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८० प्रतिशत धार्मिक जनताके विरोधमें जानेका साहस सरकारको महंगा पडेगा ! – हिंदू जनजागृति समिति

मार्गशीर्ष शुक्ल ४ , कलियुग वर्ष ५११५

  • कानूनके विरुद्ध हिंदूनिष्ठ संगठनोंद्वारा राज्यव्यापी आंदोलनका आरंभ !

  • नागपुरमें पत्रकार परिषद


नागपुर – हिंदू जनजागृति समितिके महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवट एवं वारकरी संप्रदायके ह.भ.प. (डॉ.) श्रीरामपंत सोनीलकरने सरकारको चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकारद्वारा बहुमतके जोरपर धर्मविरोधी कानून पारित करनेका प्रयास किया गया, तो राज्यकी ८० प्रतिशत धार्मिक जनता शांत नहीं बैठेगी । जनताके विरोधमें जानेका साहस सरकारको महंगा पडेगा तथा इस कानूनको न्यायालयमें भी आवाहन देनेका प्रयास किया जाएगा ।

वे यहांके तिलक पत्रकार भवनमें आयोजित पत्रकार परिषदमें बोल रहे थे । एक पत्रकारद्वारा ‘यदि सरकारद्वारा शीतकालीन अधिवेशनमें कानून पारित किया गया, तो हिंदूनिष्ठ संगठन क्या करेंगे ?’, ऐसा प्रश्न पूछे जानेपर श्री. घनवटने उपर्युक्त उत्तर दिया । इस अवसरपर सनातन संस्थाके प्रवक्ता श्री. आनंद जाखोटिया एवं नागपुरकी योग वेदांत समितिके श्री. बाबा काटे उपस्थित थे । धर्मविरोधी कानूनके विरुद्ध आंदोलनके विषयमें अधिक जानकारी देते हुए श्री. घनवटने आगे कहा कि हिंदू जनजागृति समितिद्वारा पूरे विदर्भमें आंदोलन होनेवाले हैं । ७ दिसंबरको अमरावती, यवतमाल, कारंजा; ८ दिसंबरको अकोला; ९ दिसंबरको वणी; १२ दिसंबरको मूर्तिजापुर; १३ दिसंबरको दिग्रस; १४ दिसंबरको वर्धा; तथा हस्तपत्रक, सामाजिक संकेतस्थल, मोर्चा एवं धरना आंदोलनके माध्यमसे जनजागृति की जानेवाली है । साथ ही शेष महाराष्ट्रमें भी समितिद्वारा आंदोलन आरंभ (जारी) हैं । उसीप्रकार ‘जय हरि बोलो, नागपुर चलो’ की घोषणा देते हुए वारकरियोंद्वारा विधानभवनपर निकाले गए महामोर्चेमें भी समिति सम्मिलित होगी । इस अवसरपर श्री. सुनील घनवटने कानूनकी त्रुटियोंके विषयमें कहा, ‘इस जादूटोनाविरोधी कानूनमें सबसे गंभीर बात यह है कि शब्दोंकी व्याख्या नहीं की गई है । वाक्यरचना संदिग्ध है, चमत्कार एवं दैवी शक्तियोंको अंधश्रद्धा सिद्ध किया गया है । धार्मिक बातोंके लिए कोई सुरक्षा नहीं है ।

निरंतर इस प्रकारकी अनगिनत त्रुटियां दर्शाई जानेपर भी उन्हें वैसा ही रखा गया है । अतः इसके पीछेका ‘हिंदुओंकी प्रथा-परंपराओंपर प्रतिबंध लगानेका’ हेतु स्पष्ट होता है । इस कानूनके आधारपर भविष्यमें नास्तिक लोगोंद्वारा श्रद्धालु भक्तोंको बिना कारण कष्ट दिए जानेकी संभावना है । समाजको फंसाना तथा नरबलिसमान अपराधोंके संदर्भमें अपराधियोंको दंड देने हेतु वर्तमान समयके कानून सक्षम होते हुए सरकार कठोरतासे उन्हें कार्यान्वित क्यों नहीं करती ? यह कानून हिंदुओंके विरोधमें प्रयुक्त किया जा रहा है, जबकि मुसलमान एवं ईसाईयोंको समर्थन दिया जा रहा है, जिसकी अनेक घटनाएं सामने आई हैं ।

सनातन संस्थाके प्रवक्ता श्री. आनंद जाखोटियाने कहा, ‘जादूटोनाविरोधी कानून वेद, धर्मशास्त्र, आयुर्वेद स्मृति तथा श्रुतिको अस्वीकार करता है । इसलिए हिंदुओंकी सभी धार्मिक विधि, कृत्य, धर्मग्रंथ एवं आयुर्वेद उपचार अपराध सिद्ध होंगे तथा इस कानूनद्वारा पुरोहित, ज्योतिषि, रत्न-खडेवाले, पुजारी, संत, धर्माचार्य, आयुर्वेदाचार्य तथा मंदिरोंके न्यासियोंपर फंसानेके झूठे आरोप लगाकर उन्हें कारागृहमें भेजनेका नास्तिक एवं धर्मविरोधी लोगोंका षडयंत्र है । इसलिए निश्चित रूपसे यह कानून हमें नहीं चाहिए ।’’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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