चैत्र कृष्ण पक्ष द्वितीया, कलियुग वर्ष ५११६
कोची (केरल) : श्री ललिता महिला समाजम्, तिरुइन्गाइमलाइ, ट्रिची, तामिलनाडू के अध्यक्ष एवं वहां के योगिनी (पूजा करनेवाले श्रीविद्या के उपासक) गुरु श्री-ला-श्री-माताजी ने (माताजी) दि. २४.२.२०१५ को कोची, केरल के सनातन के सेवाकेंद्र को भेंट दी एवं सेवा केंद्र के साधकोंको मिलकर उन्हें धर्मकार्य के लिए आशीर्वाद दिए।
माताजी का आश्रम ट्रिची में है। वे उन के भक्तोंके कोची के निवासस्थान में आई थीं। वहां दि. २२.२.२०१५ को केरल के साधकोंने माताजी से भेंट की एवं उन्हें संक्षेप में सनातन संस्था के कार्य का परिचय दे कर जून २०१५ में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा गोवा में होनेवाले अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के लिए आमंत्रित किया। उसीप्रकार रामनाथी के सनातन के आश्रम को भेंट देने की प्रार्थना की। उन्होंने इसी भेंट में कोची के सनातन सेवा केंद्र का भ्रमण कर वहां के साधकोंको आशीर्वाद देने की प्रार्थना को स्वीकारा। सेवा केंद्र को भेंट देते समय उन्हें भेंट रूप में सनातन-निर्मित धर्मशिक्षा फलकोंका ग्रंथ एवं ‘लवजिहाद’ ग्रंथ दिया गया।
सेवा केंद्र में आने पर उन्हें सनातन द्वारा धर्मप्रसार का कार्य, ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु किए जानेवाले प्रयास, धर्मकार्य में अनिष्ट शक्ति के कारण आनेवाली अडचनें तथा अनिष्ट शक्तियां कैसे आक्रमण करती हैं, इस संदर्भ में जानकारी दी गई। सनातन के विविध आश्रमोंमें चैतन्य के कारण उत्पन्न दैवी कण भी दर्शाए गए। माताजी ने पूरी जानकारी लेकर साधकोंको आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर मार्गदर्शन करते हुए वे बोलीं, ‘‘आप ऐसे ही साहस के साथ मन लगाकर धर्मप्रसार करें। विरोध होगा; परंतु गुरु निश्चित रूप से आप को उठाकर आगे ले जाएंगे !’’
ट्रिची में २५ दिसंबर २०१५ से ४ जनवरी २०१६ की कालावधि में माताजी के मार्गदर्शन में ‘श्री विद्या महायागम् आयोजित किया गया है। इसलिए उन्होंने साधकों को आमंत्रित किया है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात