मार्गशीर्ष शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५
सर्वपक्षीय विधायकोंके विरोधसे जादूटोनाविरोधी अधिनियमके विषयमें प्रशासन एक कदम पीछे !
नागपुर : शीतकालीन अधिवेशनके प्रथम दिन ही मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहानद्वारा जादूटोनाविरोधी विधेयक २०१३ (अंधश्रद्धा निर्मूलन विधेयक) प्रस्तुत कर उसे पारित करवानेका निर्धार घोषित किया गया था; किंतु प्रथम दिन ही प्रशासनकी ओरसे विधान परिषदके सभागृहमें आयोजित जादूटोनाविरोधी विधेयक प्रस्तुत करते समय सारे विधायकोंने अधिनियममें गंभीर त्रुटियां निर्देशित कर अधिनियममें धार्मिक कृत्योंको सुरक्षा देनेवाली धारा अंतर्भूत करनेकी जोरदार मांग की । अत: प्रशासनको अधिनियमके विषयमें थोडा पीछे हटकर अधिनियमके संदर्भमें आपत्ति, त्रुटि तथा सुधारके विषयमें लिखित सूचना देने हेतु दो दिनोंकी मोहलत देनी पडी है ।
प्रशासन द्वारा स्पष्टीकरण !
विधानसभा अध्यक्ष दिलीप वळसे-पाटिलने कहा, विधायक अधिनियमके विषयमें लिखित सूचना दें । विधायक तत्पश्चात ही सभागृहमें विधेयकपर वक्तव्य दे सकते हैं ।
सामाजिक न्यायमंत्री शिवाजीराव मोघेने कहा, यह अधिनियम परिपूर्ण है । केवल जिस श्रद्धाके कारण व्यक्तिको शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक हानि होती है, उनसे यह अधिनियम संबद्ध होगा । अन्य कोई भी धार्मिक संदर्भमें अधिनियम संबद्ध नहीं होगा । (मोघेजी, व्यक्तिकी मानसिक अथवा आर्थिक हानि हुई है या नहीं, यह कौन निश्चित करेगा ? ऐसी संदिग्ध शब्दरचनाके कारण ही हिंदुओंकी अधिकतर धार्मिक बातें इस अधिनियमके अंतर्गत नियंत्रित होनेवाली हैं, अत: हिंदुओंको उसका घोर विरोध है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
प्रशासनद्वारा उत्पन्न किया गया संभ्रम !
१. अधिनियमके पक्षमें ८ सहस्त्र ७३५ आवेदन, तो अधिनियमके विरुद्ध १६५ आवेदन प्राप्त होनेकी बात कही गई है । वास्तवमें हिंदुत्ववादी तथा धार्मिक संगठनोंकी ओरसे प्रशासनको अधिनियमके विरुद्ध बडी मात्रामें आवेदन प्रस्तुत किए गए हैं । स्थान-स्थानपर आंदोलन हो चुके हैं । किंतु इस झूठे प्रस्तुतीकरणद्वारा अधिनियमको अधिक समर्थन है, प्रशासनने यह दिखानेका खोखला/लाचार प्रयास किया ।
२. संदेह दूर करने हेतु घोषित किया जाता है कि यह अधिनियम किसी भी धार्मिक विधियोंसे संबद्ध नहीं होगा, ऐसी १२ वीं नई धारा इस अधिनियममें सम्मिलित की जानेवाली है, प्रस्तुतीकरण करनेवाले एक प्रशासकीय अधिकारीने सबके सामने ऐसा बताया; किंतु वास्तवमें प्रस्तुत किए गए दस्तावेजोंमें कहीं भी उसका निर्देश नहीं था ।
प्रशासनद्वारा प्रस्तुत इन धाराओंसे विधायकोंको संतोष नहीं हुआ । उन्होंने धार्मिक विधिकी परिभाषा क्या है, उसमें क्या समाविष्ट होगा, विस्तारसे इसकी सूची अंतर्भूत करनेकी मांग की है ।
क्षणचित्र
इस अवसरपर भारतीय संस्कृति रक्षा समितिके अध्यक्ष स्वामी गोविंददेवगिरीजी महाराज तथा अजमेर दर्गाके डा. सैयद इरफान मोईन उस्मानीने अधिनियमके परिवर्तनके विषयमें मुख्यमंत्रीसे प्रत्यक्ष भेंट कर आवेदन प्रस्तुत किया । इस अवसरपर प्रशासनसे धर्मको संपूर्ण सुरक्षा प्रदान करनेकी मांग की गई । मुख्यमंत्रीने कहा कि चिंतन कर निर्णय लेता हूं ।
सनातन प्रभातद्वारा की गई जागृतिका परिणाम !
दैनिक सनातन प्रभात द्वाराकी गई जागृतिके कारण आज विधेयक रोकनेमें सफलता प्राप्त हुई है, अन्यथा आज विधेयकका विरोध न हुआ होता तथा वह पारित हो जाता, पुरोहित संगठनके एक प्रतिनिधिने ऐसा मनोगत व्यक्त किया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात