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यदि शिवछत्रपति न होते, तो ३०० वर्ष पूर्व ही पाकिस्तानकी स्थापना हो गई होती ! – पू. भिडे गुरुजी

मार्गशीर्ष शुक्ल १०, कलियुग वर्ष ५११५

पुणेमें अफजलखानकी हत्याका आनंदोत्सव अर्थात शिवप्रतापदिन उत्साहपूर्ण वातावरणमें संपन्न !

तीव्र हिंदूनिष्ठ श्री. ठाकुर राजासिंहको वीर जीवा महाले पुरस्कार प्रदान


पुरस्कारको स्वीकार करते हुए ठाकुर राजासिंह,

दार्इ ओरसे मिलिंद एकबोटे, पू. भिडे गुरुजी, पू. शंकराचार्य

पुणे(महाराष्ट्र) – पू. संभाजीराव भिडे गुरुजीने ये उद्गार व्यक्त किए कि ‘यदि शिवछत्रपति न होते, तो ३०० वर्ष पूर्व ही पाकिस्तानकी स्थापना हो गई होती । छत्रपति शिवाजी तथा छत्रपति संभाजी ये हिंदुओंके लिए संजीवनी मंत्र हैं । हिंदू समाज इस मंत्रके बिना जीवित नहीं रह सकता,  इस नामसे प्रत्येक हिंदूका  कुछ ऐसा ही घनिष्ट संबंध जुडा हुआ है । हिंदुत्वके नामसे केवल आंनदोत्सव नहीं मना सकते । आजके नेतृत्वके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है कि हिंदुस्थानकी जीवनयात्रा किसी भी पल अंत्ययात्रामें परिवर्तित हो सकती है । इस बातके लिए नतद्रष्ट, धोखेबाज लोग ही निमित्त हैं । यदि इस स्थितिमें परिवर्तन करना है, तो इस देशवासियोंको शिवाजी-संभाजीके रक्तगुटका बनाना आवश्यक है । हिंदुओंका प्रेरणास्थान छत्रपति शिवाजी महाराजने स्वराज्यपर आक्रमण करनेवाले तथा श्री तुळजाभवानीपर आघात करनेवाले अफजलखान नामक बकरेको जिस दिन फाड दिया, वह दिन अर्थात १० नवम्बर १६५९ अर्थात मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष सप्तमी ! शिवरायका पराक्रम तथा हिंदू धर्माभिमानका स्फुल्लिंग हिंदू युवकोंमें सदैव धधकती रहे, इसी उद्देश्यसे प्रतापगढ उत्सव समिति गत १७ वर्षोंसे यह शिवप्रतापदिन मना रही है । इस वर्ष पुणेके न्यू इंग्लिश पाठशालाके मैदानमें यह समारोह मनाया गया । उस समय अध्यक्षीय भाषणमें पू. भिडेगुरुजी बता रहे थे ।

शिवप्रतापदिनके अवसरपर हिंदू धर्मके लिए उल्लेखनीय कार्य करनेवाले वीरोंका सम्मान किया गया । इस वर्षके समारोहमें हिंदूनिष्ठ श्री. अमोल भालेकरको शौर्य पुरस्कारसे, हिंदूनिष्ठ अधिवक्ता श्री. मोहनराव डोंगरेको गोपीनाथ पंत बोकील अधिवक्ता पुरस्कारसे, भाग्यनगरके तीव्र हिंदूनिष्ठ श्री. राजासिंह ठाकुरको वीर जीवा महाले पुरस्कारसे सम्मानित किया गया । करवीर पीठके शंकराचार्य विद्या नृसिंहभारतीकी उपस्थितिमें तथा पूजनीय संभाजीराव भिडेगुरुजीके हाथों पुरस्कार प्रदान किए गए । उस समय मंचपर प्रतापगढ उत्सव समितिके सर्वश्री संजय भोसले, हिंदू राष्ट्र सेनाके धनंजय देसाई, समस्त हिंदू मोरचाके मिलिंद एकबोटे, शिवसेनाके शाम देशपांडे, निवृत्त लश्करी अधिकारी ब्रिगेडियर हेमंत महाजन आदि मान्यवर उपस्थित थे । इस कार्यक्रमका सूत्रसंचलन इतिहासप्रेमी मंडलके श्री. मोहन शेटेने किया ।

श्री. राजासिंह ठाकुरने अपना मनोगत व्यक्त करते समय बताया कि पिछले अनेक वर्षोंसे मैं जीवनसे  खेलकर हिंदुत्वका कार्य करता हूं । यह कार्य करते समय केवल गोमाताके आशीर्वादके कारण जीवित हूं । भाग्यनगरका प्रत्येक हिंदू शिवाजी महाराजका रूप लेकर हिंदुत्वके लिए सज्जित (तैयार) है । यहांके छोटे-छोटे बच्चे मदरसे, कसाई, मुसलमानोंके सामने जाकर ‘जय श्रीराम’ कहते हैं । यदि आज हिंदू जागृत नहीं हुए, तो संपूर्ण हिंदू समाज तथा यह देश संकटमें आ जाएगा । यदि एक बार हम जागृत हुए, तो कोई भी हमारी ओर वक्र दृष्टिसे देखेनका साहस नहीं कर सकता ।

हिंदू जनजागृति समितिद्वारा भी श्री. राजासिंह ठाकुरका सम्मान !

इस समारोहमें हिंदू जनजागृति समितिद्वारा भी श्री. राजासिंह ठाकुरको श्रीकृष्णार्जुनरथकी प्रतिमा प्रदान कर उनका सम्मान किया गया । उस समय हिंदू जनजागृति समितिके सर्वश्री गजानन केसकर, युवराज पवळे, यशवंत माने, सागर शिरोडकर, पराग गोखले आदि उपस्थित थे ।

क्षणिकाएं

१. हाथमें भगवा ध्वज, सिरपर भगवा टोपी, अफजलखान हत्याका छायाचित्रवाला वेश, इन सबसे पूरा वातावरण हिंदुत्वमय हुआ था । 
२. कार्यक्रमस्थलपर आए प्रत्येक व्यक्तिको इस विजयोत्सवके निमित्त पेडा दिया गया । 
३. कार्यक्रमस्थलको सरसेनापति हंबीरराव मोहितेका नाम दिया गया था । श्री तुळजाभवानी माताकी प्रतिमा पूजनके पश्चात तथा छत्रपति शिवाजी महाराजके सिंहासनारूढ प्रतिमाका वंदन करनेके पश्चात कार्यक्रम आरंभ हुआ । 
४. शिवचरित्रकी महानता प्रदर्शित करनेवाले शाहिर कामथेद्वारा प्रस्तुत किए गए  गीतकी स्तुतिपर युवकोंमें वीरश्री उत्पन्न हुई । 
५. एक पत्रकारने सनातन प्रभातके समाचारदाताके पास यह प्रतिक्रिया व्यक्त की कि इस प्रकारके कार्यक्रमके कारण ही जीवित होनेका भान होता है, यह अच्छा लगता है । 
६. गुप्तचर तंत्रके पुलिस भी इस स्थानपर उपस्थित थे ।(पुलिसने हिंदुओंके सांस्कृतिक कार्यक्रमोंपर सूक्ष्मतासे ध्यान रखनेकी अपेक्षा, यदि जिहादी आतंकवादियोंकी हलचलपर ध्यान दिया होता, तो आज देश आतंकवादमुक्त होता ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

 

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