मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष ६, कलियुग वर्ष ५११५
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गृहराज्यमंत्री सतेज पाटिलसे विचार-विमर्श करते हुए (बायीं ओरसे) ह.भ.प. श्यामराव गोरड महाराज, ह.भ.प. भानुदास यादव महाराज, ह.भ.प. विट्ठल (तात्या) पाटिल महाराज एवं अन्य
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : राज्यके गृहराज्यमंत्री सतेज पाटिलने वारकरी प्रतिनिधिमंडलको जानकारी देते हुए कहा कि जादूटोनाविरोधी अध्यादेशके कारण वारकरी संप्रदायपर तथा प्रवचन-कीर्तनोंपर कोई प्रतिबंध नहीं लगेगा । वारकरियोंका निवेदन सभी विधायकोंतक पहुंच गया है । इसलिए विचार-विमर्श किए बिना यह अध्यादेश नहीं पारित होगा । (यदि विचार-विमर्श करना ही था, तो अध्यादेश सिद्ध करनेसे पूर्व प्रथम प्रक्रियाके आरंभसे संत, महंत तथा धर्माचार्योंसे क्यों नहीं किया गया ? अबतक विविध मंत्री एवं स्वयं मुख्यमंत्रीने अनेक बार ऐसे वक्तव्य दिए थे । तो भी विचार-विमर्श न करते हुए ही अध्यादेश निकाला गया । ‘अब विचार-विमर्श करेंगे,’ इसका अर्थ वारकरियोंको झूठा आश्वासन देना ही है ! इसलिए धर्माभिमानियोंको सरकारपर विश्वास न कर कानूनके विरुद्ध आंदोलन जारी ही रखना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इस अवसरपर अखिल भारतीय वारकरी मंडलके सदस्य ह.भ.प. श्यामराव गोरड महाराज, ह.भ.प. भानुदास यादव महाराज, ह.भ.प. विट्ठल (तात्या) पाटिल महाराज, हिंदू जनजागृति समितिके सर्वश्री शिवानंद स्वामी, मधुकर नाजरे एवं बाबासाहेब भोपले उपस्थित थे ।
१. गृहराज्यमंत्री सतेज पाटिलने आगे कहा, ‘अध्यादेशके विषयमें वारकरियोंमें भ्रांतियां उत्पन्न हो गई हैं । (यदि भ्रांतियां रहतीं, तो वारकरियोंको आंदोलन नहीं करना पडता ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) अब अध्यादेशको वापस लेना असंभव है । आपकी त्रुटियां हमें दें । अधिवेशनमें उनपर विचार-विमर्श किया जाएगा । किसी भी व्यक्तिपर अनुचित पद्धतिसे अपराध प्रविष्ट करना असंभव होगा । इस संदर्भमें पुलिस उपाधीक्षक श्रेणीका अधिकारी ही निर्णय लेगा ।
२. सतेज पाटिलने कहा कि हमारी परंपरा भी वारकरियोंकी पंरपरा है । यदि वारकरियोंपर अपराध प्रविष्ट हुए, तो हमें भी अच्छा नहीं लगेगा । (यदि ऐसा है, तो अनेक बार सहस्रों वारकरियोंद्वारा मोर्चा तथा आंदोलनके द्वारा विरोध करनेके पश्चात भी सरकार वारकरियोंसे विचार-विमर्श किए बिना अध्यादेश पारित करनेका षडयंत्र क्यों रच रही है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. इस अवसरपर वारकरियोंने आग्रही दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए कहा कि यदि नासिकके वणी-खुर्दमें भारुड गीतके गानेसे वारकरियोंको बंदी बनाया गया था, तो यह कानून पारित होनेपर उसका क्या परिणाम होगा, इसका विचार भी करना असंभव होगा । इसलिए यह कानून ही नहीं चाहिए । प्रथम ‘ऐसा होना असंभव है,’ ऐसा दृष्टिकोण अपनानेवाले सतेज पाटिलको इस संदर्भमें ‘दैनिक सनातन प्रभात’में प्रसारित समाचार दर्शानेपर वे निरुत्तर हो गए । (एक ओर वारकरियोंपर अपराध प्रविष्ट किए गए, तो अच्छा नहीं लगेगा, ऐसा कहना एवं दूसरी ओर वारकरियोंपर अपराध प्रविष्ट होनेपर प्रत्यक्ष रूपसे उस विषयमें कोई कार्यवाही न करना यह दोमुंही भूमिका साधारण लोगोंके भी ध्यानमें आ रही है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. अंततः पाटिलने कहा कि आपको प्रतीत होनेवाली त्रुटियां एवं आपत्तियां मुझे बताएं । मैं उनपर विचार-विमर्श करूंगा । (अबतक केवल वारकरी नहीं, अपितु सैकडों संगठनोंने निवेदन देकर इसका विरोध दर्शाया है । और कितने निवेदन देनेपर सरकार उसपर ध्यान देगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
हिंदुओ, अधिवेशनमें विचार-विमर्श करते समय विरोध करनेवाले विधायकोंको हिंदूद्रोही राजनेताओंद्वारा निलंबित करनेके धोखेको जानें !
वर्षाकालीन अधिवेशनमें शिवसेनाके विधायक दिवाकर रावतेने एक विषयपर विचार-विमर्श करते समय सरकारका विरोध करनेके कारण सभागृहमें कोलाहल मचानेका कारण देकर उन्हें निलंबित किया गया था । जादूटोनाविरोधी अध्यादेशपर विचार-विमर्श करते समय कांग्रेसी राजनेताओंद्वारा ऐसी ही घटना होनेकी संभावना है । इसलिए इस कानूनपर इकतरफा विचार-विमर्श कर कांग्रेसी यह कानून पारित करेंगे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात