवस्थान भी नहीं छूटा। इस देवस्थान में अनेक ईसाईयोंकी नियुक्ति की गई। हिन्दुओंने इस पर जोरदार आपत्ति उठाने के कारण विश्‍वविद्यालय में हिन्दू के अतिरिक्त अन्य लोगों की नियुक्ति न करने के संदर्भ में नियम सिद्ध किया गया; परंतु इस नियम को कभी क्रियान्वित नहीं किया गया। क्रिस्टोफर की प्राचार्य पद पर नियुक्ति करने से यह स्पष्ट होता है। (इससे स्पष्ट होता है कि धर्मांध ईसाईयोंद्वारा ही यह कृत्य किए जाने की संभावना है। क्या पुलिस इस अनुषंग से ईसाईयोंकी जांच करेगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. देवस्थान पर राजनीतिक पहचान से सदस्योंकी नियुक्ति हुई है। देवस्थान को श्रद्धालुओंद्वारा मिलनेवाले करोडो रुपयोंका अर्पण शासकीय अधिकोष में जाते हैं। उन का हिन्दुओंके लिए कोई लाभ नहीं होता।

४. तिरुपति देवस्थान से अधिकाधिक पैसा मिलने हेतु देवस्थान द्वारा अनेक विधि आरंभ किए गए हैं। इसलिए हदसे अधिक मूल्य प्रस्तावित कर श्रद्धालुओंको ठगा जा रहा हैं। तिरुपति देवस्थान का उपर्युक्त बेढंग कामकाज रोकने हेतु प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से ऐसी अपेक्षा की जा रही है कि वे मंदिर को शासकीय नियंत्रण से मुक्त करें।

५. इस विषय में बोलते हुए विद्यार्थी ने कहा कि इस महाविद्यालय में प्राचार्य क्रिस्टोफर की प्राचार्यपदपर नियुक्ति हुई, तब से यहां ईसाई धर्म के प्रसार को गति मिली है। इस महाविद्यालय के विद्यार्थियों में धर्मप्रसार की सामुग्री वितरीत की जा रही है। साथ ही वस्तीगृह में रहनेवाले विद्यार्थियोंके नाम पर भी ऐसी सामुग्री पोस्टद्वारा मिल रही है। यह कृत्य महाविद्यालय के कार्यालय की सहायता के बिना संभव नहीं है।

इस विषय में हमने प्राचार्य एवं देवस्थान के व्यवस्थापन को अनेक परिवाद दिए; परंतु उन पर ध्यान नहीं दिया गया।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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