फाल्गुन शुक्ल पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
इस्लामाबाद : २६ नवंबर, २००८ को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों के गुनहगार और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा का आतंकी जकी-उर-रहमान लखवी जेल में जरूर है, लेकिन वहां से भी अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे सकता है। बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के अदियाला जेल में बंद लखवी को इंटरनेट और मोबाइल जैसी सुविधाएं दी गई हैं। ५५ साल के लखवी समेत छह अन्य आतंकियों-अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनिस अंजुम पर भी मुंबई हमलों को अंजाम देने का आरोप है। २००८ में हुए इन हमलों में १६६ लोग मारे गए थे।
बीबीसी उर्दू ने लिखा, संगीन आरोप होने के बावजूद आतंकियों के कमरे जेलर के दफ्तर के ठीक बगल में हैं। अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है, ‘ जेल प्रशासन की अनुमति से आतंकियों को टीवी, मोबाइल फोन यहां तक कि इंटरनेट सुविधा भी मुहैया कराई गई है। इसके अलावा हर दिन उनसे दर्जनों संदिग्धों को भी मिलने की इजाजत है।’
रिपोर्ट के मुताबिक, जेल के एक अधिकारी ने कहा है कि लखवी हफ्ते के सातों दिन किसी भी समय कई लोगों से मिल सकता है। इसके लिए उसे जेल प्रशासन की भी इजाजत की जरूरत नहीं। एक दिन में वह औसतन १०० लोगों से मिलता है। जेल प्रशासन भी उन संदिग्धों की पहचान तक नहीं पूछता।
लखवी जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद का करीबी माना जाता है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि दोनों मिलकर किसी आतंकी हमले को अंजाम दे सकते हैं। लखवी को दिसंबर २००८ में गिरफ्तार किया गया था। उसके साथ छह अन्य आतंकियों को भी मुंबई हमलों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
बता दें कि जेल सुपरिटेंडेंट ने शनिवार कोर्ट के ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया कि सुरक्षा करणों के चलते लखवी को कोर्ट में पेश नहीं किया जा सकता। ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट नावेद खान ने अदियाला अधिकारियों से अपहरण के एक मामले में लखवी को पेश करने को कहा था। रविवार को उसकी सुनवाई होनी थी।
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर महीने में एंटी टेररिजम कोर्ट ने लखवी को जमानत दे दी थी। लेकिन पाकिस्तान सरकार के दबाव के बाद उसे दूसरे ही दिन हिरासत में ले लिया गया।
अदियाला जेल और मुंबई के ताज होटल पर हुए हमले की फोटो…
स्त्रोत : दैनिक भास्कर