पीडीपी का समर्थन करनेवाले जावेद अख्तर भी देशद्रोही ही है !
जम्मू – संसद हमले के आरोपी अफलज गुरू के शव को लेकर केंद्रीय गृहमंत्रालय ने अपना रुख साफ कर दिया है। सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने अफलज के अवशेषों को परिवार को सौंपने से इनकार कर दिया है। कहा जा रहा है कि, पीडीपी विधायकों की अफजल के शव को लेकर की गई मांग राजनीतिक है और इस कारण अवशेषों को वापस नहीं किया जाएगा।
बता दें कि मामले में बवाल बढ़ता जा रहा है। पीडीपी विधायकों द्वारा अफजल के शव की मांग को लेकर किए गए हंगामे के बाद अब संगीतकार जावेद अख्तर भी इस जंग में खुल कर सामने आ गए हैं। जावेद अख्तर ने बयान दिया है कि अगर पीडीपी ने अफजल गुरू के अवशेषों की मांग की है तो इसमें गलत क्या है, यह उसके परिवार का हक है।
जब अफजल का परिवार लंबे समय से उसके अवशेषों की मांग कर रहा है तो वह परिवार को दे देने चाहिए, इस मुद्दे पर इतना बवाल करने की जरूर ही नहीं है।
वहीं जावेद ने पीडीपी पर भी निशाना साधते हुए कहा, पीडीपी विधायकों को अफजल के अवशेषों को मांगने का क्या हक है? यह तो उसके परिवार का मसला है। बता दें कि, रियासत में सरकार बनने के एक दिन बाद ही पीडीपी विधायकों ने संसद हमले की आरोपी अफजल गुरू के शव की मांग की।
स्त्रोत : अमर उजाला
अद्ययावत
४ मार्च २०१५
अफजल गुरू को फांसी पर लटकाना न्याय का मजाक था – पीडीपी
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देशद्रोही पीडीपी के फुत्कार !
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केंद्र सरकार से अफजल गुरू के अवशेष सौंपने की मांग !
जम्मू-कश्मीर राज्यमें भाजपा की सहायतासे सरकार स्थापन कर दो दिन भी नहीं हुए, वही पीडीपी ने अपना असला रूप दिखाना शुरु कर दिया है ।
जम्मू कश्मीर की नवनिर्वाचित बीजेपी समर्थित पीडीपी सरकार ने एक दूसरे विवादित मुद्दे को उठा दिया है। मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार ने केंद्र सरकार से संसद हमले के गुनहगार अफजल गुरू के अवशेष सौंपने की मांग की है। पीडीपी सरकार की इस मांग पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने फिलहाल कोई सीधा जवाब नहीं दिया है, हालांकि बीजेपी विधायकोंकी ओर से विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए और भगवा पार्टी के विधायकोंने परंपरानुसार अफजल गुरू को देश विरोधी ठहराया है।
पीडीपी के आठ विधायकोंने इस संबंध में बयान जारी कर कहा कि पार्टी अफजल के अवशेषोंकी वापसी के लिए पूरी ताकत से लगे रहने का वादा करती है। गुरू को नौ फरवरी, २०१३ को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।
पीडीपी के बयान के अनुसार, ‘पीडीपी गुरू के अवशेष वापस करने की अपनी मांग पर कायम है और पार्टी अवशेषोंकी वापसी के लिए पूरी ताकत से लगे रहने का वादा करती है।’ बयान पर हस्ताक्षर करने वाले विधायकोंमें मोहम्मद खलील, जहूर अहमद मीर, रजा मंजूर अहमद, मोहम्मद अबास वानी, यावर दिलावर मीर, वकील मोहम्मद यूसुफ, एजाज अहमद मीर और नूर मोहम्मद शेख हैं।
बयान के मुताबिक, ‘पीडीपी ने हमेशा कहा है कि अफजल गुरू को फांसी पर लटकाना न्याय का मजाक था और उसे फांसी देने में संवैधानिक जरूरतों और प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।’
पीडीपी विधायकोंके अनुसार, ‘हमारा मानना है कि निर्दलीय विधायक राशिद अहमद का अफजल गुरू के लिए क्षमादान का प्रस्ताव जायज था और सदन को उस समय इसे स्वीकार कर लेना चाहिए था।’ साल २०११ में इस बाबत एक प्रस्ताव पर जम्मू कश्मीर विधानसभा में हंगामे के चलते चर्चा नहीं हो सकी थी।
यह प्रस्ताव बाद में निष्प्रभावी हो गया, क्यों कि नियमोंके अनुसार सदन में सूचीबद्ध किसी कार्य पर चर्चा नहीं होने पर वह निष्प्रभावी हो जाता है।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के ठीक बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में बेहतर माहौल के लिए पाकिस्तान, आतंकियों और हुर्रियत को श्रेय दिया था। मुफ्ती के बयान के बाद विरोधी पार्टियोंने विरोध करते हुए बीजेपी से जवाब मांगा। काफी हंगामे के बाद बीजेपी ने मुफ्ती के बयान से खुद को अलग कर लिया।
इससे पहले सोमवार को लोकसभा में विपक्षियों पार्टियोंने प्रधानमंत्री से इस मसले पर बयान देने की मांग की।
मणिशंकर अय्यर बोले – अफजल गुरु की फांसी से दुखी था, नहीं थे उसके खिलाफ सबूत
केंद्र ने पीडीपी की मांग ठुकराई
स्त्रोत : आजतक