मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष ६, कलियुग वर्ष ५११५
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दार्इं ओरसे : श्रीमती अर्पिता देशपांडे, श्री. सुनील घनवट, मनोज औदार्य तथा श्री. श्रीकांत पिसोळकर
यवतमाल (महाराष्ट्र) : हिंदू जनजागृति समितिके महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवटने यहांकी पत्रकार परिषदमें यह जानकारी प्रस्तुत की कि ‘जादूटोनाविरोधी कानूनमें समाविष्ट धाराओंके कारण ज्योतिषशास्त्र, रत्नशास्त्र, वास्तुशास्त्र आदि शास्त्रोंके विरोधमें अपराध प्रविष्ट होकर ज्योतिषी, वास्तुविशारद, रत्न-खडेवालेको कारावासमें बंदी बनाया जा सकता है । ऋषि-मुनियोेंद्वारा अपने तपसामथ्र्यसे खोजकर निकाले ऐसे अद्भुत ज्योतिषशास्त्र, रत्नशास्त्र, वास्तुशास्त्र आदि सर्व धर्मशास्त्र जादूटोनाविरोधी कानूनके कारण अंधशास्त्र सिद्ध होंगे । हिंदू धर्मशास्त्रोंके मूलपर आया यह जादूटोना कानून (अध्यादेश) विफल बनानेके लिए अभी सतर्क होनेकी तथा अन्योंको सतर्क करनेकी आवश्यकता है । इसलिए इस कानूनके विरोधमें हिंदू जनजागृति समिति तथा समविचारी संगठन राज्यव्यापी आंदोलनका आयोजन कर रहे हैं ।’ इस अवसरपर समितिके विदर्भ समन्वयक श्री. श्रीकांत पिसोळकर, सहारा श्रीरामनवमी उत्सव समितिके प्रमुख श्री. मनोज औदार्य उपस्थित थे ।
ज्योतिष संगठनका भी कानूनको विरोध ! – श्री. सुनील घनवट
जादूटोना कानूनकी विभीषिका स्पष्ट करते समय श्री. घनवटने बताया कि धारा २ तथा ३ के अनुसार रत्नोंकी अंगूठी (माणिक, पन्ना, मोती, मूंगा, ष्कपोखराज, नीलम, गोमेद एवं हीरा) शरीरपर धारण करनेसे भाग्योदय होता है तथा दैन्य एवं निर्धनता नष्ट होती है, यह बताकर फंसाना, मनोविकारोंसे मुक्ति देनेकी झूठी आशा दिखाकर फंसाना, गंभीर व्याधि अथवा मृत्युशय्यापर होनेवाले रुग्णोंको मंत्रसे संचारित खडे देकर फंसाना, इस प्रकार अनेक बहार्ने णबना कर ज्योतिषशास्त्र, साथ ही रत्नशास्त्र जाननेवालोंको कानूनके चंगुलमें फंसाया जा सकता है । यदि किसी ज्योतिषीने समाजसेवाके रूपमें किसीको निःशुल्क उपदेश दिया कि तेरी कुंडलीमें शनि-मंगल योग है, आप सावधानीसे रहें; इसमें उस ज्योतिषीको जादूटोनाविरोधी कानूनकी धारा २ के अनुसार चमत्कार तथा अलौकिक शक्तिका प्रसार किया, यह कहकर अपराध प्रविष्ट किया जा सकता है । अन्यथा उसे ७ वर्षके कारावासका दंड भी हो सकता है । अतः ज्योतिष संगठनने भी इस कानूनका विरोध किया है ।
जादूटोना अध्यादेशके भूतको बोतलमें ही बंद करना चाहिए ! – श्री. श्रीकांत पिसोळकर
उस समय समितिके श्रीकांत पिसोळकरने बताया कि जादूटोनाविरोधी अध्यादेशके कारण समाजविघातक अनिष्ट प्रथा किस हदतक बंद हो सकती है, यह बताना असंभव है; किंतु यह निश्चित है कि धार्मिक क्षेत्रमें हफ्ता लेनेकी मात्रा बढ जाएगी । इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि अध्यादेशमें प्रतिबंधित कृत्यका शिकार र्हुए व्यक्तिके अतिरिक्त अन्य किसी भी व्यक्तिको परिवाद प्रविष्ट करनेका अधिकार दिया गया है । इस बातका अनुचित उपयोग कर अंधश्रद्धावाले अथवा हफ्तावाले, गुंडे पुरोहित तथा ज्योतिषियोंद्वारा हफ्ताप्राप्ति करेंगे । इसलिए इस अध्यादेशका भूत कानूनमें रूपांतरित होकर हिंदुओंकी गर्दनपर संवार न हो, इसलिए उसे निरंतरके लिए बोतलमें ही बंद करना चाहिए ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात