आषाढ कृ. ९, कलियुग वर्ष ५११४
प्रमोद मुतालिक, अध्यक्ष, श्रीराम सेना
रामनाथी, गोवा – मुसलमानोंके हिंदूविरोधी फतवे एवं निर्णय मस्जिदसे आते हैं, ईसाइयोंको क्या करना है, इसका निर्णय चर्चसे मिलता है । इन दोनों धर्मियोंके लिए मस्जिद एवं चर्च केंद्रबिंदू हैं । ‘चुनावमें किसे मत दें’, इसका निर्णय भी यहां लिया जाता है । इसी पार्श्वभूमिपर हिंदुओंको मार्गदर्शन करनेके लिए ‘हिंदू भवन’की संकल्पना कृतिमें लाना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन श्रीराम सेनाके अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिकजीने ‘कर्नाटकके दत्तपीठपर हुए मुसलमानी आक्रमणको किया गया विरोध’ इस विषयपर प्रकाश डालते हुए किया ।
श्री. प्रमोद मुतालिक आगे बोले,
१. दत्तगुरुके श्रापके कारण ही कर्नाटकके मुख्यमंत्रीने अपनी कुर्सी गंवाई !
कर्नाटकके प्रसिद्ध श्री दत्तपीठपर मुसलमानोंद्वारा अतिक्रमण किया गया था । दत्तपीठ हिंदुओंको पुन: मिले, इस उद्देश्यसे श्रीराम सेनाने बडा आंदोलन छेडा । इस कारण वातावरणनिर्मिति हुई एवं कर्नाटक राज्यमें भाजपा सत्तापर आ गई । ‘सत्तापर आनेके उपरांत दत्तपीठ हिंदुओंको लौटाएंगे ।’ ऐसा आश्वासन भाजपाके तत्कालीन मुख्यमंत्री बी.एस्. येडियुरप्पाने दिया था; परंतु सत्तापर आनेके उपरांत उन्होंने अपने वचनसे पलटकर हिंदूद्रोह किया । इस कारण भगवान दत्तका शाप लगनेसे ही उन्हें कुर्सी तो गंवानी ही पडी; इसके साथ ही उन्हें कारावास भी हुआ । ‘अयोध्यामें श्रीराम मंदिर बनाएंगे’, ऐसा आश्वासन हिंदुओंको देते हुए भाजपा सरकार सत्तापर आई; परंतु उसके उपरांत वह श्रीराम मंदिरके संदर्भमें दिए वचनको भूल गई । इसी कारण उन्हें सत्ताच्युत होना पडा ।
२. दत्तपीठपर मुसलमान आक्रमणकारियोंद्वारा अतिक्रमण ‘चिक्कमंगळुरू से ३० कि.मी. के अंतरालपर पर्वत है । उस पर्वतके साढेचार सहस्र फुटकी ऊंचाईपर गुफा है, जिसमें स्वयं श्रीदत्त भगवानने उपासना की थी; इसलिए उसे ‘दत्तपीठ’ कहते हैं । जब टीपू सुलतान भारतमें आया, तब उसने इस दत्तपीठकी पादुकाओंको एवं अन्य सात्त्विक वस्तुओंको फेंक दिया एवं वहां कब्र बनाई । अब मुसलमान वहां ऊरूस मनाते हैं । श्री. मुतालिक बोले दत्तपीठके स्थानपर अनधिकृत निर्माणकार्यके विरोधमें श्रीराम सेनाद्वारा वर्ष १९९८ से २००४ तक आंदोलन किए गए । इसके लिए रथयात्राएं निकालीं, दंगे हुए । अनधिकृत निर्माणकार्यका विरोध करनेसे मुझपर २० अभियोग प्रविष्ट हुए हैं ।