मार्गशीर्ष शुक्ल ७, कलियुग वर्ष ५११५
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा शासनकर्ताओंको फटकार !
जादूटोनाविरोधी विधेयकका अध्यादेश पारित करनेवाले कांग्रेसी शासनकर्ता क्या इससे शिक्षा लेकर चिंतन करेंगे ?
कोलकाता – विवादग्रस्त अधिनियम तत्काल कार्यान्वित करने हेतु कुछ राज्य अध्यादेश पारित करते है; किंतु ऐसे अध्यादेशोंको सभागृहकी सहमति प्राप्त नहीं होती तथा सभागृहके सदस्य भी ऐसे सूत्रोंपर उचित चर्चा नहीं करते । अत: विधानसभाकी सहमति प्राप्त न होनेवाला अध्यादेश निरस्त होना चाहिए । अध्यादेश जैसा माध्यम तत्काल आवश्यक हो, तो ही उपयोगमें लाया जाए, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जीने ऐसी सूचना देते हुए राज्यप्रशासनद्वारा बिनाकारण अध्यादेश पारित करनेकी वृत्तिपर ही प्रश्न उपस्थित किया । बंगाल विधानसभाके अमृतमहोत्सव समारोहमें सभागृहके सामने आयोजित भाषणमें वे ऐसा बोल रहे थे ।
राष्ट्रपतिने आगे कहा, प्रशासनकी बढती जटिलता ध्यानमें लेते हुए, किसी भी विधेयकपर चर्चा होनी चाहिए; यदि ऐसा नहीं हुआ, तो वह विधेयक अपेक्षित निष्पत्ति तथा उद्देश्य पूर्तिमें सफल नहीं होगा । कामकाजमें हिस्सा लेनेवाले सदस्योंकी अल्पसंख्याके विषयमें भी उन्होंने चिंता व्यक्त की ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात