अमरावती (महाराष्ट्र), २४ फरवरी (वृत्तसंस्था) – हिंदु जनजागृति समितिद्वारा जनपदाधिकारी एवं पुलिस आयुक्तको एक निवेदन दिया गया । इस निवेदनमें ‘प्लास्टर ऑफ पैरिस’ पर प्रतिबंध लगाने एवं केवल शाडूकी मिट्टीसे मूर्तियां बनाने हेतु कानून करनेकी मांग करते हुए बताया गया है कि, अध्यात्म शास्त्रकी दृष्टिसे प्रत्येक देवता विशिष्ट तत्त्व है । देवताके छायाचित्र अथवा मूर्तिमें शब्द, स्पर्श, रूप, गंध एवं उस देवताकी संबंधित शक्ति एकत्र रहते हैं । इस सिद्धांतके अनुसार गणपतिकी मूर्ति विज्ञानशास्त्रके अनुसार बनानेसे उसका दर्शनार्थींको लाभ होता है तथा ये मूर्तियां शाडूकी मिट्टीसे बनानेसे उस मूर्तिमें गणेशतत्त्व अधिक मात्रामें आकृष्ट होता है । उसी प्रकार कुछ क्षेत्रोंमें देवताओंकी मूर्तियोंको चक्कीमें पीसकर उसका पाउडर बनाकर उससे ईटें बनानेका उपक्रम चलानेके लिए कहना, हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत करना ही है । इसलिए समितिद्वारा दिए गए निवेदनमें ऐसी प्रार्थना विनती की गई है कि, मूर्तियोंको कृत्रिम तालाबमें अथवा हौदमें विसर्जित कर उससे ईटें बनानेपर प्रतिबंध लगाकर, हिंदु धर्मशास्त्रके अनुसार समुद्र, नैसर्गिक तालाब अथवा बहते पानीमें मूर्ति विसर्जित करनेके लिए योग्य कार्यवाही की जाए । इस अवसरपर हिंदु जनजागृति समितिद्वारा श्रीमती बेला चव्हाण, श्रीमती छाया टवलारे, श्रीमती अभ्यंकर, श्रीमती रेखा मालपाणी एवं श्रीमती सुधा हंबर्डे उपस्थित थीं । पुलिस आयुक्त एवं निवासी उपजनपदाधिकारीद्वारा आश्वासन दिया गया कि, वे इस संदर्भमें उचित कार्यवाही करेंगे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात