चैत्र कृष्ण पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दुनिष्ठोंद्वारा राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के लिए सक्रिय होने का निश्चय !
मंगलुरू (कर्नाटक) : हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा रविवार, ८ मार्च को यहां के श्री शारदा महाविद्यालय के सभागृह में प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन संपन्न हुआ। इस अधिवेशन का उद्घाटन सनातन के पू. विनायक कर्वे के शुभहाथों किया गया। इस अवसर पर व्यासमंच पर हिन्दू महासभा के श्री. धर्मेंद्र, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता दिनेश नाईक एवं आर्ट ऑफ लिविंग के श्री. सदाशिव कामत उपस्थित थे। इस अधिवेशन में मंगलुरू, कासरगोड, मडिकेरी, सुलया तथा उजिरे के हिन्दुनिष्ठ एवं अधिवक्ताओंने सहभाग लिया। इस समय उपस्थित हिन्दुनिष्ठोंद्वारा राष्ट्र तथा धर्म की रक्षा के लिए सक्रिय होने का निश्चय किया।
राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलनोंके कारण बडी सफलता मिल रही है ! – श्री. काशीनाथ प्रभु, हिन्दू जनजागृति समिति
केवल उत्सव के लिए नहीं, अपितु ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने का ध्येय रखकर हम यहां एकत्रित हुए हैं। अबतक अनेक अधिवेशनोंका आयोजन किया गया। इस के फलस्वरूप राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन आरंभ हो गए हैं, जिन्हें बडी सफलता मिल रही है। हिन्दुनिष्ठ अधिवक्ताओंको संगठित कर हिन्दू विधिज्ञ परिषद की स्थापना की गई है। इतना ही नहीं, अपितु और कुछ दिनों में ‘हिन्दू वार्ता’ दूरचित्रप्रणाल आरंभ हो रहा है। इस कार्य के लिए सभी को जाति, पक्ष तथा संगठन को अलग रखकर हिन्दुत्व की रक्षा के लिए संगठित होना आवश्यक है।
यदि भगवान का अधिष्ठान रखकर कार्य किया, तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है ! – श्री. जयराज सालियान, धर्माभिमानी, उजिरे
हम अबतक भावना के स्तर पर आंदोलन करते आए हैं; परंतु भगवान का अधिष्ठान रखकर कार्य किया, तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है। सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के मार्गदर्शन से हमें ऐसा भान हो गया है। पूर्व में जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्थ रामदास स्वामीजी द्वारा मार्गदर्शन मिलता था, वैसे ही आज के आपत्काल में सनातन के संतोंका मार्गदर्शन हमें मिल रहा है, हमें इसकी अनुभूति भी मिल रही है। इसकी अनुभूति उजिरे में आयोजित धर्मजागृति सभा में ली गई है। सभा को उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिला।
वर्ष २०२३ को निश्चित रूप से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ! – श्री. रामानंद गौडा, सनातन संस्था
वर्ष २०२३ में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना निश्चित रूप से होगी। इसलिए हमें साधना का बल बढाना, धर्मरक्षा के लिए संगठित होना एवं साधना करना आवश्यक है। राष्ट्र एवं धर्म के कार्य के लिए प्रत्येक व्यक्ति को दिन में न्यूनतम एक घंटा तो अवश्य देना चाहिए।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात