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तीन बार अस्वीकार किया गया विधेयक पुन: प्रस्तुत करना, राज्यघटनाद्वारा दी गई स्वतंत्रताका दुरुपयो

मार्गशीर्ष शुक्ल ३ , कलियुग वर्ष ५११५

गीता भागवत वारकरी सेवा मंडलके प्रदेशाध्यक्ष ह.भ.प. गोविंद महाराज हांडेद्वारा जादूटोनाविरोधी अधिनियमके विषयमें संतप्त प्रतिक्रिया !

नगर (वार्ता.) – जादूटोनाविरोधी अधिनियम सम्मत कर महाराष्ट्रकी श्रद्धालु जनताके माथेपर थोपना, अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है । इस अधिनियमके कारण ‘नारायण-नागबली’ के साथ अन्य धार्मिक विधि करनेपर बंदी लग सकती है । पूजापाठ करनेवाला पुरोहित भी इस अधिनियमानुसार अपराधी बनाया जा सकता है । ३ बार अस्वीकार किया गया यह विधेयक पुन: अधिनियममें परिवर्तित होने हेतु विधिमंडलमें प्रस्तुत करना, राज्यघटनाद्वारा दी गई स्वतंत्रताका दुरुपयोग है । धर्म माननेवाले सारे वारकरियोंको इस अधिनियमका तीव्र विरोध है, ऐसा प्रतिपादन गीता भागवत वारकरी सेवा मंडलके प्रदेशाध्यक्ष ह.भ.प. गोविंद महाराज हांडेने किया ।

३ दिसंबरको यहांके गांधी मैदानसे विशाल निषेधमोर्चा आयोजित किया गया । ह.भ.प. रामदास महाराज क्षीरसागरके हाथों धर्मध्वजका पूजन कर मोर्चाका प्रारंभ किया गया । १२५ से अधिक धर्माभिमानी मोर्चामें सम्मिलित हुए थे ।

क्षणचित्र : एक धर्माभिमानी युवक अपनी आर्थिक परिस्थिति साधारण होते हुए भी कार्यालयसे छुट्टी लेकर मोर्चामें उपस्थित रहा । मोर्चामें धर्मशिक्षावर्गसे १० युवकोंको भी वह साथ लाया था ।

कांग्रेसके राजमें संविधानद्वारा दिए गए स्थायी अधिकारोंपर आघात ! नगर पुलिसकी मनमानी ! भाषण शीघ्र समाप्त कर मोर्चा समाप्त करने हेतु पुलिसका आदेश !

मोर्चाके अंतमें जिलाधिकारी कार्यालय प्रवेशद्वारके निकट वारकरी संप्रदायके प्रतिष्ठित व्यक्तियोंके भाषण आरंभ थे । उस समय, `चलो, समाप्त करो, आवेदन दे डालो, आपको ध्वनिक्षेपकका उपयोग करनेकी अनुमति नहीं है, नगर मनपा चुनावके कारण आचारसंहिता है, शीघ्र समाप्त करो,’ ऐसा आदेश देकर नगर पुलिसने आयोजकोंको मोर्चा समाप्त करने हेतु बाध्य किया । तत्पश्चात पुलिस जिलाधिकारी कार्यालयके एक बाबूके पास वारकरी एवं हिंदुत्ववादियोंके प्रतिनिधि मंडलको ले गई । मुख्य अधिकारी शासकीय बैठकमें व्यस्त होनेके कारण बाबूके पास ही आवेदन दो, वह आपकी भावना वरिष्ठोंतक पहुंचाएगा, ऐसी सूचना दी गई ; किंतु पुलिसकी सूचना अमान्य कर हिंदुत्ववादियोंने आवेदन स्वीकारने हेतु अधिकारी ही आने आवश्यक है, ऐसी मांग की । उस समय नायब तहसीलदार अर्चना पागिरे वहां आर्इं । तत्पश्चात आंदोलनकर्ताओंने उन्हें आवेदन दिया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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