आषाढ शु १३/१४, कलियुग वर्ष ५११४
गुरुपूर्णिमा समारोह पत्रकार परिषदमें वक्तव्य देते हुए श्री. बुणगे एवं उनके साथ श्री. सतीश सोनार
मुंबई, २९ जून (संवाददाता) – पहले भारतमें गुरुकुल पद्धति अस्तित्वमें थी; किंतु विगत कुछ वर्षोंमें वह लुप्त बिल्कुल न्यून / गौण हो गइ चुकी है । उस गुरुकुल पद्धतिको पुनर्जीवित करना अनिवार्य है । वर्तमान शिक्षा पद्धतिके कारण केवल पद, प्रतिष्ठा एवं मानकी रक्षा करनेवाले व्यक्ति ही दिखाई देते हैं । इससे देशकी हानि हो रही है । उनकी अपेक्षा मान, पद, प्रतिष्ठाको दूर रखकर शिवाजी महाराज तथा अन्य राजाओंके समान गुरुकृपा संपादन कर राष्ट्र एवं धर्म कार्य हेतु प्रत्येक हिंदुको सिद्ध होना चाहिए, तभी प्रत्येक व्यक्ति सुखी, समृद्ध एवं सुरक्षित रह सकता है, सनातन संस्थाके प्रवक्ता श्री. राजन बुणगेद्वारा आज ऐसा प्रतिपादन किया गया है ।
सनातन संस्था एवं हिंदु जनजागृति समितिके संयुक्त सहयोगसे ३ जुलाईको गुरुपूर्णिमा समारोहका आयोजन किया गया है । उस पार्श्वभूमिपर मुंबई मराठी पत्रकार संघमें आयोजित पत्रकार परिषदमें श्री. बुणगे बता रहे थे । उस समय हिंदु जनजागृति समितिके समन्वयक श्री. सतीश सोनार भी उपस्थित थे । श्री. सोनारने बताया, ‘‘आज सर्वत्र फैला हुआ भ्रष्टाचार एवं स्वार्थी वृत्तिके कारण देशका विनाश हुआ है, साथ ही विश्वमें अशांति फैल गई है । इन समस्याओंपर एक ही उपाय है, और वह है गुरुकी सीख आत्मसात करना । गुरुकृपा होनेपर त्यागी वृत्तिमें वृद्धि होकर आनंदमें भी वृद्धि होती है । सर्व संकटोंसे दूर रहनेके लिए गुरुकृपा ही अनिवार्य है । गुरुकृपाके अतिरिक्त जीवन सफल नहीं हो सकता । गुरुकृपाके कारण एक व्यक्तिका कल्याण होता है । आगे जाकर समाज, राष्ट्र एवं विश्वका भी कल्याण होगा एवं सर्वत्र सुख, शांति तथा आरोग्यका वास रहेगा ।’’
इस वर्ष सनातन संस्था एवं हिंदु जनजागृति समिति इन दोनोंके सहयोगसे मुलुंड (प.) में सारस्वतवाडी सभागृह, बोईसर ( प.) में वंजारी समाज सभागृह एवं कोपरखैरानेमें किसान समाज सभागृहमें गुरुपूर्णिमा समारोहका आयोजन किया गया है । इन स्थानोंपर ‘राष्ट्र एवं धर्म’के विषयपर राष्ट्रीय प्रवचनकर्ता भारताचार्य श्री. सु.ग. शेवडे, प्रसिद्ध लेखक एवं व्याख्याता श्री. दुर्गेश परूलकर एवं सहकार भारतीके मुंबई महानगर प्रमुख श्री. अभय जगताप आदि मान्यवरोंका उद्बोधक मार्गदर्शन होगा । इस समारोहमें सपरिवार सहभागी होकर राष्ट्र एवं धर्मकर्तव्य निभाएं, ऐसा आवाहन श्री. सोनारद्वारा किया गया है ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात