मार्गशीर्ष शुक्ल ३ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, वैधानिक मार्गसे धर्मांध ईसाई मिशनरियोंके धर्म परिवर्तनके षडयंत्रका विरोध करें !
अंधश्रद्धाकी घटना सिद्ध होनेवाली पुस्तकके आधारपर धर्मपरिवर्तन करनेका प्रयास !
मुंबई – ईसाई मिशनरियोंद्वारा अबतक ग्रामीण एवं वनवासी क्षेत्रमें चल रहा हिंदुओंका धर्मपरिवर्तन करनेका कृत्य मुंबई जैसे महानगरमें भी सुनियोजित रूपसे आरंभ हो गया है । ‘पॉवर टू चेंज इंडिया’ नामसे लगाए गए विज्ञापनद्वारा मुंबईमें ईसाईकरणका प्रयास किया जा रहा है । पिछले कुछ सप्ताहसे नगरमें स्थान-स्थानपर इस विज्ञापनके होर्डिंग लगाए गए हैं । इन विज्ञापनोंपर इस पुस्तकके संदर्भमें ‘जीवन परिवर्तन करनेवाली घटनाओंकी पुस्तक’ ऐसा उल्लेख कर संपर्क करने हेतु दूरध्वनि क्रमांक दिए गए हैं ।
२. इस क्रमांकपर संपर्क करनेपर हिंदू पद्धतिका नाम धारण किए हुए व्यक्तिद्वारा समस्याग्रस्त व्यक्तिके घर उपर्युक्त पुस्तक पहुंचानेका प्रबंध किया जाता है । इस पुस्तकमें १४ नामांकित लोगोंकी अंधश्रद्धा सिद्ध करनेवाली कथाएं दी गई हैं । ३. इन कथाओंमें येशु एवं बाईबलके कारण पीडितोंके जीवनमें होनेवाले अच्छे परिवर्तन दिए गए हैं । इससे संपर्क करनेवाले व्यक्तिको सीधे येशुके चरणोंमें ले जानेका प्रयास किया जा रहा है ।
४. हिंदुओंने इन विज्ञापनोंको विरोध करना आरंभ किया है । प्रवचनकार श्री. सच्चिदानंद शेवडेने मध्य एवं पश्चिम रेलवेको पत्र भेजकर ईसाई धर्म परिवर्तनका प्रसार करनेवाले विज्ञापन हटानेकी मांग की है । कुर्लावासी श्री. किरण दामलेने आरोप लगाते हुए कहा कि यह निर्धन एवं पीडित लोगोंको फंसाकर उनका धर्मपरिवर्तन करनेका षडयंत्र है ।
अभिनेता जॉनी लिवरकी पुस्तककी एक प्रसंग
१. मेरे पुत्र जेसीको कंठका ट्यूमर हो गया था । नगरके सर्वश्रेष्ठ आधुनिक वैद्यने कहा था कि शल्यचिकित्सा करना कठिन है । मेरी पत्नीने अनेक मंदिरोंमें दर्शन किया । सभी पुजारियोंने एकही बात कही, ‘बच्चेकी शल्यचिकित्सा न करें, अन्यथा वह मर जाएगा ।’ हमने हमारी शक्तिके अनुसार अत्यधिक प्रयास किए।
२. इसी क्षण मुझे मेरे येशुकी याद आई । मैंने मेरे पुत्रकी जान बचाने हेतु मेरे मित्रोंको साथ लिया एवं असहाय स्थितिमें येशुसे प्रार्थना की । डॉक्टरोंने जेसीपर शल्यचिकित्सा की । मंदिरके पुजारीकी चेतावनीके पश्चात भी शल्यचिकित्सा सफल हुई । (जानबूझकर हिंदुओंके पुजारियोंका महत्व न्यून करनेकी घटनाओंका हिंदुओंद्वारा वैधानिक मार्गसे विरोध करना चाहिए ! यदि हिंदुओंद्वारा ऐसी कथाएं प्रसिद्ध की जातीं, तो अंनिसवाले लोगोंने उसके विरोधमें कोलाहल मचा दिया होता ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. मैंने धीरे-धीरे बाईबल पढना आरंभ किया । मैंने येशुमें ही शांतिका अनुभव किया है । इस विश्वमें कहीं भी वैसी शांति मिलना असंभव है ।
पुस्तकमें इस प्रकारकी १४ कथाएं दी गई हैं । इस पुस्तकमें पुस्तकके प्रकाशकका नाम नहीं दिया गया है । केवल ‘तायंडेल हाऊस पब्लिशर’ प्रकाशन संस्थाकी अनुमति है, ऐसा कहा गया है । यह संस्था ईसाई धर्मका प्रचार करती है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात