मार्गशीर्ष शुक्ल ३ , कलियुग वर्ष ५११५
उडुपी – १ दिसंबरको उडुपीके श्री गोविंद कल्याण मंडप, अज्जरकाडुमें हिंदू जनजागृति समितिद्वारा हिंदू अधिवेशनका आयोजन किया गया । यर्लपाडी (बैलूर)के श्रीरामकृष्ण आश्रमके पू. विनायकानंद स्वामीजी, पू. शांताराम भंडारकर साथ ही हिंदू जनजागृति समितिके श्री. रमानंद गौडाके हाथों दीपप्रज्वलन कर अधिवेशन आरंभ हुआ । उस समय मान्यवरोंने राष्ट्र एवं धर्मपर होनेवाले आघातोंके विषयमें अपने विचार व्यक्त किए । पू. शांताराम भंडारकरका सम्मान श्री. श्रीनिवास गावस्कर, पू. विनायकानंद स्वामीजीका सम्मान श्री. विजय कुमार, तथा श्री. राघवेंद्र आचार्यका सम्मान श्री. नागेश शेटद्वारा किया गया ।
मंदिरोंको बलपूर्वक अधिकारमें लेकर उनके धन तथा संपत्तिकी लूट करनेवाले शासकीय नेता ही हैं ! – श्री. राघवेंद्र आचार, जनपद संरक्षक, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट, उडुपी
सनातन धर्मकी रक्षा हेतु हम केवल निमित्त हैं । रक्षा करनेवाले भगवान श्रीकृष्ण ही हैं । भू-कानूनके नामपर मंदिरोंका सरकारीकरण हो रहा है; किंतु इसी देशमें मस्जिद, चर्च इनका सरकारीकरण नहीं होता । सरकारीकरणके माध्यमसे मंदिरोंकी संपत्तिकी एक प्रकारसे लूट ही हो रही है । इस संपत्तिकी लूट करनेवाले राजनेता ही हैं । भारतमें बहुसंख्यक हिंदुओंकी श्रद्धा नष्ट करना, यह उनका प्रमुख उद्देश्य है । अतः सरकारीकरणके विरोधमें हमें वैध मार्गसे लडाई करनी चाहिए ।
सत्संग महत्त्वपूर्ण है ! – पू. शांताराम भंडारकर स्वामीजी
सत्संगके कारण विवेक उत्पन्न होता है, सत्संगके बिना पशुके समान घूमते हैं तथा वे भूमिके भार होते हैं; इसलिए संतोंका, साधकोंका संदेश महत्त्वपूर्ण है ।
मैं हिंदू हूं, यह कहना, अर्थात हिंदुत्वके विचार कृत्यमें लाना ! – पू. विनायकानंद स्वामीजी
इस कार्यक्रममें उपस्थित रहनेके कारण मुझे देवालयमें आनेके समान आनंद प्राप्त हो रहा है । आज आपके इस कार्यके कारण भविष्यमें समाजको आनंद प्राप्ति होगी । हमें वास्तवमें हिंदू ही होना चाहिए । हमारे आचरण तथा वक्तव्यद्वारा धर्माचरण व्यक्त होना चाहिए । आजके युगमें दृक-श्राव्य माध्यमोंके कारण हिंदू धर्माचरणसे दूर जा रहे हैं । मैं हिंदू हूं, यह कहना, अर्थात कृत्यमें हिंदुत्वके विचार लाना, इस बातको ध्यानमें रखते हुए जीवन जीना चाहिए ।
अन्यायका विरोध वैध मार्गसे करें ! – अधिवक्ता रामदास नायक, कुंदापुर
वर्तमानमें लज्जा, शील, परिश्रमकी सिद्धता, नैतिकता ये बातें न्यून हो रही हैं; इसलिए युवतियां इस मार्गसे दूर जा रही हैं । वर्तमानकी समाज व्यवस्थाके कारण यदि युवतीको कष्ट सहने पडते हैं, तो अभिभावक प्रतिष्ठाका विचार कर कानूनकी सहायता नहीं लेते । अतः अपराधियोंको दंड प्राप्त नहीं होता । हम सभीको इकट्ठा होकर वैध मार्गसे अन्यायका विरोध करना चाहिए ।
तिरुपतिके इस्लामिक विश्वविद्यालयके विरोधमें की गई लडाईमें सम्मिलित हों ! – श्री. रमानंद गौडा, हिंदू जनजागृति समिति
तिरुपति हिंदुओंका पवित्र क्षेत्र है । वहां इस्लामी विश्वविद्यालय स्थापित करना अपायकारक (विपत्तिकारक) है । उसका निर्माणकार्य अवैध मार्गका है । समितिद्वारा पूरे देशमें किए गए तीव्र आंदोलनके कारण जनपद अधिकारीद्वारा इस विश्वविद्यालयका अवैध निर्माणकार्य तोडनेका आदेश दिया गया है । इतना ही नहीं, अपितु शीघ्र कार्यवाही करने हेतु तिरुपतिमें २० दिसंबरसे राष्ट्रीय स्तरपर आंदोलन किया जाएगा । आप सभी इस आंदोलनके लिए उपस्थित रहकर अन्योंको भी प्रोत्साहित करें ।
क्षणिकाएं :
उस समय पू. विनायकानंद स्वामीजीद्वारा परात्परगुरु प.पू. डॉ. आठवलेकी विशेषताएं तथा कार्य (संक्षिप्त पहचान) इस ग्रंथका प्रकाशन किया गया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात