फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६
झांसी – बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने विवादास्पद बयान दिया है। यहां आयोजित यूथ इन एक्शन के कार्यक्रम में स्वामी ने शुक्रवार को कहा, ”देश का डीएनए हिंदुओं का है। यह बात मुस्लिम भी जानते हैं कि उनके पूर्वज हिंदू थे। हालांकि, वे इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करते हैं। देश में फारूख अब्दुल्ला जैसे लोग, जिनके पूर्वज सारस्वत ब्राह्मण थे, मुल्लों के डर से यह बात स्वीकार नहीं करते। मुस्लिम यदि स्वीकार करें कि उनके पूर्वज हिंदू थे, तो हिंदुओं से उनकी निकटता बढ़ जाएगी। देश में कम से कम ८० फीसदी हिंदू हमेशा रहने चाहिए, क्योंकि मुस्लिमों का वर्चस्व होगा, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। मुस्लिमों के वर्चस्व में ही मंदिर तोड़े जाते हैं।”
कार्यक्रम में ‘मैं और मेरा भारत’ विषय पर आयोजित बहस में स्वामी ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में हिंदू संस्कृति को खत्म करने का अधिकार किसी को नहीं है। उन्होंने कहा, ”कुछ लोग कह रहे हैं कि हिंदू महिलाएं १० बच्चे पैदा करें। यह अधिकार महिला के पास ही सुरक्षित होना चाहिए। संख्या बढ़ाने से कुछ नहीं होता। हिंदू होने की चेतना ज्यादा जरूरी है। जिस तरह मुस्लिम एकत्रित होकर वोट देते हैं, उसी तरह हिंदुओं को भी एकत्रित होकर वोट देने चाहिए। ”
स्वामी ने कहा कि आरएसएस ‘घर वापसी’ करा रहा है। यह वापसी उन लोगों के लिए है जो वापस आना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि अयोध्या में मंदिर-मस्जिद दोनों बनना चाहिए, लेकिन वहां सिर्फ राम मंदिर ही बनना चाहिए। स्वामी ने कहा कि देश के ४० हजार मंदिरों को तोड़ दिया गया। फिर भी हम ४० हजार मस्जिदों को गिराने की बात नहीं कर रहे। हमें सिर्फ एक मंदिर बनाना है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि २०१६ के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाने की शुरुआत कर दी जाएगी। यदि मुस्लिमों को मस्जिद चाहिए, तो हम उन्हें अलग जमीन देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने भले ही चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा नहीं बनाया हो, लेकिन पार्टी का एजेंडा यही है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर