आषाढ कृ. ८, कलियुग वर्ष ५११४
श्री. नटेशन्
रामनाथी – विश्वभरमें केवल १८ कोटि गायें हैं । उनमेंसे अधिकांश भारतमें हैं । फिर भी भारतमें ‘जर्सी’ नामक विदेशी गायोंकी संख्या बढ रही है । इसके विपरीत ब्राजीलमें भारतीय वंशकी गायें बडी मात्रामें हैं । वर्ष १९६७ में नेहरूने तंत्रज्ञानके लिए भारतीय वंशकी गायें ब्राजीलको दी थीं । अब ब्राजील देश सुजलाम् सुफलाम् बन गया है तथा वहांके विचारक भारतमें आकर भारतीय वंशकी गायोंके विषयमें प्रबोधन कर रहे हैं । यह भारतीयोंके लिए अत्यंत लज्जाजनक है । ऐसे विचार तमिलनाडुके गोवर्धन ट्रस्ट संस्थाके श्री. नटेशनने व्यक्त किए । अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनके दूसरे दिन दोपहरके सत्रमें आयोजित ‘गोरक्षा’ विषयके अनुभवकथन कार्यक्रममें श्री. नटेशन बोल रहे थे ।
* हमारा देश कृषिप्रधान होकर इस देशका वैभव गायें और कृषि भूमि है; परंतु दुर्भाग्यवश हमें इसका विस्मरण हो गया है ।
* तमिलनाडुकी जनसंख्या आज ६ कोटि है । उनमेंसे ३ कोटि किसान हैं; परंतु उनमेंसे दो लक्ष किसान आज भूमिहीन हैं । यह स्थिति देशके लिए अपमानजनक है ।
* आज भी भारतमें प्रत्येक माहमें २ से ३ लक्ष गोवंश हत्या हो रही है । इस परिस्थितिको परिवर्तित करनेके लिए किसानोंका प्रबोधन करनेकी आवश्यकता है । वृद्ध गायकी उपयोगिताके संबंधमें किसानोंको समझाना चाहिए । हम इस विषयपर अधिक प्रयास कर रहे हैं । इसके लिए एक न्यायमूर्तिने हमें आर्थिक सहायता की है । इसका अर्थ है कि समाजका प्रबोधन करनेपर उन्हें समझमें आ रहा है ।
* तमिलनाडुमें हमने गत वर्ष ४७ सहस्र गोवंशकी रक्षा की है । इसके लिए ३० गोशालाओंकी स्थापना की है ।