आषाढ कृ. ८, कलियुग वर्ष ५११४
अधिवेशनके दूसरे दिन भी सभागृहके दाईं ओरकी भीतपर (दीवारपर) हिंदुओंके पराक्रमी इतिहासका स्मरण करवानेवाले अर्थात क्षात्रतेज जागृत करनेवाले प्रसंगोंका फलक लगाया गया था । इसीके साथ सभागृहकी बाईं ओर कश्मीरी हिंदुओंपर मुसलमानोंद्वारा हुए अमानवीय अत्याचार, उनकेद्वारा किया हुआ नरसंहार एवं महिलाओंपर किए अत्याचार इत्यादिके साथ ही हिंदुओंके मंदिरों एवं देवी-देवताओंकी मूर्तियोंकी तोडफोड करनेके प्रसंग दर्शानेवाले फलकोंका प्रदर्शन भी लगाया गया था ।
हिंदु अधिवेशनमें पूज्य नारायण साईका (प.पू. आसारामजी बापूके सुपुत्र) स्वागत होते हुए
आज सभागृहमें तीन पटल (टेबल) रखे गए थे । उनमेंसे एक पटलपर श्री. प्रवीण कवठेवरजी (हिंदुत्ववादी संपादक) का ‘लोकजागर’ साप्ताहिक पत्रिकाओका प्रदर्शन लगाया गया था तथा एक पटलपर अधिवेशनकालके प्रथम दिनपर प्रकाशित समाचारपत्रोकी प्रतियां धर्माभिमानियोंके अवलोकन हेतु रखी गईं थीं । भोजनके अवकाशके समय अनेक धर्माभिमानियोंने यह प्रदर्शनी देखी ।
हिंदु अधिवेशनमें पूज्य सिद्धलिंग महास्वामीका स्वागत होते हुए
* अधिवेशनमें सहभागी हुए धर्माभिमानी आस्थासे एक-दूसरेसे अपना परिचय कर, अपने संपर्क क्रमांकोंका आदान-प्रदान करनेके साथ-साथ व्यक्तिगत कार्यके विषयमें जानकारी ले रहे थे ।
* अनेक धर्माभिमानी इस भेंटका स्मरण संग्रहित रखनेके लिए एक-दूसरके छायाचित्र भी ले रहे थे ।
* अनेक धर्माभिमानियोंका कहना था कि ‘हिंदू संगठनोंकी प्रक्रिया एक निश्चित दिशामें हो रही है ।’
* कल सभागृहमें ब्राह्मतेज था, तो आज क्षात्रतेज प्रतीत हो रहा था । अनेक धर्मनिष्ठ समस्याओंपर चर्चा न करते हुए उपायोंपर चर्चा करते हुए दिखाई दे रहे थे ।